"वोटबैंक के तुष्टीकरण के लिए…" : कांग्रेस के राममंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह में न आने पर बोले PM नरेंद्र मोदी
PM नरेंद्र मोदी ने कहा, “जब हमारा जन्म भी नहीं हुआ था, जब हमारी पार्टी का जन्म भी नहीं हुआ था… उसी समय यह मामला कोर्ट में निपटाया जा सकता था… समस्या का समाधान हो सकता था… जब भारत का बंटवारा हुआ था, उसी वक्त, विभाजन के समय, वे ऐसा करने का निर्णय ले सकते थे… ऐसा नहीं किया गया, क्योंकि यह उनके हाथ में एक हथियार की तरह था, वोटबैंक की राजनीति के हथियार की तरह…”
उन्होंने कहा, “यहां तक कि जब मामला कोर्ट में चल रहा था, तब भी उन्होंने अदालत के फैसले में देरी करने की कोशिश की… क्यों…? क्योंकि उनके लिए यह एक राजनीतिक हथियार था… वे कहते रहे कि राम मंदिर बनेगा, वे तुम्हें मार देंगे… यह वोटबैंक को खुश करने का तरीका था, अब क्या हुआ…? राम मंदिर बन गया, कोई अप्रिय घटना नहीं हुई और यह मुद्दा उनके हाथ से निकल गया…”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आगे कहा, “दूसरी बात, उनका स्वभाव… सोमनाथ मंदिर से लेकर अब तक की घटनाओं को देखिए… सोमनाथ मंदिर में क्या दिक्कत थी…? डॉ राजेंद्र बाबू जाना चाहते थे… वहां कोई जनसंघ नहीं था, कोई BJP नहीं थी… लेकिन उन्होंने उन्हें जाने से मना कर दिया…”
उन्होंने कहा, “आपको गर्व होना चाहिए कि जिन लोगों ने राम मंदिर बनाया, जिन्होंने इसके लिए संघर्ष किया, वे आपके सभी पाप भूल गए… वे आपके घर आए और आपको आमंत्रित किया… वे नई शुरुआत करना चाहते हैं… आप उन्हें भी खारिज कर देते हैं… तब ऐसा लगता है कि आपको आपके वोटबैंक ने असहाय बना दिया है… और उसी वोटबैंक के चलते इस तरह की बातें होती रहती हैं… और यह – किसी को नीचा दिखाना, किसी को अपमानित करना, यह उनका स्वभाव है…”
PM नरेंद्र मोदी ने इंटरव्यू में आगे कहा, “अब अगर मैं पूर्वोत्तर भारत जाता हूं… अगर वहां लोग मुझे अपने कपड़े पहनने के लिए कहते हैं, तो मैं उन्हें पहन लेता हूं… इसका भी मज़ाक उड़ाया जा रहा है… अगर मैं तमिलनाडु जाता हूं, और लुंगी पहन लेता हूं, तो आपको लगता है – देखो, वह ऐसा कर रहा है, वह वैसा कर रहा है… मुझे हैरानी है, उनके भीतर इतनी नफ़रत है…”
उन्होंने कहा, “जब (राम मंदिर) ट्रस्ट मेरे पास राममंदिर प्राण प्रतिष्ठा का निमंत्रण लेकर आया, तो मैं सोचने लगा कि मुझे इतनी बड़ी ज़िम्मेदारी दी जा रही है, मैं खुद को इस लायक कैसे बनाऊं…? इसलिए मैंने कुछ संतों और मेरे आध्यात्मिक जीवन से जुड़े कुछ लोगों से सलाह ली… मैं यह कदम एक प्रधानमंत्री के रूप में नहीं उठाता… मैं इसे भगवान राम के भक्त के रूप में करना चाहता था… मैं क्या कर सकता हूं…? मुझे उनसे बहुत-से सुझाव मिले, लेकिन मैंने भी शोध किया… फिर मैंने तय किया कि मैं 11 दिन तक अनुष्ठान करूंगा और मैं ज़मीन पर सोता था, मैं नारियल पानी पीकर रह रहा था और मैंने फ़ैसला किया कि जहां-जहां भी भगवान राम गए थे, मैं वहां जाने की कोशिश करूंगा…”
PM ने आगे बताया, “मैं दक्षिण भारत में श्रीरंगम मंदिर गया… और मैंने वहां कम्ब रामायण का अध्ययन किया… तब वहां मौजूद लोगों ने मुझे बताया, सर, 800 साल पहले, जब कम्ब रामायण की रचना हुई थी, तो पहला पाठ इसी स्थान पर हुआ था… और मैंने देखा कि हर किसी की आंख में आंसू थे… यह अनुभव, जो मुझे हुआ है, खासकर दक्षिण भारत में, यहां बैठे लोग नहीं समझ पाएंगे… यह कैसी भक्ति है…? यह कैसी आस्था है…? कितनी पवित्रता है इसमें…? मेरी यात्रा व्यक्तिगत थी… लेकिन लोगों ने मेरा साथ दिया… मैं इसे अपनी आध्यात्मिक यात्रा के बेहद अहम 11 दिनों के रूप में देखता हूं…”
इंटरव्यू के दौरान PM मोदी ने राम जन्मभूमि मंदिर निर्माण के पीछे के संघर्ष को भी याद किया. उन्होंने कहा, “मैं 500 साल के संघर्ष को देखा करता था… मैं 140 करोड़ लोगों की आस्था और उनके सपनों को देखा करता था, और देश के गरीबों को भी… उन्होंने पैसा देकर मंदिर बनाए हैं… यह मंदिर – मैं तीन चीज़ें देखता हूं… एक – 500 साल, दूसरा – तकनीक का उपयोग, इसकी खुदाई, सबूत, यह बहुत बड़ी बात है… और तीसरा – भारत में लाखों-करोड़ों लोगों ने वह सब दिया, जो वे दे सकते थे… यह मंदिर सरकार की बदौलत नहीं बना है… ये वे पहलू हैं, जो भारत का गौरव, भारत की ताकत, भारत के सपने, भारत का संकल्प हैं और भारत की भावी पीढ़ी को प्रेरित करेंगे…”