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ग्रीन एनर्जी से भारत 2070 तक हासिल करेगा जीरो कार्बन का टारगेट : इंडिया सस्टेनेबिलिटी कॉन्क्लेव में भूपेंद्र यादव


नई दिल्ली:

भारत में जनभागीदारी और जनआंदोलन से जल संरक्षण और प्रकृति संरक्षण को लेकर अभियान चल रहा है. इसे लेकर अलग-अलग राज्यों में कई तरह के कार्यक्रम चल रहे हैं. इसी कड़ी में The Hindkeshariशुक्रवार को इंडिया सस्टेनेबिलिटी मिशन ( India Sustainability Mission) कॉन्क्लेव चला रहा है. केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव (Bhupendra Yadav ) ने कॉन्क्लेव में सस्टेनेबिलिटी के लिए क्लीन एनर्जी और ग्रीन एनर्जी (Green Energy) पर जोर दिया.

मोदी सरकार में पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा, “भारत ग्रीन एनर्जी की नई संभावनाओं की खोज में हैं. हमने 2070 तक जीरो कार्बन का टारगेट रखा है. बढ़ता तापमान एक बड़ी चुनौती है. अभी कार्बन उत्सर्जन में भारत दुनिया में चौथे नंबर पर है. हमें दुनिया में कार्बन इमिशन (उत्सर्जन) को कम करना होगा. इसके लिए क्लाइमेट फाइनेंसिंग और ट्रांसफर की जरूरत होगी.”

हमने रिन्यूएबल एनर्जी का पूरा किया टारगेट
भूपेंद्र यादव ने कहा, “PM मोदी ने कार्बन उत्सर्जन को लेकर पिछले 10 साल में कई प्रभावी कदम उठाए. हमने रिन्यूएबल एनर्जी का टारगेट पूरा किया है. अब कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए हम रेलवे के साथ मिलकर भी टेक्नोलॉजिकल सॉल्यूशन तलाश रहे हैं.”

समाज में विभाजन रहेगा, हमें नजरिया बदलने की जरूरत
कॉन्क्लेव में केंद्रीय मंत्री से सामाजिक विभाजन पर भी सवाल पूछा गया. भूपेंद्र यादव ने कहा, “ऐसा नहीं है कि समाज में कभी विभाजन नहीं रहेगा. जाति होगी. जाति नहीं होगी तो वर्ग होगा. वर्ग नहीं होगा तो धर्म होगा. धर्म नहीं होगा तो रंगभेद होगा. आपका नजरिया क्या है कि आप इन्हें कैसे देखते हैं और कितनी अहमियत देते हैं.”

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क्लाइमेट चेंज को लेकर होनी है 3 अहम मीटिंग
भूपेंद्र यादव ने कहा, “देश में क्लाइमेट चेंज को कम करने की कोशिश हो रही है. हाल के दिनों में कई तरह की मीटिंग होनी है. पहली- क्लाइमेट चेंज को लेकर है. दूसरी- लॉस ऑफ बायो डायवर्सिटी (जैव विविधता में कमी) को लेकर है. तीसरा- डेजर्टिफिकेशन ऑफ लैंड को लेकर है. कोलंबिया में लॉस ऑफ बायो डायवर्सिटी को लेकर मीटिंग होनी है. डेजर्टिफिकेशन ऑफ लैंड पर मीटिंग सऊदी अरब (रियाद) में होने वाली है.”

धरती का तापमान बढ़ना चिंता की बात
उन्होंने कहा, “धरती का तापमान लगातार बढ़ रहा है, ये बड़ी चिंता की बात है. इसे लेकर दुनिया के देशों ने 2015 में 2 कमिटमेंट किए थे. पहला- तापमान बढ़ने से जो क्लाइमेट चेंज हो रहा है, वो पूरी दुनिया की चुनौती है. पूरी दुनिया का लक्ष्य इसे कम करने का होना चाहिए.”    

पेरिस समझौते के बाद भारत ने दिए 8 लक्ष्य
जिस देश की जितनी क्षमता है, वो उसी हिसाब से अपने राष्ट्रीय लक्ष्य देगा. इसे NDC कहेंगे. NDC यानी National Determined Contributions. 2015 में पेरिस समझौते के बाद दुनिया के ज्यादातर देशों ने अपने-अपने लक्ष्य दिए. भारत ने 8 लक्ष्य दिए. इनमें से 3 कॉन्टिटेटिव (Quantitative) थे और 5क्वॉलिटेटिव (Qualitative) थे.”

कार्बन उत्सर्जन और रिन्यूएबल एनर्जी का टारगेट किया पूरा
भूपेंद्र यादव कहते हैं, “भारत के मुख्य टारगेट 3 थे. पहला- हम कार्बन उत्सर्जन को 40% तक कम करेंगे. ये लक्ष्य हमने 2030 के लिए दिया था. G-20 देशों में भारत एकमात्र देश है, जिसने लक्ष्य समय से 9 साल पहले 2021 में हासिल कर लिया. दूसरा-हमारा दूसरा लक्ष्य रिन्यूएबल एनर्जी को लेकर था. हम 2030 तक रिन्यूएबल एनर्जी का 40% का टारगेट पूरा करेंगे. इस लक्ष्य को भी हमने डेडलाइन से 9 साल पहले यानी 2021 में हासिल कर लिया. तीसरा- हमने 33% ग्रीन कवर का टारगेट रखा था. इसे हासिल करने के लिए हम लगातार काम कर रहे हैं.”

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भूपेंद्र यादव कहते हैं, “दुनिया में जब क्लाइमेट चेंज को लेकर वार्ता हुई थी और जब सभी देशों को अपने NDC देने को कहा गया था, तो 2 कैटेगरी के देश बने थे. विकसित और विकासशील देश की कैटेगरी. विकासशील देशों ने कहा कि हम तो अपने लक्ष्य की ओर बढ़ेंगे, लेकिन जिन्होंने ऐतिहासिक कार्बन उत्सर्जन किया है. इस धरती के स्पेस को सबसे ज्यादा प्रदूषित किया है और जिसके पैमाने पर आज वो दुनिया के विकसित देश बने हैं… वो विकसित देश इसके लिए विकासशील देशों को साधन उपलब्ध कराएं. फाइनेंस उपलब्ध कराए.”

 हमारा कार्बन उत्सर्जन 4.5% और विकसित देशों को 60%
भूपेंद्र यादव, “विकासशील देशों ने कहा कि अगर आप चाहते हैं कि हम क्लीन एनर्जी पैदा करेंगे, तो टेक्नोलॉजी दे दीजिए. जब टेक्नोलॉजी लेने जाते हैं, तो पैसे मांगे जाते हैं.” भूपेंद्र यादव कहते हैं, “हमें कहा जाता है कि हम दुनिया में पॉल्यूशन फैलाने में चौथे नंबर पर हैं. विश्व में हमारी जनसंख्या 17 प्रतिशत है. हमारा कार्बन उत्सर्जन 4.5 प्रतिशत है, जो दुनिया में चौथे नंबर पर आता है. लेकिन अगर दुनिया के विकसित देशों की आबादी को मिला दिया जाए, तो विकसित देशों का कार्बन उत्सर्जन 60 प्रतिशत है.”

भूपेंद्र यादव ने कहा, “अगर दुनिया में कार्बन उत्सजर्न को देखना है को प्रति व्यक्ति उत्सर्जन के हिसाब से देखना चाहिए. भारत का प्रति व्यक्ति कार्बन उत्सर्जन अफ्रीका के किसी देश से भी कम है, जो हमारी लाइफ स्टाइल की वजह से है.”


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