उत्तरकाशी हादसा: मजदूरों के लिए वरदान साबित हुई रैट होल माइनिंग, जानें इसका रेस्क्यू में क्या है रोल?
मजदूरों के रेस्क्यू ऑपरेशन में तब तेजी आई, जब मैनुअल ड्रिलिंग के लिए रैट माइनर्स की मदद ली गई. चुनौतीपूर्ण रेस्क्यू ऑपरेशन के आखिरी फेज में 25 टन की ऑगर मशीन के फेल हो जाने के बाद फंसे हुए मजदूरों को निकालने के लिए सोमवार से रैट-होल माइनर्स की मदद ली गई. रैट माइनर्स 800MM के पाइप में घुसकर ड्रिलिंग की. ये बारी-बारी से पाइप के अंदर जाते, फिर हाथ के सहारे छोटे फावड़े से खुदाई करते थे. ट्राली से एक बार में तकरीबन 2.5 क्विंटल मलबा लेकर बाहर आते थे.
आइए जानते हैं क्या है रैट होल माइनिंग और ये कैसे करते हैं काम…
रैट-होल माइनिंग क्या है?
रैट-होल माइनिंग के मतलब से ही साफ है कि छेद में घुसकर चूहे की तरह खुदाई करना. इसमें पतले से छेद से पहाड़ के किनारे से खुदाई शुरू की जाती है. पोल बनाकर धीरे-धीरे छोटी हैंड ड्रिलिंग मशीन से ड्रिल किया जाता है. हाथ से ही मलबे को बाहर निकाला जाता है.
रैट-होल माइनिंग पर क्यों लगाया गया बैन?
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने साइंटिफिक नहीं होने के कारण रैट-होल माइनिंग पर 2014 में बैन लगा दिया था. लेकिन ये प्रक्रिया अभी भी बड़े पैमाने पर जारी है. पूर्वोत्तर राज्य में कई हादसों में माइनिंग करते वक्त रैट-होल माइनर्स की मौतें हुई हैं. 2018 में अवैध खनन (Illegal Mining) में शामिल 15 लोग बाढ़ वाली माइनिंग के अंदर फंस गए थे. दो महीने से ज्यादा समय तक चले रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान सिर्फ 2 लाशें ही बरामद की जा सकी. ऐसा ही एक हादसा 2021 में हुआ. 5 माइनर्स बाढ़ वाली माइनिंग में फंस गए. रेस्क्यू टीम ने एक महीने तक कोशिश की और ऑपरेशन बंद करने से पहले 3 शव पाए गए थे. रैट होल माइनिंग से पर्यावरण प्रदूषण को भी जोड़ा जाता है.
माइनिंग राज्य सरकार के लिए राजस्व का एक प्रमुख स्रोत
हालांकि, माइनिंग राज्य सरकार के लिए राजस्व का एक प्रमुख स्रोत है. मणिपुर सरकार ने एनजीटी के प्रतिबंध को यह तर्क देते हुए चुनौती दी है कि इस क्षेत्र के लिए माइनिंग यानी खनन का कोई दूसरा ऑप्शन नहीं है. 2022 में मेघालय हाईकोर्ट की ओर से नियुक्त एक पैनल ने पाया कि मेघालय में रैट-होल माइनिंग बेरोकटोक जारी है.
उत्तरकाशी रेस्क्यू ऑपरेशन
टनल में फंसे मजदूरों को निकालने के लिए अमेरिकी ड्रिलिंग मशीन भी मलबे को काट नहीं पाई. जिसके बाद मैनुअल ड्रिलिंग के लिए इस गैरकानूनी प्रक्रिया का इस्तेमाल करना पड़ा. कुल 12 रैट होल माइनर्स को दिल्ली से सिलक्यारा टनल भेजा गया है. हालांकि, उत्तराखंड सरकार के नोडल अफसर नीरज खैरवाल ने साफ किया है कि लाए गए लोग रैट होल माइनर्स नहीं, बल्कि टेकनीक के एक्सपर्ट हैं.
एक्सपर्ट में एक राजपूत राय ने समाचार एजेंसी PTI को बताया कि एक आदमी ड्रिलिंग करता है, दूसरा मलबा इकट्ठा करता है. तीसरा उसे बाहर निकालने के लिए ट्रॉली पर रखता है. हाथ से ही खींचकर मलबे को फेंका जाता है.
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