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जब यूपी में नकल करने वालों को राजनाथ सिंह ने भेजा था जेल… अब केंद्र सरकार लाई पेपर लीक पर सजा वाला बिल

नई दिल्‍ली :

केंद्र सरकार पेपर लीक पर सख्त नजर आ रही है. सरकार ने प्रतियोगी परीक्षाओं में गड़बड़ी और अनियमितताओं से सख्ती से निपटने के प्रावधान वाला ‘लोक परीक्षा (अनुचित साधनों का निवारण) विधेयक, 2024′ लोकसभा में पेश कर दिया है. विधेयक में परीक्षाओं में अनियमितताओं से संबंधित अपराध के लिए अधिकतम 10 साल तक की जेल और एक करोड़ रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान है. केंद्रीय मंत्रिमंडल ने हाल में इस विधेयक को मंजूरी दी थी. हालांकि, यह पहला मौका नहीं है, जब परीक्षा प्रणाली को लेकर ऐसा कड़ा कानून आया है. लगभग तीन दशक पहले यूपी की सरकार भी ऐसा ही अध्‍यादेश लेकर आई थी. अध्यादेश में प्रावधान था कि अगर कोई छात्र नकल करते पाया जाता है, तो उसे जेल भेजा जाएगा.     

इंटरमीडिएट के सिर्फ 14% छात्र हुए थे पास

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बात साल 1991 की है, जब उत्‍तर प्रदेश की कमान कल्याण सिंह के हाथों में आई थी. तब प्रदेश में परीक्षाओं में नकल के मामले बेहद बढ़ गए थे. ऐसे में कल्‍याण सिंह की सरकार ने नकल विरोध का एक अध्यादेश लागू किया. तब कल्‍याण सिंह की सरकार के शिक्षामंत्री राजनाथ सिंह थे. नकल अध्यादेश का नियम लागू होने पर उत्‍तर प्रदेश की परीक्षा प्रणाली की तस्वीर ही बदल गई. अध्यादेश लागू होने के बाद 1992 में यूपी में इंटरमीडिएट के सिर्फ 14 प्रतिशत और हाई स्कूल के 30 फीसदी अभ्यर्थी ही पास हो पाए थे. 

…तो चुनाव हार गए थे राजनाथ सिंह

राजनाथ सिंह ने जब एंटी कॉपिंग ऐक्ट यानि नकल अध्यादेश का प्रस्‍ताव कैबिनेट के सामने रखा, तो इसे कई बार ठुकराया गया. कैबिनेट मंत्री जानते थे कि इस अध्‍यादेश का प्रतिकूल प्रभाव देखने को मिलेगा. इसलिए सरकार के ज्‍यादातर मंत्री इस अध्‍यादेश के खिलाफ थे. हालांकि, कल्‍याण सिंह ने जब राजनाथ सिंह के कहने पर इस अध्‍यादेश को लागू किया, तो राजनाथ सिंह अगला चुनाव हार गए थे.  

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कई स्टूडेंट्स ने छोड़ दी परीक्षा

उत्‍तर प्रदेश में अध्‍यादेश लागू होने के बाद छात्रों में हड़कंप-सा मच गया था. परीक्षा में नकल करने पर जेल जाने का खौफ ऐसा था कि बहुत से छात्रों ने परीक्षा न देने का फैसला किया. वहीं, जिन्‍होंने परीक्षाएं दीं, उन्‍होंने नकल नहीं की. ऐसे में ज्‍यादातर छात्र परीक्षाओं में फेल हो गए. 1992 में उत्‍तर प्रदेश में 4 फीसदी छात्र ही 12वीं की परीक्षा पास कर सके थे. वहीं, जिन्‍होंने परीक्षा पास की थी, उनके अंक प्रतिशत भी बेहद कम थे. कुछ छात्र नकल करते हुए पकड़े गए, तो उन्‍हें जेल भेजा गया. छात्रों को जेल भेजने की खबरें उस समय अखबारों की सुर्खियां बन गई थीं. ऐसे में विपक्ष में बैठे मुलायम सिंह को एक बड़ा मुद्दा मिल गया था. 

1992 में आए अध्‍यादेश का खामियाजा, कल्‍याण सिंह की सरकार को 1993 में हुए विधानसभा चुनावों में भुगतना पड़ा. समाजवादी पार्टी ने नकल अध्‍यादेश का विरोध किया. छात्र और उनके परिवार भी शायद यही चाहते थे कि नकल अध्‍यादेश खत्‍म किया जाए. इसलिए विधानसभा चुनावों में समाजवादी पार्टी को बहुमत मिला… और राजनाथ सिंह चुनाव हार गए. सत्‍ता में आने के बाद मुलायम सिंह ने नकल अध्‍यादेश को वापस ले लिया था. 

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