2028 तक तैयार हो जाएगा भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन का रोबोटिक वर्जन : The Hindkeshariसे बोले ISRO चीफ
नई दिल्ली:
रॉकेट और सैटेलाइट निर्माता बनने के बाद भारत की निगाहें अब अपना खुद का अंतरिक्ष स्टेशन (Space Station) बनाने पर है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने इस साल की शुरुआत में ही यह घोषणा की थी कि 2035 तक भारत के पास अपना अंतरिक्ष स्टेशन होगा. इस महत्वाकांक्षी लक्ष्य की प्रगति को साझा करते हुए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (Indian Space Research Organisation) के प्रमुख एस सोमनाथ (S Somanath) ने The Hindkeshariको बताया कि अंतरिक्ष स्टेशन का पहला चरण 2028 तक बनकर तैयार हो जाएगा.
उन्होंने कहा, “हम वर्तमान में इसे डिजाइन कर रहे हैं. अंतरिक्ष स्टेशन का पहला चरण 2028 तक बनाया जाना है. हमने विस्तृत डिजाइन पूरा कर लिया है, जो LVM3 (लॉन्च व्हीकल मार्क -3) द्वारा लॉन्च किए जाने में सक्षम है. 2028 में हम पहला मॉड्यूल लॉन्च करना शुरू करेंगे.”
इसरो प्रमुख ने यह भी बताया कि उनकी टीम ने सरकारी मंजूरी के लिए पूरी परियोजना रिपोर्ट और लागत अनुमान तैयार कर लिया है.
रोबोटिक गतिविधि को संभालने के लिए डिजाइन
अंतरिक्ष स्टेशन को शुरू में रोबोटिक गतिविधि को संभालने के लिए विकसित और डिजाइन किया जाएगा.
उन्होंने कहा, “इसकी शुरुआत रोबोटिक्स से होगी क्योंकि प्रक्रिया को सफल होना है और हमें मानव अंतरिक्ष उड़ान की क्षमता का निर्माण करना है. लंबी अवधि तक काम करने के लिए बहुत आत्मविश्वास पैदा करना होगा. इसलिए यह 2035 में होगा. तब तक अंतरिक्ष स्टेशन को बाहरी रोबोट तंत्र के साथ रोबोटिक गतिविधि को संभालने के लिए विकसित और डिजाइन किया जाएगा.”
साथ ही सोमनाथ ने यह भी उल्लेख किया कि यदि अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (International Space Station) को बंद कर दिया जाता है तो भारत उसे बदलने के वैश्विक प्रयास में भाग नहीं ले सकता है.
उन्होंने कहा, “हमारे पास आवश्यक संसाधन और प्रयास सीमित हैं. हमें इस बारे में बात करने के लिए समान स्तर पर होना होगा.”
ISS को सेवामुक्त करना आसान नहीं : सोमनाथ
भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी के प्रमुख ने यह भी कहा कि ISS को सेवामुक्त करना आसान नहीं है. उन्होंने कहा, “ISS को सेवामुक्त करना ऐसी बात है, जिसे हमने कई बार सुना है, लेकिन ऐसा कभी नहीं होता क्योंकि यह बहुत अधिक मूल्य वाला एक विशाल बुनियादी ढांचा है. किसी भी बिंदु पर इसे निष्क्रिय करना आसान नहीं है. हालांकि अगर यह खराब होता है तो यह ऑपरेशन के लिए समस्याएं पैदा करता है. शायद हम उचित समय पर निर्णय लेंगे.”
उन्होंने कहा, “इसका जीवन 2030 तक बढ़ा दिया गया है और उससे पहले हम अंतरिक्ष स्टेशन का अपना पहला मॉड्यूल बनाने जा रहे हैं. इसलिए हम फिलहाल स्वतंत्र अंतरिक्ष गतिविधि पर ध्यान केंद्रित करना चाहेंगे क्योंकि हम गगनयान को इससे जोड़ना चाहेंगे.”
सोमनाथ ने संकेत दिया कि भारत “निश्चित रूप से” अन्य देशों के साथ सहयोग करेगा जो “संयुक्त मिशन आदि के संदर्भ में” अंतरिक्ष स्टेशन विकसित कर रहे हैं.