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नरीमन का जीवन और करियर कानूनी पेशे के उच्चतम आदर्शों पर खरा साबित हुआ: CJI चंद्रचूड़

नई दिल्ली:

प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने बृहस्पतिवार को प्रख्यात न्यायविद् फली एस नरीमन की प्रशंसा करते हुए कहा कि एक नैतिक व्यक्ति का मुख्य दायित्व न्याय के लिए आवाज उठाने का होता है, भले ही इसके लिए कोई भी कीमत चुकानी पड़े. न्यायविद् नरीमन का 21 फरवरी को निधन हो गया था.

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नरीमन के सम्मान में उच्चतम न्यायालय में एक पूर्ण-न्यायालय संदर्भ में प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) ने कहा कि काम के प्रति नरीमन का समर्पण और कानून के प्रति प्रतिबद्धता उनके अंतिम दिन तक अपरिवर्तित रही. सीजेआई ने कहा, ‘‘एक नैतिक व्यक्ति का मुख्य दायित्व न्याय के लिए आवाज उठाने का होता है, भले ही इसके लिए कोई भी कीमत चुकानी पड़े, और श्री नरीमन हमेशा सही एवं उचित के लिए बोलने को तैयार रहते थे.’

न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा, ‘‘हमारी अदालतों के समक्ष नरीमन का जीवन और करियर कानूनी पेशे के उच्चतम आदर्शों पर खरा साबित हुआ.” उन्होंने कहा, ‘श्री नरीमन ने स्वतंत्रता, समानता और न्याय, हमारे संविधान तथा अंततः हमारे समाज के मूलभूत मूल्यों पर आधारित कानून की दृष्टि को आगे बढ़ाने का प्रयास किया. अवसर या प्रतिद्वंद्वी कोई भी रहा हो, वह हमेशा शालीनता और शिष्टता के साथ पेश आते थे.’

सीजेआई ने कहा कि जून 1975 में देश में आपातकाल लागू होने के बाद नरीमन ने अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के पद से इस्तीफा दे दिया था. न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि विभिन्न पृष्ठभूमि के अनगिनत मुवक्किलों के लिए पेश होने के बावजूद नरीमन ने हमेशा माना कि उनका सर्वोच्च कर्तव्य अदालत और संविधान के प्रति है.

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भारतीय न्यायपालिका के पुरोधा नरीमन कई ऐतिहासिक कानूनी कार्यवाहियों का हिस्सा थे, जिन्होंने आधुनिक भारत को आकार देने में मदद की. इसमें केशवानंद भारती मामला भी शामिल है, जिसमें शीर्ष अदालत ने बुनियादी संरचना सिद्धांत निर्धारित किया था.

 

(इस खबर को The Hindkeshariटीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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