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गेम नंबर का है… समझिए क्यों सभापति धनखड़ के खिलाफ सांकेतिक ही है विपक्ष का अविश्वास प्रस्ताव

Jagdeep DhanKhar vs Opposition: भारत में सरकारें बदलती रहीं, लेकिन कभी संवैधानिक पदों पर किसी ने उंगली नहीं उठाई. भारत के इतिहास में पहली बार उपराष्ट्रपति को हटाने का नोटिस दिया गया है. उपराष्ट्रपति राज्यसभा के पदेन सभापति होते हैं और ये एक संवैधानिक पद है. फिलहाल जगदीप धनखड़ देश के उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति हैं.   I.N.D.I.A. गठबंधन ने इन्हें हटाने के लिए राज्यसभा में नोटिस दे दिया है. ये पहला मौका है, जब विपक्ष ने इस तरह का कदम उठाया है. यहां तक की 2007 से 2017 तक देश के उपराष्ट्रपति रहे मोहम्मद हामिद अंसारी के खिलाफ 2014 में प्रचंड बहुमत से सत्ता में आई एनडीए ने भी ऐसा कदम नहीं उठाया. उस समय बीजेपी से लेकर एनडीए के घटक दल आरोप लगाते थे कि हामिद अंसारी सत्ता पक्ष को बोलने नहीं देते. मगर फिर भी वो संवैधानिक पद था तो मोदी सरकार ने मर्यादा लांघने की कोशिश नहीं की. फिर  I.N.D.I.A. गठबंधन ऐसा क्यों कर रहा? ये जानने से पहले ये जान लें कि संविधान में  उपराष्ट्रपति को हटाने के लिए क्या कहा गया है…

क्या कहता है संविधान?

संविधान के अनुच्छेद 67(बी) के अनुसार “उपराष्ट्रपति अथवा राज्यसभा के सभापति को हटाने के लिए राज्यसभा में एक प्रस्ताव लाना पड़ेगा. इस प्रस्ताव को राज्यसभा में बहुमत से पारित कराना पड़ेगा और फिर लोकसभा को भी इसके लिए सहमत करना होगा. इसके बाद ही उपराष्ट्रपति को उनके पद से हटाया जा सकता है. इस तरह का कोई प्रस्ताव पेश करने से पहले कम से कम चौदह दिनों का नोटिस देना पड़ेगा”.

खास बातें

  • उपराष्ट्रपति को उनके पद से हटाने का प्रस्ताव केवल राज्यसभा में ही पेश किया जा सकता है, लोकसभा में नहीं.
  • 14 दिन का नोटिस देने के बाद ही प्रस्ताव पेश किया जा सकता है.
  • प्रस्ताव को राज्य सभा में ‘प्रभावी बहुमत’ (रिक्त सीटों को छोड़कर राज्य सभा के तत्कालीन सदस्यों का बहुमत) द्वारा पारित किया जाना चाहिए और लोकसभा द्वारा ‘साधारण बहुमत’ से सहमत होना चाहिए.
  • जब प्रस्ताव विचाराधीन हो तो सभापति सदन की अध्यक्षता नहीं कर सकते.
  • इस दौरान, राज्यसभा का कार्य स्थगित हो सकता है या अन्य किसी सदस्य को अस्थायी रूप से सभापति की जिम्मेदारी दी जा सकती है। 
  • अविश्वास प्रस्ताव ला तो दिया गया है, लेकिन विपक्ष के पास राज्यसभा में इसे पास कराने के लिए पर्याप्त संख्या बल नहीं है. I.N.D.I.A. के पास राज्यसभा की 245 सीटों में से केवल 86 सीटें हैं, लिहाजा उनके लिए आवश्यक बहुमत हासिल कर पाना मुश्किल है.
  • बेशक विपक्ष इस प्रक्रिया को शुरू कर सकता है.एनडीए के पास 113 सीटें हैं.  
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फिर क्यों विपक्ष ने चला ये दांव?

