"महिलाओं की सुरक्षा की जिम्मेदारी राज्य सरकार की…" : केंद्र सरकार का ममता बनर्जी पर पलटवार
नई दिल्ली:
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) को पत्र लिखकर बलात्कार के मामलों के लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट (Fast Track Court) बनाने की मांग की थी. इसे लेकर अब केंद्र सरकार ने उन्हें जवाब दिया है. केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने ममता बनर्जी को पत्र लिखा है और फास्ट ट्रैक कोर्ट को लेकर पश्चिम बंगाल सरकार को आवंटित फास्ट ट्रैक कोर्ट के आंकड़ों के साथ घेरा है. साथ ही उन्होंने कहा कि महिलाओं की सुरक्षा की जिम्मेदारी राज्य सरकार की है. राज्य सरकार, केंद्र सरकार द्वारा प्रदत्त कानूनी योजनाओं का लाभ उठाते हुए पश्चिम बंगाल में महिलाओं और बच्चियों की सुरक्षा सुनिश्चित करे.
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केंद्रीय मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने कहा कि एक जुलाई से लागू भारतीय न्याय संहिता में महिलाओं के खिलाफ अपराध के विरुद्ध कड़े प्रावधान किए गए हैं.
123 का आवंटन, जून 2023 तक एक भी शुरू नही : केंद्र
इसके साथ ही केंद्रीय मंत्री ने अपने पत्र में फास्ट ट्रैक स्पेशल कोर्ट के मुद्दे पर लिखा है कि पॉक्सो के मामलों के जल्दी निपटारे के लिए अक्टूबर 2019 में एक योजना शुरू की गई थी. साथ ही उन्होंने बताया कि देश भर में तीस जून 2024 को 752 फास्ट ट्रैक कोर्ट काम कर रहे हैं. इस योजना के तहत पश्चिम बंगाल को 123 फास्ट ट्रैक का आवंटन किया गया था, जिसमें से बीस पॉक्सो कोर्ट भी थीं.
साथ ही अपने पत्र में उन्होंने लिखा है कि जून 2023 के मध्य तक इनमें से एक भी कोर्ट पश्चिम बंगाल में चालू नहीं हुआ. बाद में संशोधित लक्ष्यों के तहत पश्चिम बंगाल को सत्रह फास्ट ट्रैक कोर्ट का आवंटन किया गया, जिनमें से तीस जून 2024 को केवल छह पॉक्सो कोर्ट काम कर रहे हैं.
बंगाल में रेप और पॉक्सो के 48 हजार मामले लंबित : केंद्र
अन्नपूर्णा देवी ने कहा कि यह तब है जब पश्चिम बंगाल में बलात्कार और पॉक्सो के 48,600 मामले लंबित हैं और राज्य सरकार ने ग्यारह फास्ट ट्रैक कोर्ट को चालू करने के लिए कोई कदम नहीं उठाया है. साथ ही कहा कि मौजूदा कानूनी फ्रेमवर्क महिलाओं के खिलाफ हिंसा और अपराध रोकने में सक्षम है.
बता दें कि कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में एक ट्रेनी महिला डॉक्टर के साथ रेप और मर्डर की वारदात ने देश को झकझोर कर दिया था, जिसके बाद से ही देश में महिलाओं और डॉक्टरों की सुरक्षा को लेकर लगातार मांग उठाई जा रही है.
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