उचाना में लड़ाई तो देवीलाल के 'लालों' की है, BJP सीन में नहीं, जानिए क्या बता रहे सियासी एक्सपर्ट
दिल्ली:
हरियाणा में 5 अक्टूबर को विधानसभा चुनाव (Haryana Assembly Election 2024) होने हैं. वैसे तो राज्य में मुख्य लड़ाई बीजेपी और कांग्रेस के बीच है, लेकिन बात अगर उचाना कलां की करें तो यहां बीजेपी कहीं दूर-दूर तक नजर नहीं आ रही है. यह हरियाणा की हॉट सीटों में से एक है. यहां पर मुख्य मुकाबला हमेशा चौधरी देवीलाल के परिवार के बीच ही रहा है. उचाना का मुकाबला उनके परिवार के इर्द-गिर्द ही घूमता रहा है. बेटे ओपी चौटाला ने यहां से पांच बार के विधायक बीरेंद्र चौटाला को हराया था.वहीं पोते दुष्यंत चौटाला ने बीरेंद्र सिंह की पत्नी प्रेमलता को हराया था.इस चुनाव दुष्यंत इस सीट से चुनावी मैदान में हैं. अगर चाचा अभय भी मैदान में आ गए तो मुकाबला चौधरी देवीलाल के लालों का हो जाएगा. जानिए क्या कहते हैं एक्सपर्ट.
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चौधरी बीरेंद्र सिंह का भी उचाना सीट पर अच्छा दबदबा रहा है.जुलाना, जींद और नरवाना में देवीलाल का प्रभाव माना जाता है. यहां पर उनका कोर वोट बैंक रहा है. दुष्यंत चौटाला की राह थोड़ी मुश्किल जरूर हो सकती है, क्यों कि लोगों के मन में उनकी एक अलग तरीके की इमेज बन गई है, क्यों कि दुष्यंत बीजेपी के साथ गठबंधन में रहे हैं. उन्होंने किसान आंदोलन से लेकर पहलवानों के मुद्दों तक, बीजेपी का ही साथ दिया. बीजेपी को लेकर एंटी इनकंबेंसी का माहौल दुष्यंत के खिलाफ जा सकता है. वहीं जब बीरेंद्र सिंह और बृजेंद्र सिंह कांग्रेस में शामिल हुए, तब से ही माना जा रहा था कि उनको उचाना कलां सीट से चुनावी मैदान में उतारा जा सकता है. कयास ये भी हैं कि इस सीट से इनेलो के अभय चौटाला भी चुनावी मैदान में उतर सकते हैं. उन्होंने कुछ महीने पहले इसके संकेत भी दिए थे. अगर ऐसा हुआ तो उचाना कलां की लड़ाई और भी दिलचस्प हो जाएगी.
दरअसल उचाना कलां सीट पर जाट प्रत्याशी जीत हासिल करता रहा है. इस सीट पर जंग चौटाला और चौधरी परिवार के बीच रही है. साल 2009 में ओम प्रकाश चौटाला ने बीरेंद्र सिंह को हराया था.साल 2014 में चौधरी बीरेंद्र सिंह की पत्नी प्रेमलता ने दुष्यंत चौटाला को मात दी थी. वहीं साल 2019 में इस सीट पर दुष्यंत चौटाला ने चौधरी बीरेंद्र सिंह की पत्नी प्रेमलता को शिकस्त दी थी.
उचाना में कब कौन जीता?
- बीरेंद्र सिंह उचाना कलां सीट से 5 बार विधायक रहे
- 2009-ओम प्रकाश चौटाला ने बीरेंद्र सिंह को हराया.
- 2014-चौधरी बीरेंद्र सिंह की पत्नी प्रेमलता ने दुष्यंत चौटाला को हराया.
