"राष्ट्रपति शासन लगाएं…": संदेशखाली में हिंसा, बलात्कार के दावों के बीच राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग
राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (NCSC) ने शुक्रवार को बंगाल में हिंसा और राजनीतिक तनाव के बीच राष्ट्रपति शासन की सिफारिश की है. एनसीएससी के एक प्रतिनिधिमंडल ने गुरुवार को संदेशखाली का दौरा किया और आज सुबह राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अपनी रिपोर्ट सौंपी. आयोग के अध्यक्ष अरुण हलदर ने कहा, “राज्य में अपराधियों ने वहां की सरकार से हाथ मिला लिया है और ये अनुसूचित जाति समुदायों के सदस्यों के जीवन को प्रभावित कर रहा है.”
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अरुण हलदर ने ये भी दावा किया कि जब वो उन महिलाओं से मिलने की कोशिश कर रहे थे, जिन पर शेख शाहजहां द्वारा कथित तौर पर हमला किया गया था, उस दौरान एनसीएससी को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की सरकार से कोई मदद नहीं मिली.
संदेशखाली गांव बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले के बशीरहाट उपखंड में कालिंदी नदी के एक द्वीप पर है. भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा द्वारा भेजे गए पार्टी के प्रतिनिधिमंडलों को वहां अधिकारियों द्वारा रोके जाने के कारण राजनीतिक तनाव बढ़ गया है.
वहीं कांग्रेस की ओर से भी राज्य प्रमुख अधीर रंजन चौधरी ने नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने वहां जाने की कोशिश की. सीएम ममता बनर्जी के कट्टर आलोचक चौधरी ने उन पर इस मुद्दे का राजनीतिकरण करने की कोशिश करने का आरोप लगाया.
उन्होंने कोलकाता में पत्रकारों से पूछा, “विपक्षी दलों को संदेशखाली में प्रवेश करने से क्यों रोका जा रहा है? राज्य क्या छिपाने की कोशिश कर रहा है? वे इसका राजनीतिकरण करने की कोशिश क्यों कर रही हैं?”
जनवरी की शुरुआत में यहां प्रवर्तन निदेशालय ने करोड़ों रुपये के राशन वितरण घोटाले के सिलसिले में शाहजहां के आवास पर छापा मारा था, लेकिन शाहजहां के लोगों ने कथित तौर पर जांच एजेंसी के अधिकारियों पर हमला किया, जिससे कुछ हिंसा हुई और ईडी कर्मियों को चोटें आईं. शाहजहां और उसका एक करीबी सहयोगी 5 जनवरी के बाद से लापता हैं.
ये मामला ‘युवा हिंदू विवाहित महिलाओं’ के बलात्कार के आरोपों से बढ़ गया है. मंगलवार को केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने ये दावा किया था. साथ ही जमीन हड़पने के आरोप भी लगे हैं.
एक वकील द्वारा एक जनहित याचिका दायर करने के बाद आज सुबह ये आरोप सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गया, जिसमें एक विशेष जांच दल या केंद्रीय जांच ब्यूरो द्वारा जांच की मांग की गई है. इसमें उन पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की भी मांग की गई है, जिन्होंने कथित तौर पर बलात्कार की शिकायत दर्ज करने से इनकार कर दिया था.