I.N.D.I.A. गठबंधन में ये बिखराव का दौर है. हरियाणा और महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में हार के बाद कांग्रेस अपने ही साथियों के निशाने पर है. यहां तक की I.N.D.I.A.का नेतृत्व कांग्रेस से लेकर ममता बनर्जी को देने की मांग उठ रही है. ऐसे में कांग्रेस ने ये दांव चला है, जिससे वो अपनी ताकत संसद में दिखा सके. विपक्ष ने मंगलवार को राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ पर ‘‘पक्षपातपूर्ण आचरण” का आरोप लगाते हुए उन्हें उपराष्ट्रपति पद से हटाने के लिए प्रस्ताव लाने संबंधी नोटिस सौंपा. विपक्ष का आरोप है कि धनखड़ द्वारा अत्यंत पक्षपातपूर्ण तरीके से राज्यसभा की कार्रवाई संचालित करने के कारण यह कदम उठाना पड़ा है. हालांकि,उसकी ताकत इतनी नहीं है कि वो  उपराष्ट्रपति को हटा सके, लेकिन विपक्ष इसे संसदीय लोकतंत्र के लिए लड़ाई लड़ने का संदेश देने चाहता है. अगस्त में भी विपक्ष ने उपराष्ट्रपति के खिलाफ नोटिस देने का विचार किया था, लेकिन तब उसने नोटिस नहीं दिया था.

ये है राज्यसभा का नंबर गेम

NDA 118 I.N.D.I.A. 86  Other 27
BJP 95 Congress 27 YSRCP 08
JDU 04 TMC 12 BJP 07
NCP 03 AAP 10 ADMK 04
JDS 01 SP 04 BRS 04
MNF 01 NCPSP 02 IND & Others 03
NPP 01 SSUBT 02 BSP 01
RLD 01 DMK 10
RPI 01 RJD 05
SS 01 CPM 04
RLM 01 JMM 03
UPPL 01 CPI 02
TMCM 01 IUML 02
PMK 01 KCM 01
Nominated 06 MDMK 01
AGP 01

संविधान के जानकार क्या कहते हैं

लोकसभा के पूर्व संयुक्त सचिव (विधायी कार्य) रवींद्र गैरीमला ने कहा, ‘‘यह अपने आप में पहला मामला है कि उप राष्ट्रपति के खिलाफ नोटिस दिया गया है. नोटिस दिए जाने के 14 दिनों बाद इसे विचार करने के लिए स्वीकार किए जाने का फैसला 67बी की व्याख्या पर निर्भर करता है. ऐसे में सरकार की भूमिका भी अहम हो जाती है.”उनका कहना था कि अब यह देखना होगा कि शीतकालीन सत्र में करीब 10 दिन का समय बचा है, ऐसे में क्या इस नोटिस को अगले सत्र (बजट सत्र) के दौरान विचार के लिए लिया जाता है या नहीं. गैरीमला ने कहा, ‘‘संभव है कि इसे इस आधार पर खारिज कर दिया जाए कि इस सत्र में 14 दिन का समय नहीं बचा है. वैसे यह देखना होगा कि इस पर आगे क्या होता है क्योंकि यह अपनी तरह का पहला मामला है.”

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लोकसभा अध्यक्ष के खिलाफ तीन बार नोटिस

राज्यसभा में पहली बार किसी सभापति के खिलाफ इस तरह का नोटिस दिया गया है. लोकसभा में अब तक तीन अध्यक्षों को हटाने का नोटिस दिया जा चुका है. देश के पहले लोकसभा अध्यक्ष जी वी मावलंकर के खिलाफ 1954 में नोटिस दिया गया था, जो खारिज कर दिया गया था. इसके बाद 1966 में तत्कालीन लोकसभा अध्यक्ष हुकूम सिंह के खिलाफ नोटिस दिया गया था, जो खारिज हो गया था. इसके बाद 1992 में बलराम जाखड़ के खिलाफ वरिष्ठ वामपंथी नेता सोमनाथ चटर्जी ने प्रस्ताव पेश किया था, जो सदन में अस्वीकृत कर दिया गया था. बाद में चटर्जी खुद लोकसभा अध्यक्ष बने.

 


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