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शेख हसीना तो गईं, अब किसके हाथ बांग्लादेश? ये हैं वे 11, जिन्हें मिल सकती है गद्दी


नई दिल्‍ली:

बांग्‍लादेश में व्‍यापक विरोध प्रदर्शनों (Bangladesh Protest) और हिंसा के बीच प्रधानमंत्री शेख हसीना (Sheikh Hasina) ने इस्‍तीफा दे दिया है और सुरक्षित स्‍थान के लिए रवाना हो गई हैं. इसके बाद सेना ने बांग्‍लादेश में अंतरिम सरकार बनाने का ऐलान किया है. सेना प्रमुख जनरल वकार-उज-जमां ने कहा है कि मैं देश की जिम्मेदारी ले रहा हूं. कृपया सहयोग करें. बांग्‍लादेश की इस नई अंतरिम सरकार में कौन-कौन शामिल होगा. इसे लेकर कयास लगाए जा रहे हैं. The Hindkeshariको मिली जानकारी के मुताबिक, अंतरिम सरकार में कई लोग शामिल हो सकते हैं. 

सेना प्रमुख वकार-उल-जमां ने कहा कि उन्होंने राजनीतिक नेताओं से मुलाकात की और उन्हें बताया कि सेना कानून-व्यवस्था की जिम्मेदारी संभालेगी. हालांकि बैठक में शेख हसीना की अवामी लीग पार्टी का कोई नेता मौजूद नहीं था. 

ये लोग हो सकते हैं अंतरिम सरकार में शामिल 

The Hindkeshariको सूत्रों के मुताबिक मिली जानकारी के अनुसार, इस अंतरिम सरकार में सलीमुल्‍लाह खान, जस्टिस रिटायर्ड एमए मतीन, प्रोसेफर आसिफ नजरुल, रिटायर्ड जस्टिस मोहम्‍मद अब्‍दुल वहाब मियां, रिटायर जनरल इकबाल करीम, रिटायर मेजर जनरल सैयद इफ्तिखारउद्दीन, डॉ. देबप्रिय भट्टाचार्य, मतिउर्रहमान चौधरी, रिटायर ब्रिगेडियर जनरल एम सखावत हुसैन, डॉ. हुसैन जिलुर्रहमान और रिटायर जस्टिस एमए मतीन शामिल हो सकते हैं. इन सभी लोगों को सेना का करीबी माना जाता है और इनमें से बहुत से लोग शेख हसीना की विरोधी पार्टी से जुड़े हैं. 

सेना और पुलिस को गोली न चलाने को कहा : सेना प्रमुख 

साथ ही देश भर में हो रहे विरोध प्रदर्शनों के बीच सेना प्रमुख ने कहा कि उन्होंने सेना और पुलिस दोनों से गोली न चलाने को कहा है. साथ ही उन्‍होंने प्रदर्शनकारियों से संयम बरतने और हिंसा बंद करने का आह्वान किया है. साथ ही जमां ने लोगों के लिए “न्याय” का संकल्प व्यक्त किया. सेना प्रमुख की घोषणा के बाद सैकड़ों लोग सड़कों पर उतर आए और हसीना के निष्कासन का जश्न मनाने लगे. 

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विरोध प्रदर्शनों में 100 से अधिक लोगों की मौत 

शेख हसीना की सरकार के खिलाफ हुए पिछले दो दिनों में जबरदस्‍त विरोध प्रदर्शन हुए हैं, इनमें 100 से अधिक लोग मारे गए हैं. देश में विवादास्पद आरक्षण प्रणाली को लेकर उग्र प्रदर्शन हुए. इसके तहत 1971 के मुक्ति संग्राम में लड़ने वालों के परिवारों के लिए 30 प्रतिशत नौकरियां आरक्षित हैं. 

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