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जब CJI ने कहा- "भगवान का शुक्र है कि हमारे पास आनंद वेंकटेश जैसे जज हैं", जानें पूरा मामला

जब CJI को कहना पड़ा- ‘भगवान का शुक्र है….’

आय से अधिक संपत्ति के मामले में तमिलनाडु के मंत्री पोनमुडी कोसुप्रीम कोर्ट (Supreme Court)से झटका लगा है. ट्रायल फिर से शुरू करने के हाईकोर्ट के फैसले में दखल देने से इनकार किया है.  मद्रास हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेकर फिर से ट्रायल करने के आदेश को सही ठहराया है. CJI ने हाईकोर्ट जस्टिस आनंद वेंकटेश की सराहना करते हुए कहा- भगवान का शुक्र है कि हमारे पास हाईकोर्ट में आनंद वेंकटेश जैसे जज हैं. सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस पर भी मंत्री के खिलाफ ट्रायल को दूसरे जिले में ट्रांसफर करने पर सवाल उठाया है, हालांकि अदालत ने कहा कि मंत्री और उनकी पत्नी हाईकोर्ट  के समक्ष ये दलीलें रख सकते हैं. 

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जस्टिस आनंद वेंकटेश ने मामले को ट्रांसफर करने को लेकर उठाया था सवाल

गौरतलब है कि अगस्त में मद्रास हाईकोर्ट के जस्टिस आनंद वेंकटेश ने अपनी स्वत: संज्ञान संशोधन शक्तियों का प्रयोग करते हुए कहा था कि उच्च शिक्षा मंत्री के खिलाफ विल्लुपुरम के जिला न्यायाधीश से वेल्लोर के जिला न्यायाधीश के पास मामले का ट्रांसफर “पूर्वदृष्टया अवैध” था.  विशेष रूप से इस मामले को स्थानांतरित करने का आदेश मद्रास हाईकोर्ट  ने अपने प्रशासनिक पक्ष में जुलाई 2022 में दिया था.

मंत्री और उनकी पत्नी ने हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ SC का दरवाजा खटखटाया

 स्थानांतरण और बरी किए जाने पर कई सवाल उठाते हुए न्यायाधीश ने अभियोजक और आरोपी को नए सिरे से सुनवाई के लिए नोटिस जारी किया था.  हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए मंत्री और उनकी पत्नी ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.  सुनवाई के दौरान भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ ने चुनौती पर विचार करने में अनिच्छा व्यक्त की.

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CJI ने ट्रायल को ट्रांसफर करने के तरीके पर व्यक्त की चिंता

CJI ने ट्रायल को ट्रांसफर करने के तरीके पर भी चिंता व्यक्त की.  मुख्य न्यायाधीश ने ट्रायल को एक जिले से दूसरे जिले में ट्रांसफर कर दिया.  वह शक्ति कहां है?  मुकदमे को स्थानांतरित करने की कोई प्रशासनिक शक्ति नहीं है और यह एक न्यायिक शक्ति का  मामले को किसी और के सामने रखा गया है और ट्रायल में जल्दबाजी कर बरी कर दिया गया है.

CJI ने की जज के फैसले की तारीफ

CJI ने दोहराया, “जैसा कि मैंने कहा, हमारी संस्था के लिए भगवान का शुक्र है कि हमारे पास इस मामले में  ऐसे न्यायाधीश हैं, जिन्होंने ये आदेश पारित किया. एक हस्तक्षेपकर्ता की ओर से पेश वकील प्रशांत भूषण ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार आरोपियों के साथ मिलीभगत कर रही है.  इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि आरोपी अभी भी एक मंत्री है, एक विशेष लोक अभियोजक या एमिक्स क्यूरी नियुक्त करने का आदेश पारित किया जाना चाहिए. अदालत ने कहा कि हाई कोर्ट इस मुद्दे पर उचित फैसला करेगा.

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