जब पेजर उड़ा देते हैं, तो EVM हैक कैसे नहीं हो सकते हैं… जानिए चुनाव आयोग ने दिया क्या जवाब
Maharashtra Jharkhand Elections: महाराष्ट्र और झारखंड में चुनाव की तारीखों का ऐलान करते हुए मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने EVM पर सवाल उठाने वालों को करारा जवाब दिया. उन्होंने कहा कि कुछ लोग तो यहां तक कह देते हैं कि जब पेजर को उड़ाया जा सकता है, तो EVM हैक कैसे नहीं हो सकते हैं? ऐसे लोगों को समझना चाहिए कि पेजर कनेक्टड होता है, ईवीएम कनेक्टड नहीं होती है. उन्होंने कहा कि चुनाव से पहले ईवीएम की पोलिंग एजेंट्स की मौजूदगी में इतने स्तरों पर जांच की जाती है कि उसमें गड़बड़ी का कोई चांस नहीं है.
पूरी प्रक्रिया बताई
वोटिंग के पहले और वोटिंग के बाद ईवीएम के बारे में चुनाव आयोग (Election Commission) ने डीटेल में जानकारी दी. मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि ईवीएम की छह महीने पहले एफएलसी होती है. इसमें उसकी पहली चेकिंग होती है. ईवीएम को स्टोरेज में रखने, उसकी कमिशनिंग, बूथ में ले जाने से लेकर वोटिंग के बाद स्ट्रॉन्ग रूम तक ले जाने तक की पूरी प्रक्रिया में हर बार राजनीतिक दल के एजेंट मौजूद रहते हैं.
तीन लेयर सिक्यॉरिटी
उन्होंने कहा कि वोटिंग से पांच या छह दिन पहले भी ईवीएम की कमिशनिंग होती है. उस दौरान उसमें बैटरी डाली जाती है और सिंबल पड़ते हैं. इसके बाद ईवीएम को सील किया जाता है. यहां तक कि ईवीएम की बैटरी पर भी उम्मीदवार के एजेंट के दस्तखत होते हैं. कमिशनिंग के बाद ईवीएम को स्ट्रॉन्ग रूम में रखा जाता है. उस पर डबल लॉक लगता है. तीन लेयर की सिक्यॉरिटी होती है.
वीडियोग्राफी भी होती है
वोटिंग के लिए जब ईवीएम पोलिंग बूथ पर जाती है, तो यही प्रक्रिया दोहराई जाती है. इसकी वीडियोग्राफी भी की जाती है. किस नंबर की मशीन किस बूथ पर जाएगी, यह सब बताया जाता है. इसका रेकॉर्ड रखा जाता है. बूथ पर पोलिंग एजेंट्स को मशीन में वोट डालकर दिखाए जाते हैं.
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