देश

सावन के पहले सोमवार पर यादव बंधुओं ने काशी विश्वनाथ में किया जलाभिषेक, निभाई दशकों पुरानी परंपरा

वाराणसी स्थित काशी विश्वनाथ मंदिर में अद्भुत परंपरा का निर्वहन किया गया. यहां यादव बंधुओं ने महादेव का जलाभिषेक किया. परंपरा जो दशकों पुरानी है. डमरू बजाते और हाथों में जलाभिषेक के लिए बड़े-बड़े कलश लेकर यादव बंधु दल बल के साथ, शिव भक्ति में रमे आगे बढ़ते दिखे. कुछ ने विभिन्न रूप भी धर रखे थे. प्रशासन की अपील थी कि किसी भी अप्रिय घटना से बचने के लिए दौड़ लगाकर मंदिर तक न पहुंचे. इसका भी पालन किया गया.

प्रभाकर यादव ने बताया कि यादव समाज द्वारा भगवान शिव को जल चढ़ाने की परंपरा बरसों पुरानी है. जगत कल्याण के लिए यादव समाज के लोग भगवान को जल चढ़ाते हैं. मैं खुद पिछले 35 सालों से जल चढ़ाता आ रहा हूं. हम लोग सावन माह के दौरान गंगा से जल लाते हैं और शिव जी को अर्पित करते हैं.

वहीं, अन्य भक्त पप्पू यादव ने कहा, “हमारे पूर्वजों से ये परंपरा चली आ रही है. करीब 35 से 40 हजार के बीच भक्तों की संख्या होती है. पहले गंगा घाट जाते हैं, उसके बाद अलग-अलग मंदिरों में जाकर भगवान शिव को जल चढ़ाते हैं.” सावन के पहले सोमवार पर हजारों की संख्या में यादव बंधु डमरू बजाते हुए जलाभिषेक करने के लिए काशी विश्वनाथ मंदिर जाते हैं. हालांकि, इस बार भक्तों की संख्या में बदलाव किया गया है. सावन के पहले सोमवार पर काशी विश्वनाथ मंदिर के गर्भगृह में सिर्फ 21 यादव बंधुओं को जाने की अनुमति मिली है। इसे लेकर भी कुछ मायूसी दिखी.

यह भी पढ़ें :-  छत्तीसगढ़ ; अबूझमाड़ के जंगलों में नक्सलियों और जवानों में मुठभेड़

बता दें, कि जलाभिषेक की ये परंपरा 1932 से शुरू की गई. बताया जाता है कि उस साल पूरे देश में जबरदस्त सूखा और अकाल पड़ा. उस वक्त किसी महात्मा ने उपाय सुझाया. उन्होंने कहा कि काशी में बाबा विश्वनाथ और अन्य शिवालयों में यादव समुदाय की तरफ से जलाभिषेक किया जाए तो सूखे से छुटकारा मिल सकता है तभी से ये परंपरा शुरू हो गई.

(इस खबर को The Hindkeshariटीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

Show More

संबंधित खबरें

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button