दिल्ली में ये 'दो पोस्ट' क्यों मेयर से ज्यादा पावरफुल, जिसके लिए BJP-AAP ने लड़ा दी जान
नई दिल्ली:
दिल्ली नगर निगम (MCD) में जोन वार्ड चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (Bjp) ने आप को हराया. कड़े मुकाबले में बीजेपी ने 12 जोन में से सात में जोन स्तरीय वार्ड समितियों में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष तथा स्थायी समिति में एक -एक सीट जीत ली, जबकि ‘आप’ पांच पर ही सिमट गई. अब सवाल है कि दिल्ली में स्टैंडिंग कमेटी के चेयरमैन और वार्ड कमेटी को लेकर इतना घमासान क्यों मचा हुआ है. इसके बारे में आज आपको बताएंगे.
करोल बाग, सिटी एसपी में चुनाव नहीं हुए, क्योंकि बीजेपी ने अपने उम्मीदवार नहीं उतारे थे. वहीं, केशवपुर में चुनावी रण में केवल भाजपा ही थी. बीजेपी ने नरेला, सिविल लाइंस, केशवपुरम, शाहदरा उत्तरी, नजफगढ़, शाहदरा दक्षिण और सेंट्रल जोन में जीत हासिल की, जबकि आप ने करोल बाग, पश्चिम, दक्षिण, सिटी एसपी और रोहिणी जोन में विजय हासिल की.
किस वार्ड में किसे मिली जीत
वार्ड कमेटी | चेयरमैन | डिप्टी चेयरमैन | स्थायी समिति का सदस्य |
सिटी एसपी | मो. सादिक (आप) | किरण बाला (आप) | पुनरदीप साहनी (आप) |
रोहिणी | सुमन अली राणा (आप) | धर्म रक्षक (आप) | दौलत (आप) |
पश्चिमी | साहिब कुमार (आप) | मंजू सेतिया (आप) | प्रवीण कुमार-(आप) |
करोल बाग | राकेश जोशी (आप) | ज्योति गौतम (आप) | अंकुश नारंग (आप) |
दक्षिणी | किशन जाखड़ (आप) | राज बाला टोकस (आप) | प्रेम चौहान (आप) |
सिविल लाइंस | अनिल कुमार त्यागी (भाजपा) | रेखा (भाजपा) | राजा इकबाल सिंह (भाजपा) |
केशवपुरम | योगेश वर्मा (भाजपा) | सुशील (भाजपा) | शिखा भारद्वाज (भाजपा) |
नरेला | पवन सहरावत (भाजपा) | बबीता (भाजपा) | अंजू देवी (भाजपा) |
सेंट्रल | सुंगधा (भाजपा) | शरद कपूर (भाजपा) | राजपाल सिंह (भाजपा) |
नजफगढ़ | अमित खड़खड़ी (भाजपा) | सुनीता (भाजपा) | इंद्रजीत सहरावत (भाजपा) |
शाहदरा नार्थ | प्रमोद गुप्ता (भाजपा) | रितेश सूजी (भाजपा) | सत्यपाल सिंह (भाजपा) |
शाहदरा साउथ | संदीप कपूर (भाजपा) | संजीव कुमार सिंह (भाजपा) | नीमा भगत (भाजपा |
स्टैंडिंग कमेटी और वार्ड कमेटी के पास कितनी पावर?
दिल्ली में मेयर और डिप्टी मेयर के आलावा स्टैंडिंग कमेटी को काफी महत्वपूर्ण माना जाता है. ऐसा कहा जाता है कि जिसके पास स्टैंडिंग कमेटी के चेयरमैन का पद होता है, उसी के पास असली ‘पावर’ होती है. वार्ड कमेटी जीतने के बाद पार्टी क्षेत्रीय स्तर पर उन फैसले को लागू कर सकती है, जो फैसले मुख्यालय स्तर पर होते हैं. दिल्ली नगर निगम की सत्ता पर आम आदमी पार्टी का कब्जा है.
दिल्ली एमसीडी में कॉर्पोरेशन का कामकाज और प्रबंधन का काम स्टैंडिंग कमेटी ही करती है. स्टैंडिंग कमेटी ही प्रोजेक्ट्स को वित्तीय मंजूरी देती है. स्टैंडिंग कमेटी MCD की यह मुख्य फैसला लेने वाला समूह होता है.
स्थायी समिति क्यों अहम?
दिल्ली में मेयर एमसीडी के संवैधानिक प्रमुख होते हैं. साथ ही स्थायी समिति के पास ज्यादा शक्ति होती है. स्थायी समिति के पास सभी प्रस्तावों की समीक्षा, संशोधन के लिए खास पावर होता है. स्थायी समिति सदम में पेश करने से पहले हर नियम की समीक्षा करती है. साथ ही मेयर उसी मुद्दे पर चर्चा करते है, जिसको स्थायी समिति ने मंजूरी दी हो. स्थायी समिति के पास कई शक्तियां होती है.
क्या होती है स्टैंडिंग कमेटी?
दिल्ली में मेयर और डिप्टी मेयर के आलावा स्टैंडिंग कमेटी को काफी महत्वपूर्ण माना जाता है. ऐसा कहा जाता है कि जिसके पास स्टैंडिंग कमेटी के चेयरमैन का पद होता है, उसी के पास असली पावर होती है. यही कारण है कि राजनीति दल स्टैंडिंग कमेटी का चुनाव जीतने के लिए हर संभव कोशिश करते हैं. स्थाई समिति में कुल 18 सदस्य होते हैं, जो 12 जोन से चुनकर आते हैं. साथ ही 6 सदस्यों का चुनाव सदन में होता है.
क्या है पूरा मामला और चुनाव में क्यों हुई देरी
बीते 24 फरवरी को एमसीडी की स्टैंडिंग कमेटी के लिए 6 सदस्यों के लिए वोट डाले गए थे. वोट डालने के बाद वोटों की गिनती हुई और जब मेयर नतीजों का ऐलान कर रही थी तो बीजेपी पार्षद विरोध करते हुए मंच पर चढ़ गए और जबरदस्त हंगामा और मारपीट देखने को मिली. इसके बाद मेयर ने उन चुनावों को रद्द करके नए सिरे से चुनाव कराने की घोषणा की थी. इस फैसले के खिलाफ दो बीजेपी पार्षद शिखा राय और कमलजीत सहरावत दिल्ली हाईकोर्ट पहुंच गई. दिल्ली हाईकोर्ट ने स्टैंडिंग कमेटी के छह सदस्यों के लिए नए सिरे से चुनाव कराने के मेयर फैसले को खारिज कर दिया है.
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