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क्या महाराष्ट्र की महायुति में सब ठीक चल रहा है, बैठकों से एकनाथ शिंदे ने क्यों बनाई दूरी


नई दिल्ली:

महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री तीन सरकारी कार्यक्रमों में शामिल नहीं हुए. उनके इस कदम से राज्य में उन चर्चाओं को बल मिला है कि सत्तारूढ़ गठबंधन में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है. हालांकि वो गुरुवार को दिल्ली में नई सरकार के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल हुए थे. वहां पीएम नरेंद्र मोदी उनसे बातचीत करते हुए भी नजर आए थे. लेकिन राज्य के सरकारी कार्यक्रमों में न शामिल होने से लग रहा है कि सरकार चला रही महायुति में तनातनी चल रही है. पिछले साल नवंबर में हुए विधानसभा चुनाव के बाद राज्य में महायुती की सरकार चल रही है.

उपमुख्यमंत्री शिंदे थाणे जिले के बदलापुर में आयोजित छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा के अनावरण पर आयोजित कार्यक्रम में भी शामिल नहीं हुए. थाणे उनका गृह जिला है. वो इसी जिले से चुनकर आए हैं.शिंदे  ऐतिहासिक आगरा किले में  छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती पर आयोजित कार्यक्रम में भी शामिल नहीं हुए.  वो अंबेगांव बुद्रक में आयोजित शिवसृष्टी पार्क के दूसरे चरण के उद्घाटन समारोह में भी नहीं शामिल हुए थे. 

किन कार्यक्रमों में शामिल नहीं हुए एकनाथ शिंदे

महाराष्ट्र में सरकार चला रही महायुति में बीजेपी, शिवसेना और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी शामिल हैं. इस गठबंधन ने 288 सदस्यों वाली विधानसभा के चुनाव में 230 सीटों पर जीत दर्ज की थी. शिंदे ने 2022 में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना में बगावत कर बीजेपी से हाथ मिला लिया था. इससे शिवसेना दो हिस्सों में टूट गई थी. चुनाव आयोग और अदालत के फैसलों से शिंदे के नेतृत्व वाले गुट को शिवसेना नाम और पार्टी का चुनाव चिन्ह मिल गया था. 

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दिल्ली सरकार के शपथ ग्रहण समारोह में पीएम नरेंद्र मोदी से मिलते महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे.

महायुति के चुनाव जीतने के बाद बनी सरकार में शिंदे को मुख्यमंत्री का पद नहीं मिला. इससे शिवसेना कैडर का असंतोष खुलकर सामने आ गया था. बाद में उन्हें राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण में समायोजित किया गया. महायुती में यह मतभेद उस समय और बढ़ गया जब कुछ विधायकों से ‘वाई’ श्रेणी की सुरक्षा कम कर दी गई. सूत्रों का कहना है कि सुरक्षा तो सभी दलों के विधायकों की कम की गई है, लेकिन इससे प्रभावित विधायकों में उपमुख्यमंत्री शिंदे की शिवसेना के विधायकों की संख्या अधिक है. शिवसेना सरकार के इस कदम से नाराज है. 

विधायकों और सांसदों से सुरक्षा वापस लेने का विवाद

शिवसेना में विद्रोह के बाद राज्य के 44 विधायकों और 11 लोकसभा सांसदों को सुरक्षा कवर दिया गया था. सूत्रों के मुताबिक सुरक्षा मूल्यांकन के बाद जिन लोगों की सुरक्षा हटाई गई या वापस ली गई, उनमें शिंदे के करीबी भी शामिल हैं, जिनके पास कोई कैबिनेट पद नहीं है.

यह स्थिति केवल शिव सेना के लिए ही नहीं है.राज्य के दूसरे उपमुख्यमंत्री अजीत पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी के लिए ही स्थित ठीक नहीं है. एनसीपी के नेता सरकार की महत्वाकांक्षी ‘लड़की बहिन योजना’ को लेकर आमने-सामने हैं.महाराष्ट्र में महायुति की जीत का श्रेय इसी योजना को दिया जाता है. चुनाव प्रचार के दौरान शिंदे की शिवसेना ने एनसीपी की प्रचार सामग्री में योजना के नाम के आगे से ‘मुख्यमंत्री’ शब्द गायब होने पर आपत्ति जताई थी. यह मामला किसी तरह से निपटा था. 

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क्या कहना है बीजेपी का

राकांपा नेता अदिति तटकरे और बीजेपी के गिरीश महाजन की क्रमश: नासिक और रायगढ़ जिले के संरक्षक मंत्री के रूप में नियुक्ति पर भी विवाद हो गया. इस वजह से शिंदे 2027 में नासिक में लगने वाले कुंभ मेले की समीक्षा बैठक में शामिल नहीं हुए. इस बैठक की अध्यक्षता मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने की थी. हालांकि, बीजेपी के वरिष्ठ नेता आशीष शेलार ने गठबंधन में मनमुटाव की खबरों को खारिज करते हैं. उन्होंने कहा कि कोई नाराजगी नहीं है और सरकार एकजुट होकर चल रही है. शिंदे ने भी कहा है कि कोई शीत युद्ध नहीं चल रहा है.

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