मनीष सिसोदिया को SC से नहीं मिली जमानत, कहा- "336 करोड़ की मनी ट्रेल साबित हुई, 6-8 महीने में हो ट्रायल पूरा"

शराब घोटाला मामले में मनीष सिसोदिया को सुप्रीम कोर्ट से जमानत नहीं मिली है. सुप्रीम कोर्ट ने जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान कहा कि इस मामले में 336 करोड़ रुपये की मनी ट्रेल साबित हुई हो गई है. साथ ही कहा कि 6 से 8 महीने में ट्रायल पूरा हो. अगर 6 से 8 महीने में ट्रायल पूरा नहीं होता, तो मनीष सिसोदिया दोबारा जमानत की याचिका दाखिल कर सकते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जांच एजेंसी ने हमारे ज्यादातर सवालों का उचित जवाब नहीं दिया.
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सुप्रीम कोर्ट की न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति एस. वी. एन भट्टी की पीठ ने यह फैसला सुनाया है. पीठ ने दोनों याचिकाओं पर 17 अक्टूबर को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. कोर्ट ने 17 अक्टूबर को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से कहा था कि अगर दिल्ली आबकारी नीति में बदलाव के लिए कथित तौर पर दी गई रिश्वत ‘अपराध से आय’ का हिस्सा नहीं है, तो संघीय एजेंसी के लिए सिसोदिया के खिलाफ धनशोधन का आरोप साबित करना कठिन होगा.
केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने आबकारी नीति ‘घोटाले’ में कथित भूमिका को लेकर सिसोदिया को 26 फरवरी को गिरफ्तार किया था. वह, उस समय से हिरासत में हैं. ईडी ने सीबीआई की प्राथमिकी पर आधारित धनशोधन मामले में नौ मार्च को तिहाड़ जेल में पूछताछ के बाद सिसोदिया को गिरफ्तार कर लिया था. सिसोदिया ने 28 फरवरी को दिल्ली मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया था.
उच्च न्यायालय ने 30 मई को सीबीआई मामले में उन्हें जमानत देने से इनकार करते हुए कहा था कि उपमुख्यमंत्री और आबकारी मंत्री के पद पर रहने के नाते, वह एक ‘प्रभावशाली’ व्यक्ति हैं तथा वह गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं. उच्च न्यायालय ने धनशोधन मामले में तीन जुलाई को उन्हें जमानत देने से इनकार करते हुए कहा था कि उनके खिलाफ आरोप ‘बहुत गंभीर प्रकृति’ के हैं.
ईडी का धन शोधन मामला केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की प्राथमिकी पर आधारित है. सीबीआई और ईडी के अनुसार, दिल्ली आबकारी नीति 2021-22 को संशोधित करते समय अनियमितताएं की गईं और लाइसेंस धारकों को अनुचित लाभ पहुंचाया गया.
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