पुणे पोर्शे एक्सिडेंट केस : आरोपी नाबालिग को बचाने में उसके पिता, दादा और मां ने कोई कसर नहीं छोड़ी
नई दिल्ली:
Pune Porsche accident case: महाराष्ट्र के पुणे शहर में 19 मई को हुए एक हादसे में दो युवा आईटी पेशेवरों की मौत हो गई. इस हादसे ने मध्य प्रदेश के इन दोनों आईटी इंजीनियरों के परिवारों को गहरा आघात दिया. इन परिवारों की जिंदगी में एक ऐसा खालीपन आ गया जो कभी भरा नहीं जा सकेगा. इस घटना का दूसरा पक्ष ऐसा है जिसमें एक परिवार अपने बिगड़े बच्चे की करतूत पर परदा डालने के लिए जी जान से जुट गया है. यह उस नाबालिग लड़के का परिवार है जिसने शराब के नशे में अपनी तेज रफ्तार पोर्शे कार से टक्कर मारकर दो युवाओं को असमय मौत की नींद सुला दिया था.
पुणे में 19 मई की रात में नाबालिग लड़का पब में दोस्तों के साथ शराब पीने के बाद कार से जा रहा था. उसने अपनी पोर्शे कार से दो बाइक सवारों को टक्कर मारी थी. तेज रफ्तार कार की यह टक्कर इतनी जोरदार थी कि बाइक पर सवार युवक और युवती की मौके पर ही मौत हो गई थी. मारे गए अनीश अवधिया और अश्विनी कोष्ठा दोनों ही 24 साल के थे.
इस मामले में नाबालिग आरोपी के परिवार की ओर से घटना की जांच के नतीजे प्रभावित करने की कोशिशों के सबूत सामने आए हैं. उसके पिता विशाल अग्रवाल और दादा सुरेंद्र अग्रवाल ने ससून अस्पताल के डॉक्टरों को रिश्वत देकर मेडिकल रिपोर्ट में छेड़छाड़ कराई.
नाबालिग के परिवार ने रिश्वत दी
हादसे के बाद 19 मई की सुबह पुलिस ने मामला दर्ज किया था. इसके बाद नाबालिग आरोपी को फिजिकल चेकअप के लिए अस्पताल ले जाया गया. इस चेकअप में डॉक्टरों ने उसको क्लीन चिट दे दी थी. डॉक्टरों ने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि न तो वह शराब के नशे में है, न ही उसके शरीर पर एक्सीडेंट से आई किसी चोट के निशान हैं. जबकि एक्सीडेंट के बाद लोगों ने शराब के नशे में धुत्त नाबालिग को पकड़ा था और उसके साथ मौके पर ही हाथापाई की गई थी. मेडिकल रिपोर्ट में यह सब नदारद था. डॉक्टरों ने रिश्वत लेकर आरोपी को क्लीन चिट दी थी.
आरोपी के पिता विशाल की डॉक्टर से फोन पर 14 बार बातचीत हुई. दोनों के बीच यह बातचीत कार हादसे के बाद हुई थी. यह बातचीत नाबालिग आरोपी का ब्लड सैंपल बदलने के लिए की गई थी. घटना के दिन सुबह सवा आठ बजे से सुबह 11 बजे के बीच दोनों के बीच 14 बार बात हुई थी.
वार्डब्वाय से लेकर डॉक्टरों तक को मना लिया
क्राइम ब्रांच की जांच में पता चला कि अपनी संतान को बचाने की कोशिश में जुटे उसके पिता विशाल अग्रवाल और दादा सुरेंद्र अग्रवाल ने डॉक्टरों को तीन लाख रुपये की रिश्वत दी थी. जांच के दौरान वार्डब्वाय अतुल घाटकांबले को तीन लाख रुपये डॉक्टर तक पहुंचाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया. उसने कथित रूप से तीन लाख रुपये की रिश्वत ली थी और एक डॉक्टर तक पहुंचाई थी. क्राइम ब्रांच ने ढाई लाख रुपये चीफ मेडिकल ऑफिसर डॉ श्रीहरि हरनौल के पास से और 50 हजार रुपये अतुल घाटकांबले के पास से बरामद किए. डॉ हरनौल और अतुल के अलावा अस्पताल के फॉरेंसिक हेड डॉ अजय तवारे को सबूतों से छेड़छाड़ के आरोप में गिरफ्तार किया गया.
डॉक्टरों ने नाबालिग की रिपोर्ट ही नहीं बदली बल्कि उन्होंने रिश्वत के एवज में विशाल और सुरेंद्र अग्रवाल से यह वादा भी किया था कि मेडिकल सबंधित कोई परेशानी उन्हें नहीं होगी.
ड्राइवर पर इल्जाम अपने सिर लेने का दबाव बनाया
अग्रवाल परिवार बेटे को बचाने की कोशिश में किस कदर जुटा था, इसका एक और मामला तब सामने आया जब उनके ड्राइवर गंगाधर ने सुरेंद्र अग्रवाल के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई. अग्रवाल परिवार ड्राइवर गंगाधर को अगवा करके अपने बंगले में ले गया था. उन्होंने दो दिन तक उसे किडनैप करके रखा था. नाबालिग आरोपी के पिता और दादा उसे धमकाते रहे और लालच देते रहे. वे उस पर दबाव बना रहे थे कि वह एक्सीडेंट की जिम्मेदारी ले ले और पुलिस के सामने सरेंडर कर दे. ड्राइवर ने एफआईआर में यह भी कहा था कि शिवानी अग्रवाल ने उसे इमोशनल ब्लैकमेल करके अपने बेटे का सारा इल्जाम अपने सिर लेने को कहा था. इसका खुलासा होने के बाद सुरेंद्र अग्रवाल को गिरफ्तार किया गया. विशाल अग्रवाल को भी किडनैपिंग केस में हिरासत में लेकर पूछताछ की गई.
पोर्शे हिट एंड रन केस में नाबालिग आरोपी 17 साल है, लिहाजा यह मामला जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड में गया था. बोर्ड ने हादसे के 15 घंटे के अंदर उसे जमानत दे दी थी. लड़के को बोर्ड ने महज 300 शब्दों का निबंध लिखने और 7500 के दो बॉन्ड भरने समेत कुल 7 शर्तों पर छोड़ दिया था. बाद में उसकी जमानत रद्द की गई और उसे 5 जून तक निगरानी केंद्र में भेजा गया.