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केजरीवाल को 2024 में लगा चौथा बड़ा झटका, जानिए कैलाश गहलोत के इस्तीफे की पूरी कहानी

Kailash Gehlot Resigned From AAP: अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) की आम आदमी पार्टी (AAP) से उसके एक और साथी ने अपना दामन छुड़ा लिया. परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत (Kailash Gehlot) ने आज इस्तीफा देते हुए अपने एक्स बॉस से लेकर पार्टी तक पर गंभीर आरोप लगाए. इसी तरह आप ने भी पलटवार करते हुए अपने दल में कुछ घंटे पहले तक रहे नेता पर गंभीर आरोप लगाए. बीजेपी से ईडी तक का हाथ बताया. सबसे खास बात ये कि अरविंद केजरीवाल ने भी अपने नेता के जाने और आरोपों पर कुछ भी नहीं बोले. सवाल पूछने पर माइक को अपने दूसरे नेता को दे दिया. हालांकि, ये पहले बार नहीं हुआ. जब-जब आम आदमी पार्टी के किसी नेता ने पार्टी को छोड़ा है, लगभग ऐसा ही होता आया है. आरोप के बदले आरोप, बीजेपी का हाथ और अरविंद केजरीवाल चुप.

पहला झटका

इसी साल 10 अप्रैल 2024 को दिल्ली में अरविंद केजरीवाल सरकार के मंत्री और आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता राजकुमार आनंद ने मंत्री पद और पार्टी की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया. राजकुमार आनंद अरविंद केजरीवाल सरकार में समाज कल्याण मंत्रालय संभाल रहे थे. राजकुमार आनंद (Rajkumar Anand) ने कहा कि आम आदमी पार्टी में दलित विधायकों या पार्षदों का कोई सम्मान नहीं होता है. दलितों को प्रमुख पदों पर जगह नहीं दी जाती है. मैं बाबा साहब अंबेडकर के सिद्धांत पर चलने वाला व्यक्ति हूं. अगर दलितों के लिए ही काम नहीं कर पाया तो फिर पार्टी में रहने का कोई मतलब नहीं है. जवाब में आप ने कहा कि राजकुमार आनंद पर बीजेपी और ईडी का दबाव है. अरविंद केजरीवाल ने कोई बयान उस दिन नहीं दिया.

दूसरा झटका

13 मई 2024 को स्वाति मालीवाल 13 मई को सुबह 9 बजे के करीब अरविंद केजरीवाल से मिलने उनके आवास पर गईं थी. स्वाति का आरोप है कि विभव ने उन्हें 7-8 थप्पड़ पूरी जोर से मारे, जिससे उनका सिर सेंटर टेबल से टकराया. नीचे गिरने पर उसने उन्हें लातों से मारा, जिससे शर्ट के बटन खुल गए थे. स्वाति मालीवाल के बयान के बाद16 मई को केस दर्ज हुआ था. 18 मई को विभव को केजरीवाल के घर से गिरफ्तार कर लिया गया था. इस मामले में भी प्रेस कांफ्रेंस के दौरान जब केजरीवाल से सवाल पूछा गया तो उन्होंने माइक संजय सिंह की ओर कर दिया.

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तीसरा झटका

6 सितंबर 2024 को दिल्ली के पूर्व मंत्री और आम आदमी पार्टी (आप) विधायक राजेन्द्र पाल गौतम शुक्रवार को कांग्रेस में शामिल हो गए. कांग्रेस ज्वाइन करने पर राजेंद्र पाल गौतम ने कहा कि संविधान खतरे में है और बीजेपी को हटाना है. उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी के साथ कांग्रेस मिलकर लड़ेगी तो कोई दिक्कत नहीं है.आम आदमी पार्टी में एससी/ एसटी/ ओबीसी के लोगों को नजरअंदाज किया जाता रहा है. इसलिए मैंने कांग्रेस का दामन थामा है. इस मामले में आप बीजेपी पर आरोप नहीं लगा पाई, लेकिन अपने नेता पर आरोप जरूर लगा गई.

आज क्या बोले केजरीवाल

आज अरविंद केजरीवाल ने पूर्व भाजपा विधायक अनिल झा का आप में स्वागत करने के लिए एक संवाददाता सम्मेलन बुलाया. केजरीवाल से गहलोत के अचानक बाहर निकलने के बारे में पूछा गया. पूर्व मुख्यमंत्री ने तुरंत माइक्रोफोन अपने बगल में बैठे पार्टी के वरिष्ठ नेता दुर्गेश पाठक की ओर घुमाया. जब रिपोर्टर ने उनकी प्रतिक्रिया के लिए जोर दिया, तो केजरीवाल ने मुस्कुराते हुए कहा, “आपको जवाब चाहिए, है ना?” 