- 2019-दुष्यंत चौटाला नेबीरेंद्र सिंह की पत्नी प्रेमलता को हराया
उचाना कलां सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला
बात अगर चौधरी बीरेंद्र सिंह की करें तो वह उचाना कलां सीट से 5 बार विधायक रह चुके हैं. वह लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी से कांग्रेस में शामिल हो गए थे. कांग्रेस ने इस सीट से उनके बेटे बृजेंद्र सिंह को उम्मीदवार बनाया है. बृजेंद्र सिंह IAS थे. उन्होंने वीआरएस लेकर राजनीति में एंट्री की है. इस सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला देखा जा सकता है. पिछला रिकॉर्ड अगर देखें तो साल 2009 से इस सीट पर चौधरी देवीलाल के परिवार का दबदबा रहा है. एक्सपर्ट्स का कहना है कि इस तरह अगर देखा जाए तो इस चुनाव में भी मुकाबला त्रिकोणीय हो सकता है.
कांग्रेस ने चौधरी परिवार पर जताया भरोसा
कांग्रेस ने इस लिस्ट से पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह के बेटे और पूर्व सांसद बृजेंद्र सिंह को टिकट दिया है. बृजेंद्र सिंह ने इसी साल बीजेपी छोड़ कांग्रेस जॉइन की थी.वहीं देबीलाल के परपोते और जेजेपी नेता दुष्यंत चौटाला भी इस सीट से चुनावी मैदान में हैं. यही वजह है कि उचाना कलां हॉट सीट बन गई है. बीजेपी ने इस सीट से देवेंद्र अत्री को मैदान में उतारा है.
कौन हैं दुष्यंत चौटाला?
दुष्यंत चौटाला चौधरी देवीलाल के परपोते हैं और जननायक जनता पार्टी के प्रमुख हैं. चौटाला ने जब से अपनी पार्टी बनाई है, तब से राज्य में बीजेपी और कांग्रेस के बीच का गणित जरूर बिगड़ गया है. दुष्यंत हमेशा खुद को देवीलाल की असली राजनीतिक विरासत बताते रहे हैं.
कौन हैं ओम प्रकाश चौटाला?
ओम प्रकाश चौटाला चौधरी देवीलाल के सबसे बड़े बेटे हैं और दुष्यंत चौटाला के पिता हैं. ओम प्रकाश 5 बार हरियाणा के मुख्यमंत्री रह चुके हैं. उन्होंने साल 2009 में उचाना कलां सीट से चौधरी बीरेंद्र सिंह की पत्नी प्रेमलता को शिकस्त दी थी. इससे ये तो साफ है कि उचाना कलां सीट पर देवीलाल के परिवार का दबदबा रहा है.
उचाना कलां सीट का इतिहास जानिए
उचाना कलां विधानसभा क्षेत्र हरियाणा का हॉट सीटों में शामिल है, यह विधानसभा सीट पहली बार साल 1977 में अस्तित्व में आई थी. इससे पहले यह नरवाना और सफीदों विधानसभा क्षेत्र में बंटी हुई थी. उचाना कलां जब पहली बार विधानसभा क्षेत्र बना तो कांग्रेस के बीरेंद्र सिंह विधायक बने. उन्होंने जनता पार्टी के रणबीर सिंह को हराकर जीत हासिल की थी. अब तक इस सीट पर 10 बार विधानसभा चुनाव हो चुके हैं, जिनमें पांच बार बीरेंद्र सिंह खुद विधायक रहे और एक बार उनकी पत्नी प्रेमलता ने जीत हासिल की थी.
वहीं 4 बार देवीलाल परिवार के सदस्य या उनकी पार्टी का ही कोई उम्मीदवार यहां से जीत हासिल कर चुके हैं. साल 2019 के विधानसभा चुनाव में जब दुष्यंत चौटाला ने जब बीरेंद्र सिंह की पत्नी प्रेमलता को शिकस्त दी तो तभी से इस सीट पर बीरेंद्र सिंह और चौटाला परिवार के बीच राजनीतिक लड़ाई शुरू हो गई.