The Hindkeshariबैटलग्राउंड : भारत कैसे बनेगा 5 ट्रिलियन की इकोनॉमी? एक्सिस बैंक के चीफ इकोनॉमिस्ट नीलकंठ मिश्रा ने बताया
भारत की अर्थव्यवस्था (Indian Economy)इस समय तेज गति से आगे बढ़ रही है. भारत 2023 में भी दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में बना रहा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने आने वाले वर्षों के लिए 5 ट्रिलियन की इकोनॉमी का लक्ष्य रखा है. इस बड़े वादे को पूरा करने के लिए क्या करना होगा. लोकसभा चुनाव 2024 (Lok Sabha Elections 2024) के मद्देनजर The Hindkeshariके खास शो ‘Battleground’ में एक्सपर्ट पैनल से इन्हीं सवालों के जवाब जानने की कोशिश की गई. एक्सिस बैंक के चीफ इकोनॉमिस्ट नीलकंठ मिश्रा ने कहा, “इस डिलिवरी तो प्राइवेट सेक्टर ही करेगी. इसमें सरकार भी पिछले कई साल से कोशिश कर रही है. सरकार को मैक्रो इकोनॉमिक्स के डेवलपमेंट पर फोकस करना होगा.”
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नीलकंठ मिश्रा ने कहा, “हमने बता दिया है कि ग्रोथ मोटा-मोटी कितना होगा? महंगाई दल और ब्याज दर के संभावित आंकड़े भी सामने आ चुके हैं. एक्सचेंज रेट भी स्थिर होगा. ऐसे में अगर कोई पूंजीपति निवेश के लिए तैयार हो रहा है और उसे ये साफ हो जाए कि अगले 4-5 साल तक अर्थव्यवस्था ऐसे ही चलेगी, तो उसके निवेश करने के चांसेज बढ़ जाते हैं.”
हाल ही में केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री हरदीप पुरी ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था अगले वित्तीय वर्ष 2024-25 में 5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर को छूने और इस दशक के अंत तक पूंजी को दोगुना करके 10 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने की ओर अग्रसर है. वर्तमान में भारतीय अर्थव्यवस्था लगभग 3.7 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर होने का अनुमान है.
वहीं, बेरोजगारी को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में नीलकंठ मिश्रा ने कहा,”कोविड संकट के दौरान अर्थव्यवस्था एक साल पीछे रह गई. लेकिन, इससे श्रम बल का प्रवाह नहीं रुका. बेशक लॉकडाउन में फैक्ट्री बंद हो गई. कैपेक्स (Capital Expenditure)बंद हो गया और इससे डिमांड भी खत्म हो गया. मगर जब इकोनॉमी खुली, तो दोबारा प्रोडक्शन शुरू हुआ. इससे धीरे-धीरे डिमांड भी आ गई. इन सबके बीच लेबल सप्लाई को आप रोक नहीं पाए. अभी लेबर मार्केट में एक साल एक्स्ट्रा लेबर हैं. यानी एक से सवा करोड़ लोग एक्स्ट्रा हैं.”
नीलकंठ मिश्रा कहते हैं, “हम जब भी हाउस होल्ड इनकम की बात करते हैं, तो दैनिक मजदूरी पर फोकस होता है. भारत में कई छोटे एंटरप्रेन्योर भी होते हैं. कोई परचून की दुकान चलाता है, कोई छोटा ढाबा चलाता है. कोई दर्जी है, तो कोई सब्जी बेचने वाला. कोविड के समय इन लोगों को बहुत दिक्कतें हुईं. अब धीरे-धीरे ये अपनी समस्याओं को सुलझा पा रहे हैं. अब इनकी भी इनकम बढ़ रही है. इन लोगों को जल्दी से कैसे आगे बढ़ाया जाए, ये सबसे बड़ी समस्या है. मेरे ख्याल से इसमें डिजिटल इकोनॉमी का बड़ा हाथ है.”
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