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मां के सीने से लिपटा मिला दुधमुंही बच्‍ची का शव, रुला रहे हिमाचल में तबाही का ये मंजर


मंडी:

हिमाचल के कई जिलों में इस समय मातम पसरा हुआ है. मंडी जिले के राजबन में एक महिला का शव जब निकाला गया, तो उनके सीने से 3 माह की दुधमुंही बच्‍ची लिपटी हुई थी. इस दर्दभरे मंजर को देख सभी की आंखे नम हो गईं. कुल्‍लू, शिमला और मंडी जिला में 7 जगह बादल फटने के बाद आए मौत के सैलाब ने कई घरों को उजाड़ दिया. किसी की मां, किसी का पिता, तो किसी का भाई बाढ़ में बह गया. मंडी और शिमला जिलों से चार शव मिलने के साथ ही राज्य के तीन जिलों में बादल फटने से अचानक आई बाढ़ में मरने वालों की संख्या बढ़कर 13 हो गई है. वहीं, 30 से अधिक लोग अभी तक लापता बताए जा रहे हैं. ऐसे में राहत-बचाव में लगे कर्मियों के साथ परिजन भी हर सुबह मलबे में जिंदगियां तलाशने पहुंच रहे हैं. इन्‍हें एक उम्‍मीद है कि कहीं, कोई जिंदा बचा होगा. 

मां-बेटी का शव देख लोगों के होश उड़े 

मंडी जिला के राजबन की रहने वालीं सोनम की उम्र सिर्फ 23 साल थी. तीन महीने पहले ही उनके घर एक बच्‍ची का जन्‍म हुआ था. मलबे के बीच सोनम और उनकी बेटी मानवी का शव एक साथ लिपटे हुए मिले. जब ये मंजर लोगों ने देखा, तो आंखों से आंसू बह गए. ये दोनों उसी बेड पर मिले, जिसपर वे आपदा से पहले की रात को सोए थे. सोनम का शव देखकर ऐसा लग रहा था कि जब आपदा आई, तो उन्‍होंने बेटी की जान बचाने के लिए उसे अपने सीने में सुरक्षित करना चाहा, लेकिन ऐसा हो न सका. सोनम के पति राम सिंह भी इस हादसे में गंभीर रूप से घायल हुए हैं और वे अस्‍पताल में जिंदगी और मौत के बीच झूल रहे हैं. 

आंखों के सामने बह रहा था गांव 

शिमला जिला के रामपुर का समेज गांव इस आपदा में सबसे ज्‍यादा प्रभावित हुआ है. जहां पहले हरे-भरे खेत और कई मकान हुआ करते थे, वहां आज सिर्फ मौत का मंजर और मलबा नजर आता है. ऐसा लग रहा है कि इस पूरे गांव का ही जैसे सैलाब बहा कर ले गया है. समेज गांव में एक अनीता ही है, जिनका घर थोड़ी ऊंचाई पर होने के कारण आपदा की चपेट में आने से बच गया. वह बताती हैं कि पूरे गांव में मेरा घर ही बचा है. मेरे सामने ही यहां सब कुछ बह गया.

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बुधवार की रात को मैं अपने परिवार के साथ सो रही थी. एकाएक धमाका-सा हुआ, और हमारा पूरा घर हिल गया. कुछ लोग भाग कर हमारे घर आए बाहर देखा… हमने घर से बाहर निकलकर देखा, तो पूरा गांव बह गया था. ये मंजर देख हम भी खौफ में थे. ऐसे में हम घर छोड़कर गांव के भगवती काली माता मंदिर चले गए और पूरी रात वहां बिताई. अनीता कहती हैं, “अब मैं इस उजाड़ गांव में कैसे रहूंगी? यहां हमारे अलावा कोई घर नहीं बचा है. हम अकेले यहां कैसे रह पाएंगे. हमारा पूरा संसार ही उजड़ गया है.” 

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स्‍कूल समेत बह गए 6 छात्र

समेज में स्थिति दिल दहला देने वाली है… यहां आपदा के पांचवें दिन भी लोग अपनों की तलाश कर रहे हैं. समेज गांव में शुक्रवार को बादल फटने से एक माध्यमिक विद्यालय की इमारत बह गई थी. इस हादसे में 12 से 18 वर्ष की आयु के छह छात्र बह गए. यह घटना श्रीखंड महादेव के पास बादल फटने की घटना के एक दिन बाद हुई, जिससे समेज, गानवी और कुर्बन क्षेत्रों में अचानक बाढ़ आ गई. हिमाचल प्रदेश के मंडी और शिमला जिलों से चार शव मिलने के साथ ही राज्य के तीन जिलों में बादल फटने से अचानक आई बाढ़ में मरने वालों की संख्या बढ़कर 13 हो गई है. 

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राहत का मरहम

मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने शुक्रवार को रामपुर के समेज गांव का दौरा किया था, जहां 30 से अधिक लोग लापता हैं. सुक्खू ने पीड़ितों के लिए 50,000 रुपये की तत्काल राहत की घोषणा की थी और कहा था कि उन्हें अगले तीन महीनों के लिए किराए के लिए 5,000 रुपये मासिक दिए जाएंगे, साथ ही गैस, भोजन और अन्य आवश्यक वस्तुएं भी दी जाएंगी.

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31 जुलाई की रात में कुल्लू के निरमंड, सैंज व मलाणा, मंडी जिले के पधर और शिमला के रामपुर उपखंड में बादल फटने की कई घटनाओं ने भारी तबाही मचायी थी. इन घटनाओं के बाद अब भी 40 से अधिक लोग लापता हैं. अधिकारियों ने बताया कि मंडी जिले में पधर के राजभान गांव से सोनम (23) और मानवी (तीन माह) के शव बरामद किये गये हैं. बाद में शाम को रामपुर में सतलुज नदी के तट पर धकोली के समीप दो शव बरामद किये गये. शिमला के पुलिस अधीक्षक संजीव कुमार गांधी ने को बताया कि अभी इन दोनों शवों की शिनाख्त नहीं की जा सकी है. अधिकारियों के अनुसार, बचावकर्मियों ने और मशीनों, खोजी कुत्तों, ड्रोन एवं अन्य उपकरणों को लगाया तथा तलाश अभियान को तेज कर दिया है.

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