कांग्रेस के सबसे बड़े लूजर क्यों बनते जा रहे हैं राहुल गांधी, क्यों साथ नहीं आ रही है जनता
नई दिल्ली:
महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनाव के नतीजे आ रहे हैं. यहां मुकाबला करीब-करीब बराबरी का दिख रहा है. महाराष्ट्र में जहां बीजेपी के नेतृत्व वाली महायुति प्रचंड बहुमत के साथ आगे बढ़ रही है. वहीं झारखंड में झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेतृत्व वाला इंडिया गठबंधन अपनी सरकार बचाते हुए दिख रहा है. लेकिन इन दोनों ही राज्यों में जो चीज सबसे कॉमन है, वह है कांग्रेस का प्रदर्शन.चुनाव वाले दोनों ही राज्यों में कांग्रेस अपना पिछला प्रदर्शन नहीं दोहरा पाई है. कांग्रेस का यह हाल तब है जब पार्टी पूरी तरह से राहुल गांधी के निर्देशन में ही चुनाव लड़ रही है. कांग्रेस के चुनाव के मुद्दे भी राहुल गांधी ही तय कर रहे हैं. लेकिन कांग्रेस को एक के बाद एक राज्य में हार का सामना करना पड़ रहा है.आइए जानते हैं कि कांग्रेस की इस हार के पीछे की प्रमुख पांच वजहें क्या हैं.
बीजेपी से कितनी पीछे है कांग्रेस
चुनाव वाले दोनों राज्यों में बीजेपी ने अपने प्रदर्शन में सुधार किया है. लेकिन कांग्रेस का प्रदर्शन खराब हुआ है. कांग्रेस को झाखंड में तो बहुत अधिक घाटा नहीं हुआ है, लेकिन महाराष्ट्र मे वह अपने पिछले प्रदर्शन से कुछ ज्यादा ही सीटें जीतती हुई नजर आ रही है.झारखंड में बीजेपी ने यह चुनाव 68 सीटों पर लड़ा था. इसमें वो अभी 23 सीटों पर आग चल रही है. बीजेपी ने 2019 का चुनाव 79 सीटों पर लड़ा था और 25 सीटों पर जीत दर्ज की थी. यानी की बीजेपी का स्ट्राइक रेट इस बार ज्यादा है, क्योंकि उसने इस बार कम सीटों पर ही चुनाव लड़ा है.
वहीं कांग्रेस ने पिछला चुनाव 31 सीटों पर लड़ा था. उसे 16 सीटों पर जीत मिली थी. कांग्रेस ने यह चुनाव 30 सीटों पर लड़ा है, लेकिन अभी वह 16 सीटों पर आगे चल रही है. झारखंड में कांग्रेस का प्रदर्शन खराब तो नहीं हुआ है, लेकिन उसका स्ट्राइक रेट बीजेपी से काफी कम है. झारखंड में उसका यह हाल तब है, जब वह झारखंड मुक्ति मोर्चा के साथ मिलकर चुनाव लड़ रही है.
महाराष्ट्र में उद्धव की शिवसेना से भी पीछे हुई कांग्रेस?
महाराष्ट्र में कांग्रेस की स्थिति और भी खराब है. यहां हालत यह है कि कांग्रेस महायुति में शामिल तीन दलों में से भी किसी का मुकाबला नहीं कर पा रही है.महायुति में शामिल बीजेपी, शिवसेना और एनसीपी अब तक आए रुझान और नतीजों मेंबढ़त बनाए हुए हैं. चुनाव आयोग के मुताबिक बीजेपी 128, शिवसेना 56 और एनसीपी 39 सीटों पर आगे चल रही है. वहीं कांग्रेस केवल 19 सीटों पर ही आगे है. जबकि कांग्रेस ने पिछला चुनाव 147 सीटों पर लड़कर 44 सीटों पर जीत दर्ज की थी. इस चुनाव में कांग्रेस ने 101 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे. वहीं कांग्रेस की सहयोगी उद्धव ठाकरे की शिवसेना 20 सीटों पर आगे चल रही है.महाराष्ट्र में कांग्रेस पांचवे नंबर की पार्टी बनती हुई दिख रही है.
महाराष्ट्र में कांग्रेस का यह हाल तब है जब उसने अभी कुछ महीने पहले ही लोकसभा चुनाव में अच्छा प्रदर्शन किया था. लेकिन पार्टी उस प्रदर्शन को कायम नहीं रख पाई. राहुल गांधी ने महाराष्ट्र में जमकर पसीना बहाया था, लेकिन परिणाम उनके उम्मीद के मुताबिक नहीं आते दिख रहे हैं. राहुल गांधी ने महाराष्ट्र में नंदुरबार, धामनगांव रेलवे, नागपुर ईस्ट, गोंदिया, चिमूर, नांदेड़ नॉर्थ और बांद्रा ईस्ट सीट पर चुनावी रैलियां की थीं.इन चुनावी रैलियों में भीड़ भी काफी जुटी थी. लेकिन ये भीड़ वोट में नहीं बदल पाई. राहुल गांधी ने महाराष्ट्र में जिन सात विधानसभा सीटों पर चुनावी रैलियां की थीं, उनमें से केवल एक पर महाविकास अघाड़ी के प्रत्याशी बढ़त बनाए हुए हैं. महाराष्ट्र में कांग्रेस का यह हाल तब है जह राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा ने महाराष्ट्र के बहुत से इलाकों का दौरा किया था.
