किसी एक धर्म के शासक को क्रूर बताना सही नहीं…औरंगजेब विवाद में उदित राज की हुई एंट्री

नई दिल्ली:
मुगल बादशाह औरंगजेब एक बार फिर सुर्खियों में है. इस बार मामला सिर्फ इतिहास के पन्नों तक सीमित नहीं है. महाराष्ट्र में अबू आजमी के बयान के बाद शुरू हुआ विवाद दिल्ली और उत्तर प्रदेश तक पहुंच गया है. इस विवाद में अब कांग्रेस नेता और पूर्व सांसद उदित राज ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है. उदित राज ने का है कि इतिहास में क्रूरता किसी एक धर्म या शासक तक सीमित नहीं थी. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि किसी एक धर्म के शासक को क्रूर करार देना ऐतिहासिक तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश करने जैसा है.
उदित राज ने अपने बयान में कहा कि जहां तक क्रूरता की बात है, तो क्रूर तो कई शासक रहे हैं. किसी एक धर्म के शासक को क्रूर बताना सही नहीं है. उन्होंने इतिहास के कुछ उदाहरणों का जिक्र करते हुए अपनी बात को मजबूत किया.उदित राज ने हूण शासक मिहिरकुल का उल्लेख किया, जिसे उन्होंने बेहद क्रूर शासक बताया. उदित राज ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए पेशवा शासन का भी जिक्र किया.उन्होंने कहा कि पेशवा के हुकूमत में दलित समाज के लोग जब चलते थे, तो उनके गले में हांडी और कमर में झाड़ू बांधकर चलना पड़ता था.
उदित राज ने मंगोल शासक चंगेज खान का उदाहरण भी दिया. उन्होंने कहा, “चंगेज खान न मुसलमान था, न हिंदू, लेकिन वह इतिहास के सबसे क्रूर शासकों में से एक था. सिर्फ इसलिए कि उसके नाम के साथ ‘खान’ जुड़ा है, लोग उसे मुगल शासकों से जोड़कर देखते हैं और मुस्लिम समझ लेते हैं. यह गलत धारणा है.
अबू आजमी ने क्या कहा है?
अबू आजमी ने रविवार को कहा था कि औरंगजेब क्रूर शासक नहीं था और उसके शासनकाल में भारत “सोने की चिड़िया” था. उन्होंने यह भी दावा किया था कि औरंगजेब ने कई मंदिर बनवाए थे और उसका छत्रपति संभाजी महाराज से युद्ध धार्मिक नहीं, बल्कि सत्ता का संघर्ष था.
आजमी ने कहा कि उस समय के राजा सत्ता और संपत्ति के लिए संघर्ष करते थे, लेकिन यह कुछ भी धार्मिक नहीं था. औरंगजेब ने 52 साल तक शासन किया, और अगर वह सच में हिंदुओं को मुसलमान बनाना चाहते, तो सोचिए कि कितने हिंदू परिवर्तित हो जाते. अगर औरंगजेब ने मंदिरों को नष्ट किया, तो उन्होंने मस्जिदों को भी नष्ट किया अगर वह हिंदुओं के खिलाफ थे, तो 34% हिंदू उनके साथ नहीं होते, और उनके सलाहकार हिंदू नहीं होते. हमें इसे हिंदू-मुस्लिम कोण देने की जरूरत नहीं है. यह देश संविधान से चलेगा, और मैंने हिंदू भाइयों के खिलाफ एक शब्द भी नहीं कहा है. सपा नेता ने कहा कि मैंने जो कहा, वह तथ्यों पर आधारित है. इतिहास को राजनीतिक एजेंडे से नहीं, बल्कि सच के आधार पर देखना चाहिए. मैं संविधान और समानता में विश्वास रखता हूं.