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दिल्ली की मटिया महल सीट : न सूरज की रोशनी; न साफ हवा, रोज लगने वाले जाम से क्षेत्र के वाशिंदे खफा


नई दिल्ली:

Delhi Assembly Elections: चांदनी चौक का मटिया महल इलाके की भीड़भाड़ में वह पुरानी और ऐतिहासिक विरासत कहीं गुम है जो मटिया महल से जुड़ी है. कहते हैं शाहजहां मटिया महल में रहा करता था. तब लाल किला बन ही रहा था. लेकिन अब यह घनी रिहायशी बस्ती है जो जामा मस्जिद के ठीक सामने से शुरू होती है. मटिया महल आम आदमी पार्टी के शोएब इकबाल के राजनीतिक दबदबे वाली सीट है. उनका असर ऐसा है कि कांग्रेस-बीजेपी दोनों कभी यह सीट जीत नहीं सकीं.

शोएब इकबाल सन 2015 को छोड़कर छह बार विधायक रहे और इस बार उन्होंने अपने बेटे आले इकबाल को टिकट दिलाया है. आले इकबाल का मुकाबला कांग्रेस के आसिम अहमद खान से है जिन्होंने 2015 में शोएब को शिकस्त दी थी. 

मटिया महल बड़ा कारोबारी इलाका है. अजमेरी गेट, लाल कुआं, जामा मस्जिद, मिंटो रोड, डीडीयू मार्ग, टैगोर मार्ग, सीताराम बाजार और चावड़ी बाजार जैसे व्यापारिक इलाके इसी विधानसभा क्षेत्र में आते हैं. यहां पूरे देश से खरीदार पहुंचते हैं और थोक में सामान लेकर राज्यों को सप्लाई करते हैं. मटिया महल की घनी बस्तियों में आप दाखिल होते हैं तो बिजली पानी और सीवर का संकट भी दिखता है. मटिया महल में ही हमने एक ऐसी घनी बस्ती को देखा जहां सूरज की एक किरण तक नहीं पहुंचती.

यह ऐसी घनी बस्ती है जहां पर आप जिंदगी की कल्पना नहीं कर सकते. यहां सूरज की रोशनी और साफ हवा नहीं पहुंचती. लोग 5 फुट के कमरे में जानवरों की तरह ठुंसे हुए हैं. शौचालय भी उपलब्ध नहीं हैं. 

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लेकिन मटिया महल विधानसभा में सबसे बड़ी समस्या जाम की है. घनी बस्तियों में रहने वाले लोग भयंकर जाम और भीड़भाड़ से हलकान हैं. पार्किंग यहां की सबसे बड़ी समस्या बनी हुई है. इलाके में कमोबेश रोज जाम लगा दिखता है. लोग अपनी गाड़ियां दूर पार्क करके बैटरी रिक्शा से वापस पहुंचते हैं. यहां खरीदारी करने वाले व्यापारियों को भी ऐसे ही जाम से रोजाना दो चार होना पड़ता है. 

दिल्ली के सीलमपुर विधानसभा क्षेत्र में 60 फीसदी मुस्लिम मतदाता हैं. सीलमपुर के बाद मटिया महल ही दूसरा सबसे बड़ा मुस्लिम बहुल विधानसभा क्षेत्र है. यहां एक पुरानी दिल्ली दिखती है जो नए दौर से अपने ढंग से तालमेल बिठा रही है. 

(मटिया महल विधानसभा क्षेत्र से शादाब सिद्दीकी की रिपोर्ट)


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