"रत्ती भर सच्चाई नहीं'': कांग्रेस के नेहरू को आरक्षण का श्रेय देने पर बोलीं मायावती
लखनऊ:
बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने रविवार को अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) के अंदर उप-वर्गीकरण और ‘क्रीमी लेयर’ संबंधी मामले में कांग्रेस अध्यक्ष के बयान पर प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने नेहरू और गांधी को आरक्षण का श्रेय दिया है, जिसमें रत्ती भर भी सच्चाई नहीं है. बसपा प्रमुख ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ”कल (शनिवार को) बसपा की प्रेस वार्ता के बाद कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष के बयान की जानकारी मिली, जिसमें बाबा साहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर को नहीं, बल्कि नेहरू (जवाहर लाल नेहरू) और गांधी (महात्मा गांधी) को आरक्षण का श्रेय दिया गया है, जिसमें रत्ती भर भी सच्चाई नहीं है.”
कांग्रेस ने षड्यंत्र रचा
लखनऊ में शनिवार को पत्रकारों से बातचीत में मायावती ने कहा था कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सरकार और बाकी (राजनीतिक) दलों को इस मुद्दे पर अपना रुख स्पष्ट करना चाहिए. मायावती ने ‘एक्स’ पर लिखा, ”वास्तव में आरक्षण का पूरा श्रेय बाबा साहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर को ही जाता है, जिन्हें किस तरह से कांग्रेस के लोगों ने संविधान सभा में जाने से रोकने का षड्यंत्र रचा, जिन्हें चुनाव में हराने का काम किया और जिन्हें कानून मंत्री पद से इस्तीफा देने को भी विवश किया.”
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के बयान की याद दिलाते हुए उन्होंने कहा, ”कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने यह कहा कि देश में एससी और एसटी वर्गों के उप-वर्गीकरण के संबंध में अपने रुख का खुलासा करने से पहले उनकी पार्टी एनजीओ व वकीलों आदि से विचार-विमर्श करेगी, जिससे स्पष्ट है कि कांग्रेस उप-वर्गीकरण के पक्ष में है.”
मायावती ने कांग्रेस पर ‘क्रीमी लेयर’ के बारे में गोलमोल बातें करने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि कांग्रेस के 99 सांसद होने के बावजूद सत्रावसान होने तक संसद में उच्चतम न्यायालय के फैसले को निष्प्रभावी बनाने के लिए कोई भी आवाज नहीं उठाई गई, जबकि कांग्रेस ने संविधान और आरक्षण को बचाने के नाम पर ये सीटें जीतीं.
आखिर क्या कहा था मल्लिकार्जुन खरगे ने
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने एससी और एसटी के अंदर उप-वर्गीकरण और ‘क्रीमी लेयर’ संबंधी उच्चतम न्यायालय के फैसले के प्रति विरोध जताते हुए शनिवार को कहा था कि सरकार को निर्णय आते ही इसे संसद के माध्यम से निरस्त करना चाहिए था. खरगे ने दिल्ली में संवाददाताओं से कहा, ‘‘पिछले दिनों उच्चतम न्यायालय के सात न्यायाधीशों ने एक फैसला दिया है, जिसमें उन्होंने एसी-एसटी वर्ग के लोगों के उप-वर्गीकरण के साथ ही ‘क्रीमी लेयर’ की भी बात की है. भारत में दलित समुदाय के लोगों को आरक्षण बाबासाहेब के ‘पूना पैक्ट’ के माध्यम से मिला था. बाद में पंडित जवाहरलाल नेहरू और महात्मा गांधी ने आरक्षण नीति को जारी रखा.”
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