महाकुंभ 2025: अग्नि अखाड़े की पेशवाई का भव्य आगाज़, साधुओं ने मेला क्षेत्र में किया प्रवेश
प्रयागराज:
प्रयागराज में संगम की धरती पर अगले साल की शुरुआत में लगने जा रहे विश्व के सबसे बड़े आध्यात्मिक और धार्मिक मेले महाकुंभ 2025 को लेकर अब महज 17 दिन बचे है. संगम की रेती पर 13 जनवरी 2025 से शुरू होने जा रहे इस धार्मिक मेले को दिव्य और भव्य बनाने को लेकर युद्धस्तर पर तैयारियां चल रही है. वहीं, इस मेले में आकर्षण का केंद्र रहने वाले 13 अखाड़ों से जुड़े साधु-संतों का मेला क्षेत्र में आने का सिलसिला शुरू हो चुका है. आज इन 13 अखाड़ों में से एक शंभु पंच अग्नि अखाड़े का छावनी प्रवेश जिसे पहले पेशवाई के नाम से जाना जाता था. उसकी शोभायात्रा चौफटका स्थित अनंत माधव मंदिर से शुरू हुई.
अग्नि अखाड़े का छावनी प्रवेश पुराने शहर के कई इलाकों से गुजरते हुए मेला क्षेत्र में अपनी छावनी में प्रवेश कर गया. आपको बता दें कि अबतक दो अखाड़े जिसमें नागा सन्यासियों से जुड़े जुना अखाड़े और आवाहन अखाड़े ने अपना छावनी प्रवेश मेला क्षेत्र में कर लिया है. करीब दस किलोमीटर लंबी इस छावनी प्रवेश में अग्नि अखाड़े से जुड़े तमाम साधु-संत शामिल हुए. अग्नि अखाड़े का छावनी प्रवेश भव्य तरीके से निकला, जिसमें घोड़े, पालकी, रथ, बग्गी और चांदी के ओहदे पर सवार होकर साधु-संत मेला क्षेत्र में बने अपनी छावनी में प्रवेश कर गए. पूरे लाव लश्कर के साथ आज मेला क्षेत्र में तीसरे अखाड़े ने प्रवेश कर लिया है. अभी दस और अखाड़े मेला क्षेत्र में अपनी आमद कराएंगे. सब अखाड़ों के शिविर बनने का काम तेज़ी से चल रहा है.
बता दें कि अग्नि अखाड़ा शैव सन्यासी संप्रदाय से जुड़ा हुआ है. इस अखाड़े में केवल ब्रह्मचारी ब्राह्मण ही दीक्षा ले सकते है. शैव अखाड़े से जुड़े कुल सात अखाड़े है. देश में कुल 13 अखाड़े हैं, जिसमें 7 शैव, 3 बैरागी और 3 उदासीन अखाड़े है. ये अखाड़े देखने में एक जैसे लगते है लेकिन इनकी परंपराएं और पद्धतियां बिल्कुल अलग होती है. शैव अखाड़े वो होते है जो शिव की भक्ति करते है, वैष्णव अखाड़े विष्णु के भक्त होते है और तीसरा संप्रदाय उदासीन खालसा पंथ से जुड़ा है. उदासीन पंथ के लोग गुरु नानक की वाणी से बहुत प्रेरित होते है.
पेशवाई के दौरान सुरक्षा के विशेष इंतजाम किये गये थे. यात्रा पथ पर भारी संख्या में घुड़सवार पुलिस और अन्य पुलिसकर्मी तैनात रहे.
पेशवाई और नगर प्रवेश क्या होते हैं?
इन दोनों का सीधा संबंध यूं तो साधु संन्यासियों के कुंभ में आने से हैं. नगर प्रवेश छोटा जश्न होता है. जब देशभर से साधु संत कुंभ नगरी में आते हैं, तो शहर के बाबरी हिस्से में इकट्ठे होकर जुलूस की शक्ल में धूम धाम से अपने आश्रम (स्थाई आश्रम) तक जाते हैं. पेशवाई वो कार्यक्रम होता है जब कुंभ/महाकुंभ शुरू होने से पहले एक शुभ लग्न देखकर अखाड़े अपने स्थाई आश्रम से कुंभ क्षेत्र में बने अपने शिविर (अस्थाई आश्रम) में जाते हैं. इस दौरान अखाड़े अपने वैभव और शक्ति का प्रदर्शन करते हैं. हाथी, घोड़े, ऊंट, अस्त्र, शस्त्र और साधुओं की संख्या के आठ भव्य जुलूस लेकर अखाड़े के साधु संत कुंभ क्षेत्र में प्रवेश करते हैं.