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हत्‍या का आरोपी 'मरने' के 20 साल बाद गिरफ्तार, पत्‍नी ले रही थी नेवी से पेंशन, ऐसे रची थी साजिश

आरोपी ने नाम बदलकर आधार कार्ड, पैन कार्ड और ड्राइविंग लाइसेंस बनवा लिए थे.

नई दिल्‍ली :

दिल्‍ली पुलिस (Delhi Police) ने नौसेना के एक पूर्व कर्मचारी को 20 साल बाद गिरफ्तार किया है. आरोपी ने हत्‍या के बाद खुद को मृत घोषित करने के लिए दो मजदूरों को ट्रक में जिंदा जला दिया था. इसके बाद उसने खुद को मृत घोषित किया और नाम बदलकर रह रहा था. यहां तक की उसकी पत्‍नी पेंशन भी ले रही थी. क्राइम ब्रांच के स्पेशल सीपी रविन्द्र यादव के मुताबिक, क्राइम ब्रांच की टीम को जानकारी मिली थी कि बालेश कुमार नाम का शख्स नजफगढ़ इलाके में अपना नाम बदलकर अमन सिंह के नाम से रह रहा है. इसके बाद टीम ने जाल बिछाकर उसे पकड़ा लिया. 

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पुलिस जांच में पता चला कि 1 मई 2004 को बालेश कुमार ने जोधपुर में अपने ट्रक को खुद ही आग लगा दी थी. इस हादसे में 2 लोगों के शव बरामद हुए थे. इनमें से एक की पहचान बालेश कुमार के तौर पर हुई थी, जबकि दूसरे मृतक की पहचान नहीं हो पाई थी. क्राइम ब्रांच की पूछताछ में आरोपी ने बताया कि ट्रक हादसे में मरने वाले दोनों मजदूर थे. दोनों मजदूरों को वो पैसे देकर दिल्ली के समयपुर बादली इलाके से अपने साथ ले गया था. दोनों मजदूर बिहार के रहने वाले थे और उनके नाम मनोज और मुकेश थे. आरोपी ने मजदूरों के बारे में इससे ज्यादा कुछ नहीं बताया. दिल्ली पुलिस ने जोधपुर के डांडियावार पुलिस थाने को दोनों मजदूरों की हत्या की जानकारी दे दी है, जिससे केस को दुबारा रि-ओपन कर जांच शुरू हो सके. 

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साथ ही पुलिस को जांच में ये भी पता चला कि बालेश कुमार ने खुद को मृत घोषित करवाने के बाद बीमा और पेंशन अपनी पत्नी के नाम ट्रांसफर करवा दी थी, जिस ट्रक में उसने हादसा दिखाया था वो उसके भाई महिंदर सिंह के नाम रजिस्टर्ड था. आरोपी ने ट्रक का भी पूरा इंश्योरेंस क्लेम लेकर अपनी पत्नी के नाम ट्रांसफर करवा दिया था. 

आरोपी ने पूछताछ में बताया कि शराब के नशे में उसने अपने भाई सुंदरलाल के साथ मिलकर 2004 में राजेश नाम के शख्स की समयपुर बादली के ट्रांसपोर्ट नगर में गला घोंटकर हत्या कर दी थी. उस वक्त तीनों शराब पी रहे थे. बालेश का राजेश की पत्नी के साथ अवैध संबंधों को लेकर झगड़ा हुआ था. हत्या के बाद उसने राजेश का शव बवाना इलाके में ठिकाने लगा दिया था. 

पुलिस ने हत्या के मामले में सुंदर लाल को गिरफ्तार कर लिया था, जबकि अदालत में बालेश का डेथ सर्टिफिकेट लगा दिया गया. आरोपी बालेश ने इसके बाद अपना नाम बदलकर अमन सिंह रख लिया और इसी नाम से आधार कार्ड, पैन कार्ड और ड्राइविंग लाइसेंस बनवा लिए. फिर इन्हीं दस्तावेजों के आधार पर बैंक अकाउंट भी खोल लिया. आरोपी बालेश कुमार मूलरूप से पानीपत के पास एक गांव का रहने वाला है. उसने 8वीं तक पढ़ाई की है. इसके बाद 1981 में वो नेवी में भर्ती हुआ और 1996 में रिटायर्ड हो गया था. रिटायरमेंट के बाद वो साल 2000 में परिवार के साथ उत्तम नगर में रहने लगा. फिलहाल आरोपी एक प्रॉपर्टी डीलर के तौर पर काम कर रहा था. 

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