पशुपति पारस और उपेंद्र कुशवाहा का NDA छोड़ना आत्मघाती होगा : BJP
जनवरी में जनता दल यूनाइटेड (JDU) के प्रमुख और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की राजग में वापसी के बाद उपमुख्यमंत्री बने सिन्हा ने कहा, ‘‘केवल भाजपा ही अपने सहयोगियों का सम्मान करना जानती है. यहां तक कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भी इसका एहसास हो गया है.”
भाजपा नेता ने कहा, ‘‘लेकिन, हमें हर सहयोगी को उसका हक देना चाहिए. जिसे (चिराग को) उनके पिता (रामविलास पासवान) की मृत्यु के बाद भी कुछ नहीं मिला, उसे भी कुछ मिलना चाहिए.”
चिराग को दी गईं पांच सीट में हाजीपुर भी शामिल है, जहां से वह मौजूदा सांसद हैं. इस सीट से दिवंगत रामविलास पासवान कई बार सांसद रहे थे.
हालांकि भाजपा ने पारस गुट के बारे में कुछ खास नहीं कहा है लेकिन यह स्पष्ट कर दिया है कि वह चिराग को उनके पिता का सच्चा उत्तराधिकारी मानती है. सिन्हा ने यह भी कहा, ‘‘हम चाहते हैं कि लोजपा एक परिवार के रूप में एकजुट रहे ताकि पूरा राजग एक परिवार की तरह काम कर सके.”
भाजपा नेता से यह भी पूछा गया कि क्या कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक मोर्चा को केवल एक सीट मिलने से पार्टी नाराज है जबकि राजग में शामिल रहे उनके पुराने दल राष्ट्रीय लोक समता पार्टी ने 2014 में तीन सीट जीती थीं. कुशवाहा ने 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले राजग छोड़ दिया था.
विपक्षी गठबंधन ने संकेत दिया है कि वह पाला बदलने के इच्छुक पारस या किसी अन्य राजग सहयोगी का ‘‘स्वागत” करेगा, इसपर कटाक्ष करते हुए सिन्हा ने कहा, ‘‘किसी भी पार्टी के लिए उनके साथ गठबंधन करना आत्मघाती होगा. उस गठबंधन में सबसे बड़ी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल पिछले लोकसभा चुनाव में एक भी सीट नहीं जीत पाई थी.”इस बीच जदयू ने भी एक बयान जारी कर पारस से महागठबंधन के साथ नहीं जाने का आग्रह किया है .
जदयू के मुख्य प्रवक्ता और विधान परिषद सदस्य नीरज कुमार ने कहा कि पारस को यह ध्यान रखना चाहिए कि केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह पाकर उन्हें जो सम्मान मिला है, वह बिहार के लोगों का एक कर्ज़ है.
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