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'कोर्ट ने मुझे बिना शर्त जमानत दी, जनता की ताकत से बड़ी कोई ताकत नहीं': प्रशांत किशोर


पटना:

जनसुराज के संस्थापक बीपीएससी अभ्यर्थियों की मांग के समर्थन में आमरण अनशन पर हैं, वहीं पुलिस ने सोमवार सुबह उनको गिरफ्तार किया और देर शाम बिना शर्त जमानत दे दी. जमानत मिलने के बाद प्रशांत किशोर ने कहा, दो घंटे पहले बिहार पुलिस मुझे बेउर जेल ले गई थी. कोर्ट ने मेरी मांग स्वीकार कर ली और मुझे बिना शर्त जमानत दे दी. जनता की ताकत से बड़ी कोई ताकत नहीं होती

प्रशांत किशोर ने कहा, “कोर्ट में बिना शर्त बेल दे दिया है. मैं हमेशा कहता हूं कि जनबल के आगे कोई बल नहीं है. जनता की आवाज और विश्वास है, साथ ही उनके लिए हम लोगों द्वारा किया गया सत्याग्रह का प्रभाव है. यह बहुत आश्चर्यजनक बात है कि जिस प्रशांत किशोर को पुलिस ने गिरफ्तार किया, उसके बाद कोर्ट के अनुसार हमें सशर्त जमानत दी, जिसको हमने मानने से मना कर दिया.”

बहुत सारे पुलिस पहले से जन सुराजी

उन्होंने कहा, “पुलिस हमें बेउर जेल ले गई, लेकिन हमें बेउर जेल नहीं रखी, क्योंकि वहां रखने के पेपर नहीं थे. पेपर के इंतजार में वो बैठे रहे, तब तक कोर्ट का जो फाइनल निर्णय आया और उसमें हमको बिना शर्त बेल दे दी है. उन्होंने पुलिस पर टिप्पणी की है. एक तरीके से हमारे उस बात का समर्थन किया है कि गांधी मैदान में बैठकर शांतिपूर्ण सत्याग्रह किसी कानून का उल्लंघन नहीं हैं. आज की घटना में मैंने यह देखा कि बहुत सारे पुलिस पहले से जन सुराजी हैं.”

सोमवार को हुई थी गिरफ्तार

दरअसल, बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) की प्रारंभिक परीक्षा (पीटी) को रद्द करने की मांग को लेकर आमरण अनशन पर बैठे जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर को सोमवार सुबह बिहार पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था.

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उन्हें चिकित्सकीय जांच के बाद पटना सिविल कोर्ट में पेश किया गया था, जहां उन्हें सशर्त जमानत मिली थी. अदालत ने उन्हें 25 हजार रुपये के निजी मुचलके पर जमानत का आदेश दिया था. कोर्ट ने बेल बॉन्ड के साथ शर्त रखी कि वो इस तरह के विरोध प्रदर्शन में शामिल नहीं हो सकते, जिससे कानून व्यवस्था भंग हो. हालांकि, प्रशांत किशोर ने बेल बॉन्ड भरने और जमानत की शर्त मानने से इनकार कर दिया था, जिसके बाद उन्‍हें न्‍यायिक हिरासत में भेज दिया गया था.

उल्लेखनीय है कि प्रशांत किशोर पटना के गांधी मैदान में महात्मा गांधी की प्रतिमा के समीप 2 जनवरी से बीपीएससी पीटी को रद्द करने सहित पांच सूत्री मांग को लेकर आमरण अनशन पर बैठे थे. प्रशासन ने प्रतिबंधित क्षेत्र होने के कारण पहले ही उस आमरण अनशन और धरना को गैरकानूनी बताते हुए नोटिस जारी किया था.

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