इंजीनियर बिटिया तो चली गई, अब किसको करें दुलार? पुणे हादसे में जान गंवाने वाली अश्विनी के परिवार का गम
जबलपुर, मध्य प्रदेश:
लहूलुहान शव पड़ा है, दोनों बर्थडे पार्टी से लौट रहे थे. 2 करोड़ की पोर्शे कार पर सवार बिल्डर बाप के शहजादे ने उन्हें रौंद (Pune Road Accident) डाला. शराब के नशे में धुत शहजादे को 15 घंटे के अंदर निबंध लिखवाकर छोड़ दिया गया. हालांकि दवाब बढ़ने के बाद पुलिस अब एक्टिव है. अश्विनी और अनीश दोनों जबलपुर से थे.अश्विनी ने अपने सपनों की उड़ान एमपी के जबलपुर शहर से भरी थी. पढ़ने में हमेशा अच्छी रही अश्विनी आईटी इंजीनियर बनी और पुणे में जॉब करने लगी थी.
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पुणे पोर्शे कार हादसे में जान गंवाने वाली मध्य प्रदेश के जबलपुर की अश्विनी कोष्टा आज पंचतत्व में विलीन हो गई. परिवार के हिस्से आया बस गम और कभी न भूल पाने वाली खट्टी-मीठी यादें. अश्विनी के दाह संस्कार के बाद परिवार का रो-रोकर बुरा हाल है. इंजीनियर बिटिया ने आंखों में कई सपने संजोये जब जबलपुर से पुणे का सफर तय किया तो मां-पापा की आंखों में अलग ही चमक थी. फर्क से सीना चौड़ा हो गया था, लेकिन अब उन्हीं आंखों में आंसुओं के सिबाय अब कुछ भी बाकी नहीं बचा है. वहीं जिस सीने में कभी फक्र था, वह अब बेटी के वियोग में छलनी हो रहा है.
जवान बेटी की अर्थी उठाते ही पिता का सीना छलनी
अश्वनी के पिता सुरेश कोस्टा के गुस्से का अंदाजा लगा पाना भी मुश्किल है, जिनकी 24 साल की लाड़ली एक रईसजादे के शौक की भेंट चढ़ गई. अश्विनी अब इस दुनिया में नहीं है. पुणे में पोर्शे कार चला रहे नशे में धुत बिल्डर के बेटे ने बाइक पर अपने दोस्त संग जा रही अश्वनी को इस कदर कुचला कि उसकी मौत हो गई. अश्वनी के पिता मध्य प्रदेश विद्त मंडल में काम करते हैं. परिवार में एक भाई और एक बहन हैं. दोनों इंजिनियर हैं. बड़ा भाई बेंगलुरू में जॉब करता है अश्वनी भाई से छोटी थी. माता-पिता जबलपुर में अकेले ही रहते थे. रात के 10 बजे अश्विन से पिता की बात हुई तो उसने कहा कि मैं खाना खाने जा रही हूं. उसके बाद बेटी से कोई बात ही नहीं हुई.
बेबस पिता और गमगीन चाचा का दर्द
बेटी की अंत्योष्टि के बाद अश्विनी के पिता का गुस्सा फूट पड़ा. उनका कहना है कि पुलिस सिर्फ हेलमेट चेकिंग में लगी रहती है. ट्रैफिक नियमों के उल्लंघन की चिंता पुलिस को है ही नहीं. उनका कहना है कि नाबालिक ओवर स्पीड से गाड़ी चला रहे हैं, ड्रिंक कर रहे हैं और पुलिस हेलमेट चेकिंग करके सिर्फ खाना पूर्ति कर रही है. वहीं अश्विनी के चाचा अयोध्या कोस्टा का कहना है कि उनकी भतीजी एक सीधी सादी लड़की थी. वह पढ़ाई में भी बहुत अच्छी थी. पिछले दिनों जन्मदिन पर वह जबलपुर आई थी. कुछ दिन रहने के बाद वह पुणे वापस चली गई थी. लेकिन अब उनकी बेटी इस दुनिया में नहीं है.
पोर्शे कार से रौंदकर ली अश्वनी की जान
बता दें कि रविवार रात को करीब ढाई बजे हुए सड़क हादसे में अश्विनी और उसके दोस्त अनीश की मौत हो गई. एक रईसजादे ने उनकी मोटरसाइकिल को अपनी महंगी और लग्जरी कार से रौंद डाला. हालांकि जुबेनाइल कोर्ट ने उसे जमानत दे दी है.लेकिन पुलिस उसके लिए सख्त सजा की मांग कर रही है. आरोपी के पिता को आज पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है.
अब कौन भरेगा बेटी की खाली जगह?
अश्विनी के पिता का कहना है कि सड़क दुर्घटना को रोकने के लिए किसी नए या फिर अलग कानून की मांग की जरूरत नहीं है.अगर पुराने कानून को ही कड़ाई से लागू कर दिया जाए तो इस तरह ही घटनएं शायद न हों. इस मामले में भले ही आरोपी को सजा मिल भी जाए, लेकिन अश्वनी के परिवार में उसकी खाली जगह को भर पाना किसी के लिए भी मुमकिन नहीं होगा.
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