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महाराष्ट्र में बढ़ेगी महायुति की ताकत? राज ठाकरे की NDA में एंट्री की अटकलें तेज, BJP को क्या होगा फायदा

जानकारों का कहना है कि महायुति (BJP- शिवसेना शिंदे गुट, एनसीपी अजित पवार गुट) में राज ठाकरे की पार्टी मनसे (MNS) की एंट्री हो सकती है. BJP सीधे तौर पर अपनी तरफ से सीट न देकर शिंदे की शिवसेना कोटे से एक सीट दे सकती है. शिवसेना MNS को मुंबई की दक्षिण मुंबई सीट देकर उसकी NDA में एंट्री करा सकती है. 

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कुछ दिन पहले आशीष शेलार और राज ठाकरे की मुलाकात से महाराष्ट्र की राजनीति में चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया था. उस वक्त शेलार ने दादर में कहा था, “राज ठाकरे और मैं लंबे समय से दोस्त हैं. हम कुछ अन्य विषयों पर भी मिलते हैं और चर्चा करते हैं. हम सही समय पर कुछ जानकारी सामने लाएंगे.”

इस गठबंधन क्या हैं राजनीतिक मायने?

कुछ दिनों पहले डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस ने नागपुर में राज ठाकरे की पार्टी और BJP के बीच बढ़ती नज़दीकियों का ज़िक्र किया था. अब BJP नेता आशीष शेलार ने कहा कि गठबंधन को लेकर हाई लेवल चर्चा शुरू हो गई है. हालांकि, महाराष्ट्र के सियासी हलकों में चर्चा इस बात को लेकर भी है कि एकनाथ शिंदे और अजीत पवार जैसे ताकतर नेताओं के साथ आने के बाद भी BJP क्यों राज ठाकरे पर डोरे डाल रही है. इसके मुख्य रूप से 4 कारण हैं:-

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पहला- मराठी वोटर को आकर्षित करना.
दूसरा- उद्धव ठाकरे को मिल रही सहानुभूति को रोकना.
तीसरा- चुनाव में NDA के पक्ष में राज ठाकरे की आक्रामक भाषण शैली और तेज तर्रार छवि का फायदा उठाना.
चौथा- राज ठाकरे की मौजूदा हिंदुत्ववादी राजनीति की वजह से अगर वो अलग चुनाव लड़ते हैं, तो हिंदुत्ववादी वोटों के विभाजन का डर.

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मौजूदा राजनीतिक परिस्थिति में आज BJP को जितनी जरूरत राज ठाकरे की है, उतनी ही जरूरत राज ठाकरे को BJP की है. 2014 और 2019 के विधानसभा चुनाव में MNS को एक-एक सीट पर ही जीत मिली. राज ठाकरे के लिए अपनी पार्टी को सत्ता का स्वाद चखाना एक बड़ी चुनौती है. शायद यही वजह है कि राज ठाकरे के लिए BJP से हाथ मिलाने का प्रस्ताव फायदे का सौदा साबित हो सकता है.

पीएम मोदी के बड़े फैन से लेकर उनके धुर विरोधी रह चुके राज ठाकरे 2024 आते-आते उनके साथ हाथ मिलाने की तैयारी में हैं. सवाल ये है कि मौसम की तरह बदलती राज ठाकरे की राजनीति क्या लोगों को रास आएगी? BJP के लिए भी राज ठाकरे का साथ आसान नहीं होगा. अगर राज ठाकरे की NDA में एंट्री हुई, तो पार्टी को महाराष्ट्र में लोकसभा की एक सीट भी छोड़नी होगी. पहले ही महायुति में सीट बंटवारे को लेकर खिंचतान जारी है. ऐसे में MNS की मांग कैसे पूरी होगी, ये देखना अहम होगा.

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