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पंजाब-हरियाणा HC ने प्राइवेट नौकरियों में 75 फीसदी आरक्षण को किया रद्द तो SC पहुंची हरियाणा सरकार

फाइल फोटो

नई दिल्ली:

पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट ने प्राइवेट नौकरी में स्थानीय युवाओं को 75 फीसदी आरक्षण देने वाले कानून को रद्द करते हुए इसे असंविधानिक बताया है. इसके बाद हरियाणा सरकार ने फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. सुप्रीम कोर्ट भी इस मामले का परीक्षण करने के लिए तैयार हो गई है. हरियाणा सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता पैरवी कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट का फैसला मामले में सही नहीं है. आरक्षण को रद्द करने के आदेश में उन्होंने उचित कारण नहीं दिए हैं.

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दरअसल, निजी क्षेत्र में 75 फीसदी आरक्षण के मामले पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने कहा था कि यदि इस कानून को मंजूरी दी गई तो हर राज्य ऐसा ही करेगा और देश में एक कृत्रिम दीवार खड़ी हो जाएगी और किसी भी कीमत पर इसकी अनुमति नहीं दी जा सकती है. दरअसल, हरियाणा सरकार ने नवंबर 2021 में हरियाणा राज्य स्थानीय उम्मीदवारों का रोजगार अधिनियम की अधिसूचना जारी की थी और 15 जनवरी 2022 को यह कानून पूरे राज्य में लागू हो गया था.  

इसके बाद कई औद्योगिक संगठनों ने इस कानून को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. हाईकोर्ट में उन्होंने दलील दी थी कि उनपर कर्मचारी की नियुक्ति से जुड़ी शर्त नहीं लगाई जा सकती है. उद्योग, कौशल के आधार पर कर्मचारी का चयन करते हैं और अगर नियोक्ताओं से कर्मचारी को चुनने का अधिकार ले लिया जाएगा तो उद्योग कैसे आगे बढ़ सकेंगे. यह कानून उन युवाओं के सांविधानिक अधिकारों का हनन है, जो अपनी शिक्षा और योग्यता के आधार पर भारत के किसी भी हिस्से में नौकरी करने के लिए स्वतंत्र हैं. उन्होंने यह भी दलील दी कि राज्य सरकार को स्थायी निवास के आधार पर कानून बनाने का अधिकार नहीं है. यह केंद्रीय सूची का विषय है और केंद्र सरकार ही इसके लिए सक्षम है.

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वहीं, हरियाणा सरकार ने दलील दी थी कि उद्योगों को भूमि रियायती दरों पर देते हुए स्थानीय लोगों को 75 प्रतिशत आरक्षण की शर्त आवंटन पत्र में स्पष्ट थी. जनहित में स्थानीय लोगों को रोजगार उपलब्ध करवाने में यह कानून बेहद अहम है. सरकार की ओर से कहा गया कि प्रवासी कम वेतन वाले रोजगार के लिए प्रतिस्पर्धा करते हैं और इसी का नतीजा है कि शहरी इलाकों के निकट झुग्गियां बनती जा रही हैं. इसके साथ ही विकास कार्यों के लिए सरकार ने विभिन्न स्थानों पर भूमि का अधिग्रहण किया है और इसके कारण भूमि के मालिक बेरोजगार हो गए हैं. इस कानून का फायदा इन लोगों को मिलेगा और स्थानीय लोगों में बेरोज़गारी कम होगी.

 

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