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जेल में बंद अमृतपाल सिंह ने बनाया नया दल, किस दिशा में जाएगी पंजाब की अकाली राजनीति


नई दिल्ली:

जेल में रहकर लोकसभा का चुनाव जीतने वाले अमृतपाल सिंह ने नई पार्टी बनाई है. इसका ऐलान मंगलवार को मुक्तसर के माघी मेले में किया गया. इस नई पार्टी का नाम अकाली दल (वारिस पंजाब दे) रखा गया है. देशद्रोह के आरोपी अमृतपाल को इस पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया है. वो अभी असम की डिब्रूगढ़ जेल में बंद है. पार्टी का संचालन करने के लिए एक कमेटी का गठन किया गया है. इस सम्मेलन में पार्टी ने 15 सूत्रीय प्रस्ताव पारित किया है. इसे श्री मुक्तसर साहिब घोषणा नाम दिया गया है. अकाली दल (वारिस पंजाब दे) के गठन को पंजाब की राजनीति के लिए बड़ा कदम माना जा रहा है.

पंजाब की अकाली राजनीति

मुक्तसर के माघी मेले में आयोजित कार्यक्रम में अमृतपाल के पिता तरसेम सिंह और फरीदकोट से निर्दलीय सांसद सरबजीत सिंह भी मौजूद थे. अमृतपाल का यह कदम शिरोमणि अकाली दल के लिए चुनौती साबित हो सकता है. माना जा रहा है कि शिरोमणि अकाली दल से नाराज पंथक वोट अमृतपाल सिंह की नई पार्टी का रुख कर सकता है. इसके साथ ही पंजाब में तीन अकाली दल हो गए हैं. उपरोक्त दोनों के अलावा  शिरोमणि अकाली दल (अमृतसर) भी है. इसके नेता सिमरनजीत सिंह मान हैं. इनमें से दो मान और अमृतपाल का अकाली दल कट्टरपंथी विचारधारा का समर्थक है. वहीं पंजाब में कई बार सरकार चला चुकी शिरोमणि अकाली दल को विचारधारा के स्तर पर लिबरल माना जाता है.

अकाली दल (वारिस पंजाब दे) के नेताओं के मुताबिक चुनाव आयोग को पार्टी के लिए तीन नाम भेजे गए थे. उनमें से यही नाम मंजूर किया गया है. नेताओं का कहना है कि यह दो विचारधाराओं की लड़ाई है. एक विचारधारा दिल्ली की है, जो किसानों की जान ले रही है. दिल्ली की सोच पंथ और पंजाब को नुकसान पहुंचा रही है. दिल्ली की सोच सिखों को बंदी बनाए रखना चाहती है.

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इस समिति में अमृतपाल के पिता तरसेम सिंह, फरीदकोट के निर्दलीय सांसद सरबजीत सिंह खालसा (पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के हत्यारे बेअंत सिंह के बेटे),  अमरजीत सिंह, हरभजन सिंह तूर और सुरजीत सिंह को शामिल किया गया है. यह समिति तबतक पार्टी का कामकाज देखेगी जबतक नियमित चुनाव के जरिए अमृतपाल सिंह को इसका अध्यक्ष नहीं चुन लिया जाता है. वहीं सदस्यता अभियान चलाने के लिए एक सात सदस्यों वाली समिति का भी गठन किया गया है.

कहां से सांसद चुना गया है अमृतपाल सिंह

अमृतपाल सिंह बीते साल हुए लोकसभा चुनाव में पंजाब की खडूर साहिब लोकसभा सीट से सांसद चुना गया था. उसने कांग्रेस उम्मीदवार कुलबीर सिंह को एक लाख 97 हजार 120 वोटों के अंतर से हराया था. आम आदमी पार्टी को तीसरा स्थान मिला था. बीजेपी चौथे स्थान पर रही थी. इस चुनाव में अमृतपाल को चार लाख चार हजार 430 वोट मिले थे. 

पंजाब में 2015 में हुई श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी की घटनाओं और राम रहीम को माफी देने से 100 साल पुरानी अकाली दल की लोकप्रियता में तेजी से गिरावट आई है. पंथक वोट बैंक अकाली दल से दूर हुआ है. यह वजह है कि बीते लोकसभा चुनाव में अकाली दल पंजाब में केवल एक लोकसभा सीट जीत पाया था. पार्टी के नेता सुखबीर बादल की पत्नी हरसिमरत कौर बादल बंठिडा से चुनाव जीती थीं.

कौन है अमृतपाल सिंह

लोकसभा चुनाव जीतने से पहले अमृतपाल सिंह ‘वारिस पंजाब दे’नाम के संगठन की वजह से चर्चा में आया था.इस संगठन की स्थापना पंजाबी अभिनेता संदीप सिंह उर्फ दीप सिद्धू ने सितंबर 2021 में की थी.संगठन की स्थापना की घोषणा करते हुए दीप सिद्धू ने कहा था कि इसका मकसद युवाओं को सिख पंथ के रास्ते पर लाना और पंजाब को जगाना है. उनकी 15 फरवरी 2022 को दिल्ली से लौटते समय हुए सड़क हादसे में मौत हो गई थी. उनकी मौत के बाद अमृतपाल सिंह दुबई से भारत लौटा और वारिस पंजाब दे का कामकाज प्रमुख के रूप में संभाला.  

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वारिस पंजाब दे उस समय चर्चा में आया जब इसके समर्थकों ने 22 फरवरी 2023 को अमृतसर के अजनाला पुलिस थाने पर हमला कर दिया. इस भीड़ का नेतृत्व अमृतपाल कर रहा था. भीड़ अमृतपाल के करीबी लवप्रीत सिंह की गिरफ्तारी से नाराज थी. पंजाब पुलिस ने 23 अप्रैल 2023 को मोगा जिले के रोडे गांव से गिरफ्तार किया था. इसके बाद उसे असम के डिब्रूगढ़ जेल भेज दिया गया. उसी समय से वह वहां बंद है. उसने जेल में रहते हुए ही लोकसभा का चुनाव लड़ा और जीता. अमृतपाल ने कोर्ट के आदेश पर पांच जुलाई 2024 को संसद के रूप में शपथ ली. 

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