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यूक्रेन की शांति के लिए कितना कामयाब रहा शिखर सम्‍मेलन? जानिए भारत सहित ग्‍लोबल साउथ का क्‍या था रुख

रूस-यूक्रेन युद्ध (Russia-Ukraine war) को दो साल से ज्‍यादा का वक्‍त हो चुका है. कई मौकों पर लगा कि शायद अब युद्ध कुछ दिनों की बात है, लेकिन युद्ध लगातार चल रहा है और दोनों देशों के बीच शांति के कोई आसार नजर नहीं आ रहे हैं. हालांकि दोनों देशों के बीच जारी युद्ध को रोकने की कोशिश लगातार जारी है. 15 और 16 जून को स्विट्जरलैंड के बर्गेनस्टॉक में शांति के लिए शिखर सम्‍मेलन का आयोजन किया गया, जिसमें पश्चिमी देशों और उसके सहयोगियों ने यूक्रेन पर रूस के आक्रमण की निंदा की. हालांकि यूक्रेन समर्थक देश गुटनिरपेक्ष देशों को एक मंच पर लाने और साझा बयान में शामिल होने के लिए मनाने में विफल रहे. यहां तक की कोई भी देश इस कड़ी को आगे बढ़ाने के लिए मेजबानी तक के लिए आगे नहीं आया. यूक्रेन के राष्‍ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्‍की के आह्वान पर आयोजित इस सम्‍मेलन में 90 से अधिक देशों ने वार्ता में भाग जरूर लिया. हालांकि रूस को इसमें आमंत्रित तक नहीं किया गया. 

रॉयटर्स की खबर के मुताबिक, इस घटना का रूस ने मजाक उड़ाया तो चीन ने इससे दूरी बनाने का फैसला किया. यूक्रेन की रूस को अलग-थलग करने की कोशिश के लिए ग्‍लोबल साउथ के प्रमुख देशों को मनाने की कोशिश विफल रही है.

इस सम्‍मेलन ने यूक्रेन को अपने पश्चिमी सहयोगियों के समर्थन को प्रदर्शित करने का मौका दिया. जेलेंस्‍की ने कहा, “हम यूक्रेन पर रूस के हमले का जवाब मानव जीवन के व्‍यापक पैमाने पर रक्षा के साथ ही नहीं बल्कि कूटनीति के साथ भी दे रहे हैं.”

शिखर सम्‍मेलन में नहीं पहुंचे बाइडेन 

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अमेरिकी उपराष्ट्रपति कमला हैरिस, जर्मनी के चांसलर ओलाफ स्कोल्ज़ और फ्रांस के  राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन जैसे नेता सम्‍मेलन के लिए एकत्र हुए. हालांकि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन जेलेंस्‍की के सार्वजनिक निमंत्रण के बावजूद इसमें शामिल नहीं हुए. बाइडेन पिछले सप्ताह से ही अन्य कार्यक्रमों के लिए यूरोप में थे. 

वहीं शांति सम्‍मेलन को लेकर रूस के पूर्व राष्ट्रपति और अब देश की सुरक्षा परिषद के उपाध्यक्ष दिमित्री मेदवेदेव ने कहा, ‘पीस फोरम’ में भाग लेने वालों में से कोई भी नहीं जानता कि वह वहां क्या कर रहा है और उसकी भूमिका क्या है.”

यूक्रेन के पांचवे हिस्‍से पर रूसी सेनाएं 

प्रारंभिक यूक्रेनी सफलताओं के बावजूद रूसी सेनाएं अभी भी यूक्रेन के पांचवें हिस्से पर काबिज हैं और धीरे-धीरे ही सही फिर से आगे बढ़ रही हैं. दो साल से अधिक समय से कोई शांति वार्ता नहीं हुई है. 

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युद्ध समाप्त करने के लिए स्‍पष्‍ट रास्‍ते के अभाव को देखते हुए जेलेंस्‍की ने परमाणु सुरक्षा और दुनिया के सबसे बड़े अनाज निर्यातकों में से एक यूक्रेन से खाद्य आपूर्ति सुनिश्चित करने जैसे व्यावहारिक मुद्दों पर जोर दिया. शिखर सम्मेलन की घोषणा में जापोरिज्जिया परमाणु संयंत्र और अजोव सागर के बंदरगाहों पर यूक्रेन का नियंत्रण बहाल करने का आह्वान किया गया.  

दूसरी बैठक की मेजबानी के लिए आगे नहीं आया कोई

शिखर सम्‍मेलन में कोई भी देश इस तरह की दूसरी बैठक की मेजबानी के लिए आगे नहीं आया. आगामी सम्‍मेलन के लिए संभावित स्थल के रूप में प्रस्तावित सऊदी अरब की चुप्‍पी भी उल्‍लेखनीय रही. विदेश मंत्री प्रिंस फैसल बिन फरहान अल सऊद ने कहा कि उनका देश शांति प्रक्रिया में सहायता के लिए तैयार है, लेकिन व्‍यावहारिक समाधान “कठिन समझौते” पर निर्भर करेगा.

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पिछले हफ्ते रूसी राष्‍ट्रपति व्‍लादिमिर पुतिन ने साफ तौर पर सम्मेलन को लेकर कहा था कि रूस तब तक युद्ध नहीं रोकेगा जब तक यूक्रेन चार प्रांतों से अपनी सेना पूरी तरह से वापस नहीं बुला लेता है, जिन पर रूस का केवल आंशिक नियंत्रण है और जिन पर कब्जा करने का दावा किया गया है. कीव ने आत्मसमर्पण की मांग के रूप में इसकी तुरंत निंदा की. 

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