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पाकिस्तान में इमरान खान समर्थित उम्मीदवार आगे, ये है नवाज शरीफ का बैकअप प्लान

नई दिल्ली:

पाकिस्तान में सरकार कौन बनेगा, ये अब तक साफ नहीं है. लेकिन इमरान खान और नवाज शरीफ दोनों ही सरकार बनाने का दावा कर रहे हैं. ब्लूमबर्ग के मुताबिक, इस बीच नवाज शरीफ का कहना है कि उनकी पार्टी गठबंधन की सरकार बनाने के लिए अपने विरोधी बिलावल भुट्टो जरदारी के दल के साथ बात करने की कोशिश करेगी, जिससे संभावित रूप से यह संकट दूर हो जाएगा. दरअसल पाकिस्तान में विवादास्पद चुनाव त्रिशंकु संसद की ओर बढ़ रहा है. हर कोई अपनी-अपनी जीत का दावा कर रहा है.

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क्या साथ आएंगे नवाज-बिलावल?

पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज, बिलावल भुट्टो जरदारी की पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के साथ बात करेगी, ये बात नवाज शरीफ ने एक भाषण में अपने समर्थकों से अपनी जीत का दावा करते हुए कही. बता दें कि बिलावल भुट्टो पूर्व पीएम बेनिजीर भुट्टो के उत्तराधिकारी हैं, तो वहीं  3 बार पाकिस्तान के पीएम रह चुके नवाज शरीफ भ्रष्टाचार के आरोपों से बरी होने के बाद पिछले साल ही लंदन से वापस लौटे, जिससे उनके चुनाव लड़ने का रास्ता साफ हो गया. अगर दोनों ही परिवार आधारित पार्टियां एक साथ आ जाती हैं तो दोनों मिलकर इमरान का विज रथ रोकने में कामयाब हो सकते हैं. 

इमरान को रोकने के लिए नवाज का बैकअप प्लान

बता दें कि जेल में बंद इमरान खान ने निर्दलीय चुनाव लड़ा है और उनको जनता से बहुत ही शानदार समर्थन हासिल हुआ है. इस बीच नवाज शरीफ अपनी जुगत भिड़ाने की कोशिश में लगे हैं. लाहौर में एक भाषण में नवाज शरीफ ने कहा, “हमें एक साथ बैठना होगा. इस देश को इस दलदल से बाहर निकालना हर किसी का कर्तव्य है.” शरीफ ने कहा कि चुनाव के बाद पीएमएल-एन संसद में सबसे बड़ी पार्टी है. उनके करीबी सहयोगी ने पहले ही कहा था कि पीएमएल-एन पाकिस्तान के निचले सदन नेशनल असेंबली की 265 सीटों में से करीब 90 सीटें जीतेगी. पाकिस्तान चुनाव आयोग के स्कोरकार्ड से पता चला है कि इमरान खान समर्थित निर्दलीय 90 सीटों के साथ आगे हैं, पीएमएल-एन को 62 और पीपीपी 50 सीटें मिली हैं.

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 PML-N, PPP में होगा गठबंधन?

पीपीपी सीनेटर और वरिष्ठ नेता शेरी रहमान ने लाहौर में मीडिया से कहा, “हम हर किसी से बात करेंगे.दोनों पार्टियों का गठबंधन देश की शक्तिशाली सेना के लिए एक राहत हो सकता है, विश्लेषकों के मुताबिक जिसने अप्रैल 2022 में इमरान खान को सत्ता से हटाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. इमरान खान ने रैलियां आयोजित करके खुले तौर पर सेना की आलोचना की, बाद में उन्हें कई आरोपों में जेल भेज दिया गया और उनकी पार्टी के उम्मीदवारों को पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ या पीटीआई के बैनर तले चुनाव लड़ने की अनुमति नहीं दी गई. उनका चुनाव जिन्ह बल्ला भी छीन लिया गया.

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