मालदीव के समुद्री क्षेत्र की निगरानी 'दूसरे देशों' की चिंता का विषय नहीं : मुइज्जू
चीन समर्थक मुइज्जू द्वारा भारत विरोधी बयानबाजी तेज करने के बाद भारत द्वारा उपहार में दिए गए हेलीकॉप्टर का संचालन करने वाले भारतीय सैन्यकर्मियों के पहले जत्थे के द्वीपीय देश से लौटने के कुछ दिन बाद राष्ट्रपति ने ये टिप्पणी की हैं.
मुइज्जू ने कहा कि मालदीव कोई छोटा देश नहीं है. उन्होंने साथ ही कहा कि देश अपने अधिकार क्षेत्र की निगरानी करने में सक्षम है.
राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘मालदीव कोई छोटा राष्ट्र नहीं है.”
मुइज्जू ने किसी देश का नाम लिए बगैर कहा, ‘‘मालदीव एक स्वतंत्र और संप्रभु राष्ट्र है और मालदीव के अधिकार क्षेत्र की निगरानी को लेकर किसी बाहरी पक्ष को चिंता नहीं करनी चाहिए.”उन्होंने कहा कि इससे मालदीव के सभी देशों के साथ घनिष्ठ संबंधों में बाधा नहीं आएगी.
मुइज्जू ने कहा कि उनकी सरकार तटरक्षक बल की क्षमता को दोगुना करेगी, वायुसेना कोर के बेड़े का विस्तार करेगी और भूमि आधारित वाहनों और मंचों को बढ़ाएगी.
पिछले साल पद संभालने के बाद मुइज्जू ने भारत से द्वीपीय राष्ट्र से लगभग 90 सैन्यकर्मियों को वापस बुलाने के लिए कहा था.
भारत ने सैन्यकर्मियों को गैर सैन्यकर्मियों से बदलने और मानवीय और चिकित्सा निकासी सेवाओं के लिए मालदीव को दिए गए दो हेलीकॉप्टर और एक डोर्नियर विमान के संचालन को जारी रखने पर सहमति जताई थी.
100 से अधिक समझौतों की समीक्षा करेगा मालदीव
मुइज्जू प्रशासन ने यह भी कहा है कि वह पिछली सरकारों द्वारा भारत के साथ हस्ताक्षरित 100 से अधिक समझौतों की समीक्षा करेगा.
प्रेस विज्ञप्ति में शुक्रवार को कहा गया, ‘‘मुइज्जू ने मालदीव की आत्मनिर्भरता की दिशा में आगे बढ़ने और हर लिहाज से एक स्वतंत्र और संप्रभु राष्ट्र बने रहने के महत्व को रेखांकित किया.”
मुइज्जू ने कहा कि मालदीव की स्वतंत्रता और संप्रभुता ‘‘अलग-अलग विचारधाराओं के बावजूद, पूरी आबादी के साझा हित में होनी चाहिए”. उन्होंने कहा कि इससे मालदीव के सभी देशों के साथ घनिष्ठ संबंधों में बाधा नहीं आएगी.
10 मई के बाद भारतीय सैन्यकर्मी मालदीव में नहीं रहेंगे : मुइज्जू
मुइज्जू ने दोहराया कि 10 मई के बाद कोई भी भारतीय सैन्यकर्मी, यहां तक कि बिना वर्दी वाले भी, उनके देश के में मौजूद नहीं रहेंगे.
वह पिछले साल भारत विरोधी रुख अपनाकर सत्ता में आए और शपथ लेने के कुछ ही घंटों के भीतर उन्होंने भारत से हिंद महासागर में रणनीतिक रूप से स्थित द्वीपीय राष्ट्र से अपने सैन्यकर्मियों को हटाने की मांग की.
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