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पीएम मोदी ने 'मन की बात' में किया ‘फगवा चौताल’ का जिक्र, गिरमिटिया मजदूरों को बताया 'संरक्षक'

PM Modi’s Man Ki Baat: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को अपने रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ के 120वें एपिसोड में लोकगीत ‘फगवा चौताल’ का जिक्र किया. उन्होंने न केवल सूरीनाम के ‘चौताल’ का ऑडियो सुनाया, बल्कि बताया कि दुनिया भर में भारतीय संस्कृति अपने पांव पसार रही है. पीएम मोदी ने गिरमिटिया मजदूरों को संस्कृति का ‘संरक्षक’ भी बताया. रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ के दौरान पीएम मोदी ने कहा कि उन्हें इस कार्यक्रम के दौरान कई संदेश मिलते हैं, जिसके जरिए उन्हें संस्कृति और परंपराओं के बारे में अनोखी जानकारी भी मिलती है.

मॉरिशस यात्रा का किया जिक्र

वाराणसी के अथर्व कपूर, मुंबई के आर्यश लीखा और अत्रेय मान के संदेशों का जिक्र करते हुए पीएम ने कहा, “इन्होंने मेरी हाल की मॉरिशस यात्रा पर अपनी भावनाएं लिखकर भेजी हैं. उन्होंने बताया कि इस यात्रा के दौरान ‘गीत गवई’ (पारंपरिक भोजपुरी संगीत समूह) की प्रस्तुति से उन्हें बहुत आनंद आया. पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार से आए बहुत सारे पत्रों में मुझे ऐसी ही भावुकता देखने को मिली है. मॉरिशस में गीत गवई की शानदार प्रस्तुति के दौरान मैंने वहां जो महसूस किया, वो अद्भुत है.”

गिरमिटिया मजदूरों पर की बात

गिरमिटिया मजदूरों का जिक्र करते हुए पीएम मोदी ने कहा, “जब हम जड़ से जुड़े रहते हैं, तो कितना ही बड़ा तूफान आए, वो हमें उखाड़ नहीं पाता. करीब 200 साल पहले भारत से कई लोग गिरमिटिया मजदूर के रूप में मॉरिशस गए थे. किसी को नहीं पता था कि आगे क्या होगा, लेकिन समय के साथ वे वहां बस गए और अपनी एक पहचान बनाई. उन्होंने अपनी विरासत को सहेज कर रखा और जड़ों से जुड़े रहे. मॉरिशस ऐसा अकेला उदाहरण नहीं है; पिछले साल जब मैं गुयाना गया था, तो वहां की ‘चौताल’ प्रस्तुति ने मुझे बहुत प्रभावित किया.“

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पीएम ने कार्यक्रम के बीच में एक लोकगीत का ऑडियो सुनाया और कहा, “आप सोच रहे होंगे कि ये हमारे देश के किसी हिस्से की बात है, लेकिन आपको यह जानकर हैरानी होगी कि इसका संबंध फिजी से है. यह फिजी का लोकप्रिय ‘फगुआ चौताल’ है, जो गीत और संगीत हर किसी में जोश भर देता है.”

सूरीनाम के चौताल

प्रधानमंत्री ने बताया, “यह ऑडियो सूरीनाम के ‘चौताल’ का है. इस कार्यक्रम को टीवी पर देख रहे देशवासी, सूरीनाम के राष्ट्रपति और मेरे मित्र चान संतोखी जी को इसका आनंद लेते हुए देख सकते हैं. बैठक और गानों की यह परंपरा त्रिनिदाद एंड टोबैगो में भी खूब लोकप्रिय है. इन सभी देशों में लोग रामायण खूब पढ़ते हैं और यहां ‘फगुआ’ बहुत लोकप्रिय है. सभी भारतीय पर्व-त्योहार यहां पूरे उत्साह के साथ मनाए जाते हैं और उनके कई गाने भोजपुरी, अवधि या मिश्रित भाषा में होते हैं, कभी-कभार ब्रज और मैथिली का भी उपयोग होता है. इन देशों में हमारी परंपराओं को सहेजने वाले सभी लोग सराहना के पात्र हैं.”

भारतीय संस्कृति ग्लोबल 

इसके साथ ही पीएम ने ऐसे संगठनों के बारे में भी बात की, जो भारतीय संस्कृति को संरक्षित करने का काम कर रहे हैं. उन्होंने कहा, “कई संगठन हैं, जो वर्षों से भारतीय संस्कृति को संरक्षित करने का काम कर रहे हैं. ऐसा ही एक संगठन है ‘सिंगापुर इंडियन फाइन आर्ट्स सोसाइटी’. भारतीय नृत्य, संगीत और संस्कृति को संरक्षित करने में जुटे इस संगठन ने अपने गौरवशाली 75 साल पूरे किए हैं. इस अवसर से जुड़े कार्यक्रम में सिंगापुर के राष्ट्रपति थर्मन शनमुगरत्नम गेस्ट ऑफ ऑनर थे. उन्होंने इस संगठन के प्रयासों की खूब सराहना की थी. मैं इस टीम को शुभकामनाएं देता हूं.”

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