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"वो एक ऐतिहासिक दिन होगा": राम मंदिर उद्घाटन पर मुस्लिम कार सेवक

हबीब का कहना है कि वह भगवान राम को अपना पूर्वज मानते हैं…

लखनऊ:

मोहम्मद हबीब उस वक्‍त बेहद भावुक हो गए, जब मीलों दूर अयोध्या से उनके लिए कुछ कच्‍चे चावल और एक पत्र आया. इसके साथ ही अयोध्‍या के राम मंदिर की एक तस्वीर भी आई. भाजपा की जिला इकाई में विभिन्न पदों पर रह चुके 70 वर्षीय पूर्व ‘कार सेवक’ ने मिर्ज़ापुर से समाचार एजेंसी पीटीआई को बताया, “मैं ‘अक्षत’ पाकर भावुक हो गया.”

1992 को अयोध्‍या में ही थे कार सेवक हबीब 

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‘अक्षत’, पत्र (पत्रम), और राम मंदिर की तस्वीर अयोध्या से भेजी गई है, क्योंकि अयोध्‍या में 22 जनवरी को भव्य अभिषेक समारोह की तैयारी हो रही है. वह समारोह को अपने टीवी पर देखेंगे और उसके बाद किसी भी दिन मंदिर जाएंगे. जैसा कि प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने आग्रह किया है. हबीब का कहना है कि वह एक ‘कार सेवक’ थे… और 2 दिसंबर 1992 से ‘अपने लोगों के समूह’ के साथ 4-5 दिनों के लिए अयोध्या में रुके थे. 6 दिसंबर 1992 को विवादित ढांचा गिरा दिया गया, जिससे देश भर में दंगा भड़क गया.

यह तारीख बहुत तपस्या के बाद मिली- हबीब

हिंदू और मुस्लिम पक्षों के बीच लंबी कानूनी लड़ाई 9 नवंबर, 2019 को सुलझ गई, जब सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश ने अयोध्या में विवादित स्थल पर एक सरकारी ट्रस्ट द्वारा राम मंदिर के निर्माण का मार्ग प्रशस्त किया और वैकल्पिक पांच एकड़ भूखंड देने का फैसला सुनाया, जिसमें मस्जिद बनाई जानी है. राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा समारोह 22 जनवरी को किया जाना है. हबीब कहते हैं, “यह सभी के लिए एक ऐतिहासिक दिन होगा. हमें यह तारीख बहुत तपस्या और कई लड़ाइयों के बाद मिली है.” हबीब ने कहा, “मैं भाजपा का पुराना सदस्य हूं. लगभग 32 वर्षों के बाद ये परिणाम मिले हैं, और पुरानी यादें ताजा हो गई हैं. मैं अपने लोगों के समूह के साथ 2 दिसंबर, 1992 से 4-5 दिनों के लिए अयोध्या में रहा था.” हबीब का कहना है कि वह भगवान राम को अपना पूर्वज मानते हैं. और पूर्वजों को याद करना ही भारतीयता है.” 

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अयोध्या से राम ज्योति लाएंगी वाराणसी की नजमा 

मिर्ज़ापुर के पड़ोसी जिले वाराणसी में मुस्लिम महिलाओं के कल्याण के लिए काम करने वाला अपना मुस्लिम महिला फाउंडेशन चलाने वाली सामाजिक कार्यकर्ता नाज़नीन अंसारी भी खुश हैं. जैसी उनकी सहयोगी नजमा हैं. उन्होंने अयोध्या से राम ज्योति (विशेष दीये) लाने और उन्हें वाराणसी में 400-500 परिवारों (हिंदू और मुस्लिम दोनों) के बीच वितरित करने का फैसला किया है. नजमा ने कहा, “हम भगवान श्री राम की ज्योति लाकर काशी में हिंदू और मुस्लिम परिवारों को देंगे और उनसे 22 जनवरी तक इसे निरंतर जलते रहने की अपील करेंगे. ऐसा इसलिए क्योंकि यहां एक भी व्यक्ति यह नहीं कह सकता कि भगवान राम हमारे पूर्वज नहीं हैं. भगवान राम कण-कण में बसे हैं. हम सभी जानते हैं कि हम अपना धर्म बदल सकते हैं, लेकिन हम अपने पूर्वजों को नहीं बदल सकते. अयोध्या में भगवान राम की प्राण-प्रतिष्ठा होगी, इससे ज्यादा खुशी की बात क्या हो सकती है.”

हनुमान की भक्‍त नाज़नीन अंसारी भी राम मंदिर बनने से खुश

नाज़नीन अंसारी का कहना है कि उन्होंने “नफरत का वह दौर देखा है, जहां राम मंदिर का नाम लेना भी डरावना था. और, आज हम राम मंदिर के निर्माण के कारण पूरे देश में खुशी भी देख रहे हैं. मैं इससे बहुत खुश महसूस कर रही हूं.” अंसारी का कहना है कि उन्होंने 2006 में वाराणसी के संकट मोचन मंदिर में विस्फोटों के बाद भगवान राम का अनुसरण करना शुरू कर दिया था. मंदिर और छावनी रेलवे स्टेशन पर हुए बम विस्फोटों में कम से कम 20 लोग मारे गए थे. उन्होंने कहा, ”मैं 70 मुस्लिम महिलाओं के साथ संकट मोचन मंदिर गई और हनुमान चालीसा का पाठ किया.” उन्होंने कहा कि वह अभिषेक समारोह टीवी पर देखेंगी.

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अयोध्‍या में 22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्‍ठा कार्यक्रम है, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ लाखों लोग शामिल होंगे. इसके लिए अयोध्‍या में बड़े स्‍तर पर तैयारियों चल रही हैं. सभी धर्म के लोग इस पल का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं. 

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(इस खबर को The Hindkeshariटीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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