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VIDEO : PM नरेंद्र मोदी के गांव में मिले 2800 साल पुरानी बस्ती के सबूत

प्रोफेसर सरकार ने कहा, “टीम पिछले 4-5 सालों से एएसआई के साथ वडनगर में काम कर रही है. एक बहुत पुराने बौद्ध मठ का भी पता चला है. एएसआई 2016 से काम कर रहा है, 20 मीटर की गहराई तक खुदाई की गई है. वडनगर का इतिहास बहुत पुराना है.”

उन्होंने आगे कहा कि वडनगर भारत का एकमात्र पुरातात्विक स्थल है, जहां प्रारंभिक से मध्यकालीन इतिहास पूरी तरह से संरक्षित है और जिसका सटीक कालक्रम अब ज्ञात है.

उन्होंने कहा, “ये 800 ईसा पूर्व से निरंतर निवास के साथ भारत का सबसे पुराना जीवित किलेबंद शहर भी है. सात सांस्कृतिक परतों का पता लगाया गया है, सबसे पुरानी परत 2800 साल या 800 ईसा पूर्व की है.”

डॉ. अनिंद्य सरकार ने कहा, “हमारी हाल की कुछ अप्रकाशित रेडियोकार्बन तिथियों से पता चलता है कि ये बस्ती 1400 ईसा पूर्व या 1500 ईसा पूर्व जितनी पुरानी हो सकती है, जो उत्तर-शहरी हड़प्पा काल के अंतिम चरण के समकालीन है. ये पिछले 5,000 वर्षों से भारत में सांस्कृतिक निरंतरता को दर्शाता है और तथाकथित अंधकार युग एक मिथक हो सकता है.”

उन्होंने कहा, “हमारे आइसोटोप डेटा और वडनगर में सांस्कृतिक काल की तारीखों से पता चलता है कि ये सभी आक्रमण ठीक उसी समय हुए, जब कृषि प्रधान भारतीय उपमहाद्वीप मजबूत मानसून के साथ समृद्ध था, लेकिन मध्य एशिया अत्यधिक शुष्क और निर्जन था, जहां बार-बार सूखा पड़ता था, जहां से लगभग सभी आक्रमण और प्रवासन हुए.”

वहीं पुरातत्व पर्यवेक्षक मुकेश ठाकोर ने कहा कि अब तक एक लाख से अधिक अवशेष खोजे जा चुके हैं. उन्होंने कहा, “वडनगर में खुदाई तब से चल रही है, जब पीएम मोदी गुजरात के सीएम थे. अब तक एक लाख से अधिक अवशेष निकाले जा चुके हैं. ये एक जीवंत शहर है इसका कारण ये है कि यहां की जल प्रबंधन प्रणाली और जल स्तर अच्छा है.”

उन्होंने आगे कहा कि वडनगर में अब तक लगभग 30 स्थलों की खुदाई की गई है. बौद्ध, जैन और हिंदू समेत विभिन्न धर्मों के लोग यहां सद्भाव से रहते थे.

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यहां आईआईटी खड़गपुर, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई), भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला (पीआरएल), जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) और डेक्कन कॉलेज के शोधकर्ता एक साथ काम कर रहे हैं.

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