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महाराष्ट्र: महायुति सरकार के मंत्री धनंजय मुंडे का इस्तीफा, सरपंच हत्या का आरोपी था दाहिना हाथ


मुंबई:

आखिरकार महाराष्ट्र की महायुति सरकार के सबसे विवादित मंत्रियों में से एक धनंजय मुंडे ने इस्तीफा दे दिया है. उनकी बर्खास्तगी की मांग दिसंबर में सरकार बनने के साथ ही उठने लगी थी. मुंडे की विदाई को देवेंद्र फडणवीस की सरकार की छवि को साफ-सुथरा बनाए रखने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है. हालांकि, राजनीतिक गलियारों में यह सवाल भी उठ रहा है कि फडणवीस ने मुंडे को हटाने में इतनी देर क्यों की. साथ ही, यह भी एक बड़ा सवाल है कि उनकी जगह अब कौन लेगा? एक और मंत्री, माणिकराव कोकाटे का भविष्य भी अधर में लटका हुआ है, क्योंकि वह धोखाधड़ी के मामले में दोषी ठहराए गए हैं.

तीन महीनों से लगातार दबाव बढ़ने के बाद फडणवीस मंत्रिमंडल में इस्तीफों की शुरुआत हो चुकी है और धनंजय मुंडे इसकी पहली कड़ी बने हैं. एनसीपी नेता मुंडे हमेशा किसी न किसी विवाद में घिरे रहे हैं, जिसमें उनकी अलग रह रही पत्नी करुणा शर्मा से अनबन भी शामिल है. लेकिन बीड के सरपंच संतोष देशमुख की हत्या ने उनकी मंत्री पद की कुर्सी छीन ली. वाल्मिकी कराड, जो कथित तौर पर एक जबरन वसूली करने वाला और देशमुख हत्याकांड का मुख्य आरोपी है. मुंडे का करीबी माना जाता था. जबसे इस मामले में कराड का नाम सामने आया, विपक्षी दल और सामाजिक कार्यकर्ता अंजलि दमानिया लगातार फडणवीस से मुंडे को बर्खास्त करने की मांग कर रहे थे. लेकिन गठबंधन की मजबूरियों के चलते, फडणवीस ने यह फैसला नहीं लिया और कहा कि यह फैसला एनसीपी प्रमुख अजित पवार का होगा.

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फडणवीस ने अजित पवार के साथ बैठक की

आखिरकार सोमवार शाम जब कई टीवी चैनलों ने सरपंच देशमुख की हत्या की वीभत्स तस्वीरें प्रसारित कीं, तब जाकर इस मामले ने तूल पकड़ा. क्षेत्रीय चैनलों में इस खबर के ज़ोर पकड़ने के बाद फडणवीस ने अजित पवार के साथ बैठक की और स्पष्ट कर दिया कि मुंडे को अब कैबिनेट में बनाए रखना संभव नहीं है. अब तक मुंडे का बचाव कर रहे पवार को अंततः झुकना पड़ा.

फडणवीस और मुंडे की दोस्ती जगजाहिर

फडणवीस और पवार दोनों के लिए मुंडे का इस्तीफा लेना आसान नहीं था. महाराष्ट्र की राजनीति में फडणवीस और मुंडे की दोस्ती जगज़ाहिर है. दोनों अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) के समय से एक-दूसरे को जानते थे. मुंडे, अजित पवार के भी विश्वासपात्र थे. नवंबर 2019 में जब पवार पहली बार एनसीपी से बगावत कर कुछ विधायकों के साथ बाहर आए थे, तो मुंडे उनके साथ थे. जून 2023 में पवार की दूसरी बगावत में भी उन्होंने अहम भूमिका निभाई थी. मुंडे, बीजेपी के दिवंगत नेता गोपीनाथ मुंडे के भतीजे हैं और मराठवाड़ा क्षेत्र में ओबीसी समुदाय के बीच उनकी अच्छी पकड़ थी.

मुंडे का इस्तीफा ऐसे समय में आया है जब महाराष्ट्र का बजट सत्र चल रहा है. सत्र के पहले ही दिन विपक्ष ने उनके इस्तीफे की मांग को लेकर प्रदर्शन किया था. विपक्ष ने दूसरे दिन भी इस मुद्दे पर हंगामा करने की योजना बनाई थी. लेकिन फडणवीस ने ऐलान करके मामला शांत कर दिया कि उन्होंने मुंडे का इस्तीफा स्वीकार कर लिया है. हालांकि, समाजवादी पार्टी के नेता अबू आजमी द्वारा मुगल शासक औरंगजेब की तारीफ को लेकर सत्ता पक्ष ने जो हंगामा किया, उसने मुंडे के मुद्दे को पीछे छोड़ दिया.

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अब सवाल यह है कि मुंडे की जगह एनसीपी के दिग्गज नेता छगन भुजबल को मंत्री बनाया जाएगा या नहीं. भुजबल को कैबिनेट से बाहर रखने से वह पहले से ही नाराज चल रहे हैं. मुंडे की ही तरह वह भी ओबीसी समुदाय का प्रतिनिधित्व करते हैं, इसलिए उनका नाम चर्चा में है.

इधर, एनसीपी के ही एक और मंत्री माणिकराव कोकाटे का भविष्य भी अधर में लटका हुआ है. नासिक की एक अदालत में उनके खिलाफ सुनवाई चल रही है. उन्हें मुख्यमंत्री के विवेकाधीन कोटे से गलत तरीके से आवासीय फ्लैट लेने के मामले में दोषी ठहराया गया है. उन्होंने अपनी सजा पर रोक लगाने के लिए अदालत में याचिका दायर की है और 5 मार्च को इस पर फैसला आने की उम्मीद है.


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