"मुझे लगता है महुआ मोइत्रा की संसद सदस्यता जाएगी…", The Hindkeshariसे बोले बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता आर पी सिंह
तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा पर पैसे लेकर संसद में सवाल पूछने का मामला अब राजनीतिक मुद्दा बनता दिख रहा है. इस मामले को लेकर भारतीय जनता पार्टी (BJP) तृणमूल कांग्रेस (TMC) पर हमलावर है. BJP के राष्ट्रीय प्रवक्ता आर पी सिंह ने इस मुद्दे पर The Hindkeshariसे खास बातचीत की. इस दौरान उन्होंने कहा कि महुआ मोइत्रा मामले में अब तथ्य सामने आ गए हैं. जिस व्यक्ति ने सवाल पूछवाए थे वो कह रहा है कि हां मैंने सवाल पूछवाए थे. इसके लिए मैंने गिफ्ट और पैसे दिए. अब इससे बड़ा कोई सबूत क्या ही होगा. अब ये साफ है कि टीएमसी संसद में प्रश्न उठाने से लेकर कहीं टेंडर या ठेका लेने तक भ्रष्टाचार में लिप्त है. सीएम ममता बनर्जी के भतीजे के ऊपर जांच चल रही है. उनके मंत्री के घर से पैसे मिलते हैं. तो स्पष्ट है कि ये पूरी की पूरी पारी भ्रष्टाचार में लिप्त है.
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“किसी ने कोई जबरदस्ती नहीं की”
जबरदस्ती शिकायत लिखवाने के सवाल पर आर पी सिंह ने कहा कि ये कैसे हो सकता है. कोई व्यवसायी जबरदस्ती कैसे शिकायत लिखवाएगा. पहले वो प्रश्न पूछे और फिर उससे कोई जबरदस्ती शिकायत कैसे लिखवा लेगा. कोई व्यवसायी ऐसे थोड़ी करेगा. जो हुआ है वो उसका तथ्य सामने रख रहा है. वो तो कह रहा है कि उसने गिफ्ट और पैसे भी दिए हैं.
बता दें कि आर पी सिंह से पहले JDU के मुख्य प्रवक्ता केसी त्यागी ने भी The Hindkeshariसे खास बातचीत में महुआ मोइत्रा पर सवाल उठाए हैं. उन्होंने कहा कि इस मामले पर अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि ये मामला भी बेहद गंभीर है. महुआ मोइत्रा संसद की बहुत मुखर सांसदों में से एक हैं. संसद के अंदर उनकी आवाज जनता की आवाज है. लिहाजा बहुत गंभीर है.
“एथिक्स कमेटी उचित फैसला करेगा”
केसी त्यागी ने आगे कहा कि पहले भी कई संसद सदस्यों की सदस्यता इस मामले को लेकर जा चुकी है. खासकर पैसा लेकर सवाल पूछने के बदले में. यह मामला भी बेहद गंभीर है . मामला चूंकि एथिक्स कमेटी को सौंपा गया है जिसमें वरिष्ठ सांसदों की हिस्सेदारी होती है, मुझे उम्मीद है कि एथिक्स कमेटी सब लोगों से बात करके कोई इसमें उचित फैसला करेगी. समानता इसकी होती है कि यह साबित हो जाए कि संसद या संसद सदस्य किसी नियत से पैसे लेकर सवाल पूछने के दोषी हैं.
“पैसे लेकर सवाल पूछना गंभीर मामला”
किसी औद्योगिक घराने के बारे में सवाल पूछना कोई एथिक्स का मामला नहीं है लेकिन अगर पैसे लेकर सवाल पूछे गए तो यह मामला गंभीर बनता है. ऐसे मामलों पर जो एथिक्स कमेटी से जुड़ी हो जो आचरण से जुड़ी हो ऐसे मामलों में पार्टियां न समर्थन करती हैं ना विरोध करती हैं. मामला जब एथिक्स कमेटी के पास चला जाता है तो फिर माननीय सदस्यों का विवेक ही ज्यादा महत्वपूर्ण होता है.