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कौन हैं राजस्थान के बांसवाड़ा से जीते राजकुमार रोत, क्या है उनकी भारत आदिवासी पार्टी की विचारधारा

इस सीट पर कांग्रेस ने अरविंद डामोर को अपना उम्मीदवार बनाया था.लेकिन नाम वापसी के अंतिम दिन से एक दिन पहले ही कांग्रेस ने रोत को समर्थन देने का ऐलान कर दिया. लेकिन उसके उम्मीदवार ने अपना नाम वापस नहीं लिया. वहीं रोत के जीत का राह का और कठिन बनाने के लिए राजकुमार नाम के दो डमी उम्मीदवार भी खड़े कर दिए गए थे.इतनी तगड़ी घेरेबंदी के बाद भी राजकुमार रोत ने अपनी जीत सुनिश्चित की.उन्होंने बीजेपी के मालवीय को दो लाख 47 हजार 54 वोटों से मात दी. 

भारत आदिवासी पार्टी का उद्देश्य क्या है ?

देशभर के आदिवासी कार्यकर्ताओं और नेताओं 10 सितंबर 2023 को ‘भारत आदिवासी पार्टी’का गठन किया था.इसका स्थापना दिवस कार्यक्रम राजस्थान के डूंगरपुर के टंटया भील खेल मैदान में आयोजित किया गया था.मोहनलाल रौत इसके अध्यक्ष बनाया गया. इसमें राजस्थान के अलावा मध्य प्रदेश, झारखंड, गुजरात और कई दूसरे राज्यों के लोग शामिल हुए थे. पार्टी की बेवसाइट के मुताबिक भारत आदिवासी पार्टी भारत की पहली पर्यावरण हितैषी पार्टी है. पार्टी जल-जंगल-जमीन वन्य जैवविविधता, प्रकृति, मूलनिवासी और प्रकृति के हित में काम करेगी.

भारत आदिवासी पार्टी के नेता.

स्थापना के तीन महीने बाद ही मिली बड़ी सफलता

अपनी स्थापना के तीन महीने बाद ही भारत आदिवासी पार्टी राजस्थान और मध्य प्रदेश विधानसभा के विधानसभा चुनाव में उतरी. बीएपी ने राजस्थान की 27 और मध्य प्रदेश की आठ सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे.इस चुनाव में उसे चार सीटों पर सफलता मिली. राजस्थान के डूंगरपुर की चौरासी विधानसभा सीट से राजकुमार रोत, आसपुर से उमेश डामोर, धरियावाद से थावरचंद मीणा ने जीत दर्ज की.वहीं मध्य प्रदेश के रतलाम की सैलाना सीट से कमलेश्वर डोडियार ने जीत दर्ज की. मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस के बाद बीएपी ही एकमात्र ऐसी पार्टी थी जिसे किसी सीट पर जीत मिली.इस  चुनाव में बीएपी को करीब 11 लाख वोट मिले. बीएपी के चार उम्मीदवार दूसरे स्थान रहे तो 16 तीसरे नंबर पर.

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वहीं लोकसभा चुनाव के साथ हुए बागीदौरा विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में भी बीएपी मैदान में उतरी. उसने जयकृष्ण पटेल को उम्मीदवार बनाया. उन्होंने बीजेपी के सुभाष तंबोलिया को मात दी. इससे राजस्थान विधानसभा में बीएपी के विधायकों की संख्या चार हो गई. लेकिन सांसद चुने जाने के बाद राजकुमार रोत ने विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया. इससे बीएपी के विधायकों की संख्या फिर तीन ही रह गई है.

कहां कहां से लोकसभा चुनाव लड़ी बीएपी?

विधानसभा चुनावों में मिली शानदार सफलता के बाद बीएपी के हौंसले बुलंद थे.उसने लोकसभा चुनाव में राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश, दादरा नागर हवेली, महाराष्ट्र, झारखंड, छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश और असम की करीब 30 सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े किए.बीएपी ने राजस्थान के बांसवाड़ा, उदयपुर, चित्तौड़गढ़, सवाई माधोपुर, झारखंड के खूंटी और लोहरदगा, मध्य प्रदेश की मंडला, रतलाम झाबुआ जैसी सीट से चुनाव लड़ा. बीएपी का दावा है कि उसकी उपस्थिति देश के 12 राज्यों के 250 से अधिक शहरों और कस्बों में है.

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