कुर्बानी देना और जान देना मुसलमान का फख्र होता है… तालिबान को क्यों ललकार रही पाकिस्तानी सेना?
पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच रिश्ते लंबे समय से तनावपूर्ण रहे हैं और हाल ही में यह और बिगड़ गए हैं. अफगानिस्तान में पाकिस्तान द्वारा किए गए हवाई हमले ने इस तनाव को और बढ़ा दिया, जिसमें 46 लोगों की मौत हो गई है. पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल सैयद असीम मुनीर अहमद शाह ने इमरान और उनकी पार्टी PTI को खूब सुनाया है. उन्होंने अफगानिस्तान की तालिबानी सरकार को भी चेताया है.
पाकिस्तान के सेना प्रमुख ने कहा कि हम मुसलमान हैं और कुर्बानी देना, जान देना हमारे लिए गर्व की बात है. हम अपने ईमान, अपने वतन और अपनी आज़ादी पर किसी भी तरह का समझौता नहीं करेंगे. कोई भी राजनीतिक शख्सियत यह दावा करे कि उसे पूरी जानकारी है, तो ऐसे रवैयों की कीमत पूरी कौम अपने खून से चुकाती है और हम इस समय यही कीमत चुका रहे हैं. यह जो पॉलिसी थी, जिसमें बातचीत और समझौते की बात की गई थी, उसका खामियाजा हम सभी को भुगतना पड़ा. 2021 में भी किसकी जिद थी कि अफगानिस्तान से बातचीत कर समझौता किया जाए और उसी जिद की कीमत पाकिस्तान और पख्तूनख्वा को अदा करनी पड़ रही है.
उन्होंने यह भी कहा कि उन्होंने कई बार अफगान नेतृत्व से आग्रह किया था कि अफगान नागरिकों को नियंत्रित किया जाए, ताकि वे पाकिस्तान में आतंकवादी गतिविधियों में शामिल न हों. उन्होंने यह भी कहा कि अफगानिस्तान की जमीन से यह आतंकवाद और हिंसा बदस्तूर जारी रहा, तो पाकिस्तान कार्रवाई के लिए तैयार है.
अफगानिस्तान में पाकिस्तानी आतंकवादियों की मौजूदगी को लेकर इस्लामाबाद और काबुल के बीच बिगड़ते संबंधों के बीच ये हमले हुए हैं. तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) ने हाल के महीनों में पाकिस्तानी सेना के खिलाफ अपने अभियान तेज कर दिए हैं, इस्लामाबाद ने अफगान तालिबान पर समूह को पनाह देने का आरोप लगाया है.
पाकिस्तान बार-बार अफगान तालिबान से टीटीपी के खिलाफ कार्रवाई करने की अपील करता रहा है. हर बार काबुल ने आतंकवादियों को पनाह देने से से इंकार कर देता है.