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राम मंदिर का जिक्र कर जब भावुक हुए थे लालकृष्ण आडवाणी, चर्चाओं में रहा था उनका यह लेख

नई दिल्‍ली :

भारतीय राजनीति में एक अलग पहचान बनाने वाले लाल कृष्‍ण आडवाणी को भारत रत्‍न मिलने जा रहा है. भारतीय जनता पार्टी के संस्‍थापक रहे आडवाणी ने अयोध्‍या में राम मंदिर बनाने के लिए जो संघर्ष किया, वो अविस्‍मरणीय है. भारतीय राजनीति में अटल बिहारी वाजपेयी और आडवाणी की जोड़ी ने मिलकर राममंदिर की जो अलख जगाई, उसके परिणाम आज सबके सामने हैं. 22 जनवरी को अयोध्‍या के राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्‍ठा हो गई. इस अवसर पर आडवाणी ने पुराने दिनों को याद करते हुए एक लेख लिखा था. जिसमें उन्‍हें अटल बिहारी वाजपेयी को याद किया था.   

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राम मंदिर का जिक्र करते हुए आडवाणी भावुक हो गए और उन्‍होंने लेख में लिखा था- अयोध्या में राम मंदिर बनेगा ये नियति ने पहले ही तय कर लिया था. आडवाणी ने कहा कि इस समय उन्हें पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी (Atal Bihari Vajpayee)की कमी खल रही है. आडवाणी ने लिखा, “इस ऐतिहासिक मौके पर अटल जी की याद आ रही है.” पीएम मोदी (PM Narendra Modi) के लिए आडवाणी ने लिखा, “मोदी हर भारतीय का प्रतिनिधित्व करेंगे.”

लाल कृष्ण आडवाणी ने लिखा, “जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राम मंदिर की प्राण प्रतिष्‍ठा करेंगे, तब वे हमारे भारतवर्ष के प्रत्‍येक नागरिक का प्रतिनिधित्‍व करेंगे. मेरी प्रार्थना है कि यह मंदिर सभी भारतीयों को श्रीराम के गुणों को अपनाने के लिये प्रेरित करेगा.” 

आडवाणी का ये आर्टिकल ‘राष्ट्रधर्म’ पर 15 जनवरी को प्रकाशित होगा.  प्रभु श्रीराम की प्राण प्रतिष्ठा में आमंत्रित अतिथियों को ‘राष्ट्रधर्म’ का ये एडिशन दिया जाएगा. राम मंदिर आंदोलन के लिए आडवाणी ने रथ यात्रा निकाली थी. इसे याद करते हुए उन्होंने अपने आर्टिकल में लिखा, “रथयात्रा को करीब 33 साल पूरे हो चुके हैं. 25 सितंबर, 1990 की सुबह रथयात्रा शुरू करते समय हमें यह नहीं पता था कि प्रभु राम की जिस आस्‍था से प्रेरित होकर यह यात्रा शुरू की जा रही है, वह देश में आंदोलन का रूप ले लेगा.” 

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आडवाणी ने अपने आर्टिकल में आगे लिखा, “रथयात्रा के समय ऐसे कई अनुभव हुए, जिन्‍होंने मेरे जीवन को प्रभावित किया. सुदूर गांव के अंजान ग्रामीण रथ देखकर भाव-विभोर होकर मेरे पास आते. वे प्रणाम करते. राम का जयकारा करते. यह इस बात का संदेश था कि पूरे देश में राम मंदिर का स्‍वप्‍न देखने वाले बहुतेरे हैं. वे अपनी आस्‍था को जबरन छि‍पाकर जी रहे थे. 22 जनवरी, 2024 को मंदिर की प्राण प्रतिष्‍ठा के साथ ही उन ग्रामीणों की दबी हुई अभिलाषा भी पूर्ण हो जायेगी.”

राष्‍ट्रीय स्‍वयंसेवक संघ (RSS), विश्‍व हिंदू परिषद (VHP) और भारतीय जनता पार्टी(BJP) अयोध्या में श्रीरामलला के मंदिर का निर्माण शुरू करने का संकल्‍प कर चुकी थी. उसने 30 अक्टूबर, 1990 को नियत तिथि घोषित भी की थी. इसी संकल्‍प के साथ आडवाणी ने 25 सितंबर, 1990 से 30 अक्टूबर के बीच सोमनाथ से अयोध्या तक 10 राज्यों से गुजरते हुये 10 हजार किलोमीटर की रथयात्रा की थी. 

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