जाति जनगणना के मुद्दे पर जनता ने नहीं दिया साथ
साल 2019 का लोकसभा चुनाव कांग्रेस ने राहुल गांधी के नेतृत्व में लड़ा था. लेकिन परिणाम उसके उम्मीद के मुताबिक नहीं आए. पार्टी को बुरी हार का सामना करना पड़ा. इसके बाद से राहुल गांधी ने कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था. इसके बाद से राहुल गांधी ने जातिगत जनगणना का समर्थन करना शुरू कर दिया. जाति जनगणना की मांग ओबीसी की जातियां बहुत पहले से कर रही हैं. लेकिन कांग्रेस ने इसे राष्ट्रीय मुद्दा बना दिया. वह भी तब जब कांग्रेस की यूपीए सरकार 2010 में जाति जगणना कराने की मांग नकार चुकी थी. कांग्रेस के इस मुद्दे को जनता का साथ नहीं मिला. मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, हरियाणा और महाराष्ट्र की जनता ने कांग्रेस के जातिय जनगणना के मुद्दे को समर्थन नहीं दिया है. इन सभी राज्यों के चुनाव में जनता ने कांग्रेस को विपक्ष में बैठने का आदेश दिया. अब यह देखना दिलचस्प होगा कि राहुल गांधी इस मुद्दे पर ही लड़ते हैं या किसी और मुद्दे की ओर रुख करते हैं.
संविधान पर हमला और आरक्षण को खतरे का मुद्दा हवा हुआ
राहुल गांधी लगातार यह कहते रहे हैं कि अगर बीजेपी जीतती है तो वह संविधान को खत्म कर देगी और एससी-एसटी का आरक्षण खत्म कर देगी. कांग्रेस नेता ने कहा था कि बीजेपी लोक सभा में 400 सीटें इसलिए जीतना चाहती है कि वो संविधान में संशोधन कर आरक्षण खत्म कर सके.राहुल के इस नैरेटिव का कांग्रेस को लोकसभा चुनाव में फायदा भी हुआ था. वह 99 सीटें जीतने में कामयाब रही. लेकिन हरियाणा, महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव में उनका यह नैरेटिव काम नहीं कर पाया. वहीं बीजेपी ने कांग्रेस के ही हथियार से उस पर हमला कर दिया. पीएम नरेंद्र मोदी ने चुनाव प्रचार के दौरान कहा कि राहुल गांधी ने संविधान के नाम पर लाल रंग की कोरे पन्नों वाली किताब बंटवा कर संविधान का अपमान किया.वहीं अमित शाह ने आरोप लगाया कि गैर बीजेपी सरकार बनने पर कांग्रेस पिछड़ों और दलितों का आरक्षण अल्पसंख्यकों में बांट देगे.
राहुल के
आरोपों पर मतदाताओं ने नहीं दिया ध्यान
राहुल गांधी ने महाराष्ट्र के चुनाव में महायुति की सरकार पर भ्रष्टाचार में शामिल होने का आरोप लगाया. महाराष्ट्र में उन्होंने बीजेपी नेता विनोद तावड़े पर चुनाव प्रचार के दौरान रुपये बांटने का आरोप लगाया. लेकिन उन्होंने इसका कोई सबूत नहीं दिया. इसके बाद तावड़े ने राहुल गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे पर 100 करोड़ की मानहानी का मामला दर्ज कराया है.
राहुल गांधी ने राजनीति में 20 साल का करियर पूरा कर लिया है. लेकिन उनके नेतृत्व में कांग्रेस अभी तक कोई भी चुनाव नहीं जीत पाई है. राहुल 2004 में सक्रिय राजनीति में आए थे. उसके बाद 2014 तक कांग्रेस सत्ता में रही. लेकिन उस समय कांग्रेस का नेतृत्व उनकी मां सोनिया गांधी कर रही थीं. लेकिन उसके बाद राहुल गांधी पर कांग्रेस की निर्भरता बढ़ती गई. लेकि कांग्रेस का प्रदर्शन लगातार गिरता गया. एक-दो राज्यों के चुनाव को छोड़ दें तो कांग्रेस राहुल के नेतृत्व में कोई कमाल नहीं कर पाई है. महाराष्ट्र के चुनाव नतीजों से एक बार फिर यह साबित हुआ है कि राहुल गांधी कांग्रेस के लिए अभी भी बहुत संभावनावान नेता नहीं हैं.
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