करगिल युद्ध में 18 ग्रेनेडियर्स का शौर्य पड़ा था दुश्मन पर भारी, जानिए कैसे जीता तोलोलिंग और टाइगर हिल
नई दिल्ली:
देश के वीर सैनिकों ने करगिल युद्ध में अपने शौर्य और साहस से पाकिस्तान को नाको चने चबवा दिए थे. करगिल युद्ध को 25 साल हो रहे हैं. करगिल की जंग में 18 ग्रेनेडियर्स ने अहम भूमिका निभाई थी. फिर चाहे बात तोलोलिंग की हो या टाइगर हिल की जंग. 18 ग्रेनेडियर्स के जवानों के जोश और साहस ने पाकिस्तानी दुश्मनों को खदेड़ा था. खुशहाल ठाकुर करगिल युद्ध में 18 ग्रेनेडियर्स के सीओ थे. वो अब रिटायर हो चुके हैं और यह बताते हैं कि कैसे उनकी पलटन ने एक के बाद एक मोर्चे फतह किए थे.
16 मई को भेजा गया था द्रास
रिटायर्ड ब्रिगेडियर खुशहाल ठाकुर ने तोलोलिंग और टाइगर हिल की जीत की कहानी सुनाते हुए कहा कि हम कश्मीर में आतंकवाद से लोहा ले रहे थे और उस वक्त 16 मई को 18 ग्रेनेडियर्स को द्रास पहुंचने का आदेश मिला. उन्होंने बताया कि मैं छुट्टी पर था. 17 मई को पूरी पलटन द्रास पहुंच गई थी. द्रास में दुश्मन की ओर से भारी आर्टिलरी फायरिंग हो रही थी. श्रीनगर से लेह जाने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग को बाधित किया जा चुका था.
उन्होंने बताया कि वो पलटन के द्रास जाने की सूचना मिलने के बाद वह खुद भी छुट्टी से पलटन के लिए रवाना हो गए थे. उन्होंने बताया कि उस वक्त ट्रुप्स बहुत कम थे. द्रास में कमांडर ने ब्रीफ किया और कहा कि तोलोलिंग की पहाड़ी पर 5-6 मुजाहिदीन आ गए हैं, आप जल्दी से जल्दी कब्जा कीजिए.
दुश्मन ने सोच समझकर चुना था तोलोलिंग
उन्होंने कहा कि तोलोलिंग करीब 15 हजार फीट की हाइट पर है और दुश्मन ने तोलोलिंग को बहुत ही सोच-समझकर के चुना था क्योंकि इसी के पास से राष्ट्रीय राजमार्ग गुजरता है.
22 जुलाई को ऑपरेशन शुरू किया. सबसे पहले कैप्टन सचिन निंबालकर के नेतृत्व में घातक जाएंगे और उसके बाद अल्फा कंपनी रहेगी मेजर रणधीर राठौड़ और उसके बाद ब्रेवो कंपनी मेजर विजय तोमर के नेतृत्व में और चार्ली कंपनी मेजर जॉय दास कंपनी तीन तरफ से हमला किया.
रात के वक्त दिया जाता था हमले को अंजाम
22 जुलाई को आर्टिलरी थी. हमारा संपर्क 22 को शाम को उनके साथ था. पूरी रात घातक दुश्मनों से लोहा लेते रहे तब हमने मेजर रणणीर राठौड़ की कंपनी को आगे भेजना चाहा तो हमने देखा कि तोलोलिंग की जो पहाड़ी पर 10-15 आतंकी काले कपड़े में छुपे हुए थे.
हम रात के समय हमला करते थे. हम लगातार आगे बढ़ते जाते थे, हमारे जवान शहीद हो रहे थे. उन्होंने कहा कि आतंकी भारी हथियारों से लैस थे.
ठाकुर ने कहा कि हमले में मेरे दो ऑफिसर्स, दो जेसीओ और 21 जवान शहीद हुए. राजपूताना राइफल्स ने भी इस दौरान अपने जवान खोए थे.
सामरिक रूप से महत्वपूर्ण टाइगर हिल
वहीं उन्होंने बताया कि टाइगर हिल साढे 16 हजार फीट की ऊंचाई पर है और यह सामरिक रूप से काफी महत्वपूर्ण है. उन्होंने कहा कि तोलोलिंग के बाद भी हमें चुना गया. उन्होंने कहा कि मेरे दिमाग में यही था कि किसी तरह से ऐसी प्लानिंग की जाए कि जवान कम से कम शहीद हो.
उन्होंने कहा कि टाइगिर हिल साल के योगेंद्र यादव ने मशीनगन को पकड़ लिया था, जिसके कारण बाकी टुकडि़यां आगे बढ़ सकी थीं. उन्होंने कहा कि इन दोनों जगहों को जीतने का ऐतिहासिक महत्व है.
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