भारत के 21वीं सदी का 'पुष्पक विमान' कल भरेगा अंतरिक्ष के लिए उड़ान, जानें- क्या करेगा काम
यह RLV-TD से करीब 1.6 गुना बड़ा है. RLV-TD की उड़ान 2016 और 2023 में लैंडिंग एक्सपेरिमेंट किया जा चुका है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसका बड़ा स्वरूप फरवरी में विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर के दौरे के दौरान देखा था. 2 अप्रैल 2023 को कर्नाटक के चित्रदुर्ग में ISRO, DRDO और IAF ने मिलकर पुष्पक विमान की टेस्टिंग की थी.
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ये भारत का फ्यूचरिस्टिक री-यूजेबल लॉन्च व्हीकल- ISRO चीफ
इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (ISRO) के चीफ एस सोमनाथ ने कहा, “पुष्पक लॉन्च व्हीकल स्पेस तक पहुंच को सबसे किफायती बनाने का भारत की एक साहसिक कोशिश है. ये भारत का फ्यूचरिस्टिक री-यूजेबल लॉन्च व्हीकल है. इसका सबसे ऊपरी हिस्सा सबसे महंगा है, इसी में महंगे इलेक्ट्रॉनिक्स लगे हैं. इस वजह से ये स्पेस शटल उड़ान भरने के बाद सुरक्षित रूप से धरती पर वापस आ सकता है. बाद में ये इन-ऑर्बिट सैटेलाइट और रिट्राइबिंग सैटेलाइट में री-फ्यूलिंग का काम भी कर सकता है.” ISRO चीफ ने कहा कि भारत स्पेस में मलबे को कम करना चाहता है. पुष्पक विमान उसी दिशा में उठाया गया एक कदम है.”
2016 में लॉन्च हुआ था पहला RLV
एक दशक के निर्माण के बाद RLV ने पहली बार 2016 में आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से उड़ान भरी थी. ये बंगाल की खाड़ी में एक वर्चुअल रनवे पर सफलतापूर्वक लैंड हुआ था. हालांकि, RLV कभी भी रिकवर नहीं किया जा सका. प्लान के मुताबिक, ये समुद्र में समा गया.
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2 अप्रैल 2023 को हुई दूसरी लॉन्चिंग
RLV की दूसरी लॉन्चिंग 2 अप्रैल 2023 को रक्षा प्रतिष्ठान के चित्रदुर्ग एयरोनॉटिकल टेस्ट रेंज में हुई थी. RLV-LEX कहे जाने वाले इस विंग्स वाले रॉकेट को इंडियन एयरफोर्स के चिनूक हेलीकॉप्टर से उड़ाया गया.
विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर में एडवांस टेक्नोलॉजी और सिस्टम ग्रुप के प्रोग्राम डायरेक्टर सुनील पी ने कहा, “पुष्पक भविष्य है.” उन्होंने कहा, “ISRO का मकसद एक ऐसा व्हीकल लॉन्च करना है, जो कॉस्ट इफेक्टिव हो और स्पेस तक बहुत कम लागत में पहुंच मुहैया कराए.”
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पुष्पक विमान की खासियतें
-RLV एक स्वदेशी स्पेस शटल है. कुछ साल में हमारे एस्ट्रोनॉट्स इसके बड़े वर्जन में कार्गो डालकर अंतरिक्ष तक पहुंचा सकते हैं.
-इसके जरिए सैटेलाइट भी लॉन्च किए जा सकते हैं. यह सैटेलाइट को अंतरिक्ष में छोड़कर वापस आएगा. ताकि फिर से उड़ान भर सके.
-इसके जरिए किसी भी देश के ऊपर जासूसी करवा सकते हैं. यहां तक की हमले भी किए जा सकते हैं.
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-ये अंतरिक्ष में ही दुश्मन की सैटेलाइट को बर्बाद कर सकते हैं.
-यह एक ऑटोमेटेड रीयूजेबल लॉन्च व्हीकल है. ऐसे विमानों से डायरेक्टेड एनर्जी वेपन (DEW) चला सकते हैं.
-पुष्पक विमान की लंबाई 6.5 मीटर है और इसका वजन 1.75 टन है. इसे इंडियन एयरफोर्स के हेलीकॉप्टर से उड़ाया जाएगा.
– इसके छोटे थ्रस्टर्स व्हीकल को ठीक उसी लोकेशन पर जाने में मदद करेंगे, जहां उसे लैंड करना है.
-सरकार ने इस प्रोजेक्ट में 100 करोड़ रुपये से अधिक का इंवेस्टमेंट किया है, जो एक मील का पत्थर है. क्योंकि देश 2035 तक अपना खुद का स्पेस स्टेशन बनाने की दिशा में आगे बढ़ रहा है.
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