AAP ने क्या कहा

पाठक ने कहा कि कैलाश गहलोत से कई महीनों से ईडी और आयकर द्वारा पूछताछ और छापेमारी की जा रही थी. उन्होंने कहा, “इसलिए उनके पास कोई विकल्प नहीं था, लेकिन इससे यह स्पष्ट हो गया है कि भाजपा दिल्ली चुनाव हार गई है. उनके पास कोई मुद्दा नहीं है, वे ईडी, सीबीआई और आयकर के आधार पर लड़ रहे हैं और हम लोगों के मुद्दों पर लड़ रहे हैं.” इससे पहले, आप के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने कहा कि श्री गहलोत का इस्तीफा भाजपा की “गंदी राजनीति” का हिस्सा है. उन्होंने एक वीडियो में कहा, “कैलाश गहलोत पर ईडी-सीबीआई छापों के जरिए दबाव डाला जा रहा है और वह बीजेपी की स्क्रिप्ट के मुताबिक बोल रहे हैं. दिल्ली चुनाव से पहले मोदी वॉशिंग मशीन सक्रिय हो गई है. अब इसके जरिए कई नेताओं को बीजेपी में लिया जाएगा.” 

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गहलोत के इस्तीफे की कहानी

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सूत्रों का कहना है कि गहलोत और AAP नेतृत्व के बीच कलह के बीज 15 अगस्त को दिल्ली सरकार के स्वतंत्रता दिवस समारोह के दौरान राष्ट्रीय ध्वज फहराने को लेकर डल गए थे. दिल्ली के तत्कालीन मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल उस समय जेल में थे. केजरीवाल ने निर्देश दिया था कि दिल्ली की तत्कालीन शिक्षा मंत्री आतिशी झंडा फहराएं. हालांकि, दिल्ली के उपराज्यपाल (एलजी) वीके सक्सेना ने निर्देश को अमान्य मानते हुए हस्तक्षेप किया और इसके बजाय कैलाश गहलोत को इस काम के लिए नामित किया. आप ने उपराज्यपाल पर उसके अधिकार को कमजोर करने का आरोप लगाया और इस कदम को “ओछी राजनीति” बताया. आतिशी ने सक्सेना के फैसले की आलोचना की, इसे “तानाशाही” का कार्य करार दिया और लोकतंत्र के प्रति भाजपा की प्रतिबद्धता पर सवाल उठाया. फिर गहलोत ने उपराज्यपाल के निर्देशों का पालन करते हुए झंडा फहराया और यहीं से केजरीवाल और आप के साथ उनके संबंधों में तनाव आ गया.इसके बाद पिछले साल दिसंबर में गहलोत से कानून विभाग छीनकर आतिशी को सौंप दिया गया. फिर वो मुख्यमंत्री बन गईं और गहलोत और कमजोर होते चले गए. 

गहलोत ने क्या कहा

अपने त्यागपत्र में गहलोत ने AAP से जुड़े विवादों को “शर्मनाक और अजीब” बताया. उन्होंने कहा, “मैं सबसे पहले आपको एक विधायक और एक मंत्री के रूप में दिल्ली के लोगों की सेवा और प्रतिनिधित्व करने का सम्मान देने के लिए ईमानदारी से धन्यवाद देना चाहता हूं. हालांकि, साथ ही, मैं आपके साथ यह भी साझा करना चाहता हूं कि आज आम आदमी पार्टी को गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं ने लोगों के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को खत्म कर दिया है, जिससे कई वादे अधूरे रह गए हैं. उदाहरण के लिए यमुना को लें, जिसे हमने एक स्वच्छ नदी में बदलने का वादा किया था, लेकिन ऐसा कभी नहीं हुआ. अब यमुना नदी शायद उससे भी अधिक प्रदूषित है. इसके अलावा अब ‘शीशमहल’ जैसे कई शर्मनाक और अजीब विवाद भी हैं, जो अब हर किसी को संदेह में डाल रहे हैं कि क्या हम अब भी आम आदमी होने में विश्वास करते हैं?

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कैलाश गहलोत कहां के हैं

लंबे समय तक आप नेता रहे कैलाश गहलोत के पास अभी तक दिल्ली सरकार में प्रशासनिक सुधार, परिवहन, गृह, महिला एवं बाल विकास और सूचना प्रौद्योगिकी विभाग थे. उन्होंने फरवरी 2015 में नजफगढ़ निर्वाचन क्षेत्र से दिल्ली विधानसभा के लिए अपना पहला चुनाव जीता. 1974 में जन्मे गहलोत नजफगढ़ के मित्राऊं गांव के रहने वाले हैं, जहां उनका परिवार नौ पीढ़ियों से अधिक समय से रह रहा है.गहलोत 16 वर्षों से अधिक की कानूनी प्रैक्टिस के साथ उच्चतम न्यायालय और दिल्ली उच्च न्यायालय में एक वकील भी हैं. उन्हें 2005 से 2007 तक दिल्ली उच्च न्यायालय के बार एसोसिएशन में सदस्य कार्यकारी के रूप में चुना गया था. 


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