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अगला टारगेट हूती सरदार! क्या है ये संगठन, कमांडर कौन और इजरायल से क्या दुश्मनी? यहां जानें सब कुछ


नई दिल्ली:

इजरायल और यमन के हूती विद्रोही अब सामने-सामने आ गए हैं, जिसकी वजह से इनकी खूब चर्चा हो रही है. इजरायल के सैन्य स्थलों को निशाना बनाकर हूती विद्रोहियों के ड्रोन हमले हाल के दिनों में काफी बढ़ गए हैं. इसके बाद इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने खुला ऐलान कर दिया है कि हूती ग्रुप का अंजाम भी दूसरे आतंकी समूहों जैसा ही होगा. उन्होंने कहा कि इजरायल अकेले कार्रवाई नहीं कर रहा, बल्कि संयुक्त राज्य अमेरिका और अन्य राष्ट्र भी यही विचार रखते करते हैं कि हूती न केवल अंतरराष्ट्रीय शिपिंग के लिए, बल्कि वैश्विक व्यवस्था के लिए भी खतरा पैदा कर रहे हैं.

आइए आपको बताते हैं कि हूती क्या है, इसका टॉप लीडर कौन है और इजरायल से इसकी क्या दुश्मनी है.

हूती विद्रोही यमन में सक्रिय एक इस्लामी राजनीतिक और सैन्य संगठन है. इनका उदय 1990 के दशक में हुआ था, जब उसने यमन सरकार के खिलाफ विद्रोह शुरू किया था. हूती विद्रोहियों को ईरान का समर्थन हासिल है. इसका पूरा नाम ‘अंसार अल्लाह’ (Ansar Allah) है, जिसका अर्थ है ‘अल्लाह के सहायक’. यमन सरकार के खिलाफ विरोध और इस्लामी कानूनों को लागू करना इस संगठन का मुख्य मकसद है.

अबू जिबरिल है हूती का टॉप कमांडर

हूती विद्रोही समूह का टॉप कमांडर अब्दुल मलिक अल-हूती है, जिसे अबू जिबरिल भी कहा जाता है. ये हुसैन बद्रेददीन अल-हूती का भाई है, जिसने 2004 में यमन सरकार के खिलाफ विद्रोह किया था और उसी साल सितंबर में यमन की सेना ने उसे मार गिराया था.

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हूती यमन का अल्पसंख्यक शिया समुदाय है. यमन में सुन्नी की आबादी करीब 60 फ़ीसदी है, जबकि शिया की आबादी करीब 35 फ़ीसदी है.

इजरायल को अपना दुश्मन मानता है हूती

हूती विद्रोहियों के इजरायल से दुश्मनी की कई वजहें हैं. हूती इजरायल को अपना दुश्मन मानता है. उसका मानना है कि इज़रायल मध्य पूर्व में मुस्लिम देशों के खिलाफ काम करता है. इजरायल फिलिस्तीनी लोगों के अधिकारों का भी उल्लंघन करता है. इसके अलावा, हूतियों ने आरोप लगाया कि इजरायल यमन में उसके खिलाफ सैन्य अभियान चला रहा है. साथ ही सऊदी अरब को भी उसके खिलाफ लड़ने के लिए समर्थन दे रहा है.

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हाल में बढ़े हूती ड्रोन हमले के बाद, इजरायल के रक्षा मंत्री इजरायल काट्ज ने चेतावनी जारी करते हुए कहा, “हम हूतियों पर कड़ा हमला करेंगे, उनके रणनीतिक बुनियादी ढांचे को निशाना बनाएंगे और उनके नेताओं का सिर काट देंगे.”

वहीं हूती सैन्य प्रवक्ता याह्या सरिया ने कहा कि इजरायल के खिलाफ ये अभियान तब तक नहीं रुकेंगे, जब तक गाजा पर इजरायली आक्रमण बंद नहीं हो जाता और घेराबंदी नहीं हटा ली जाती.

इजरायल-हूती के बीच अब आमने-सामने की लड़ाई

हूती ने गाजा में फिलिस्तीनियों के समर्थन में अक्टूबर से इजरायल को छिटपुट रूप से निशाना बनाया है. जवाबी कार्रवाई में, इजरायल ने यमन पर कई बड़े पैमाने पर हवाई हमले किए हैं, जिनमें से सबसे हालिया हमला पिछले गुरुवार को हुआ. नवंबर 2023 से, हूती, इजरायल के शहरों पर रॉकेट और ड्रोन हमले कर रहे हैं और लाल सागर में ‘इजरायल से जुड़े’ शिपिंग को बाधित कर रहे हैं, ताकि इजरायल-हमास संघर्ष के बीच गाजा में फिलिस्तीनियों के साथ एकजुटता दिखाई जा सके.

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हूती ग्रुप इजरायल के शहरों की ओर रॉकेट और ड्रोन लॉन्च कर रहा है. गाजा में फिलिस्तीनियों के प्रति एकजुटता दर्शाने के लिए नवंबर 2023 से लाल सागर में ‘इजरायल से जुड़े’ शिपिंग को भी निशाना बना रहा है.

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7 अक्टूबर को इजरायल में हमास के बड़े हमले के जवाब में यहूदी राष्ट्र ने फिलिस्तीनी ग्रुप के कब्जे वाली गाजा पट्टी में सैन्य अभियान शुरू किया था. हमास के हमले में करीब 1200 लोग मारे गए थे, जबकि 250 से अधिक लोगों को बंधक बनाया गया था. इजरायली हमलों ने गाजा में बड़े पैमाने पर तबाही मचाई है और हजारों फिलिस्तीनियों की मौत हुई है.

यमन के अधिकांश हिस्सों पर हूती का नियंत्रण

हूती ग्रुप 2014 के अंत से यमन के अधिकांश हिस्से को नियंत्रित कर रहा है, जिससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त यमन की सरकार को राजधानी सना से बाहर होना पड़ा. अप्रैल 2022 से राष्ट्रपति नेतृत्व परिषद के नेतृत्व में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त यमनी सरकार मुख्य रूप से दक्षिणी और पूर्वी क्षेत्रों को नियंत्रित करती है. इसने अदन को अस्थायी राजधानी का दर्जा दिया है.

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एक दशक से चल रहे गृहयुद्ध ने अरब देश पर बहुत बुरा असर डाला है. संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों का अनुमान है कि 2021 के अंत तक, संघर्ष ने प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से 377,000 लोगों की जान ले ली थी. संयुक्त राष्ट्र ने यमन की स्थिति को ‘दुनिया का सबसे बड़ा मानवीय संकट’ घोषित किया है.

यमन में शांति का प्रयास लगातार जारी

वर्तमान में, लगभग 21.6 मिलियन लोग (यमन की दो-तिहाई आबादी) – मानवीय सहायता पर निर्भर हैं. पिछले एक दशक में, यमन में शांति को बढ़ावा देने के लिए कई अंतरराष्ट्रीय प्रयासों को सीमित सफलता ही मिली है.

अप्रैल 2022 में एक उल्लेखनीय युद्धविराम समझौता छह महीने तक चला. हालांकि तब से दोनों पक्षों ने बड़े पैमाने पर ‘वास्तविक युद्धविराम’ बनाए रखा है.

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