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दिल्ली की सड़कों पर वाहनों की इतनी कम डेंसिटी होने के बाद भी प्रदूषण क्यों है ज्यादा? जानें

नई दिल्ली:

दिल्ली की सड़कों में 1 किलोमीटर के दायरे में 261 गाड़ियां होती है,जबकि मुंबई की सड़कों में 1 किलोमीटर के दायरे में करीब 9 गुना ज्यादा 2300 गाड़ियां होती हैं,ये आंकड़ा एक सर्वे की रिपोर्ट में सामने आया है, सवाल ये है कि दिल्ली की सड़कों पर इतनी कम डेंसिटी होने के बाद भी प्रदूषण ज्यादा क्यों है.

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दिल्ली की सड़कों पर गाड़ियों का रेला हर रोज यों ही नजर आता है , एक सर्वे के मुताबिक दिल्ली में सड़कों पर हर 1 किलोमीटर के दायरे में करीब 261 गाड़ियां होती हैं ,लेकिन मुंबई का हाल देखकर आप चौंक जाएंगे, मुंबई में हर एक किलोमीटर में गाड़ियों की डेंसिटी 2300 है लेकिन फिर भी देश का सबसे प्रदूषित शहर दिल्ली है.सेंटर ऑफ साइंस एंड एनवायरमेंट के जानकारों के मुताबिक दिल्ली में प्रदूषण की सबसे बड़ी वजह गाड़ियां ही हैं

रिसर्च एंड एडवोकेसी के एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर अनुमिता राय ने बताया ये बात सही है कि मुंबई की जो डेंसिटी है वो काफी ज्यादा है.पर इसका कारण ये नहीं की मुंबई में दिल्ली से ज्यादा गाड़ियां हैं, दिल्ली में गाड़ियों की संख्या कई गुना ज्यादा है. मुंबई में अगर आप उनके ज्योग्राफिकल एरिया को लें तो करीब 12 प्रतिशत रोड नेटवर्क में हैं और दिल्ली में 23 प्रतिशत, यानि इतने हिस्से में हम सड़के बना चुके हैं और उसके बाद भी दिल्ली में पॉल्यूशन काफी ज्यादा है,दिल्ली में अगर आप आंकड़े देखे तो गाड़ियों से प्रदूषण 20 से 50 प्रतिशत तक है.

सेंट्रल रोड रिसर्च इंस्टीट्यूट के मुताबिक दिल्ली और मुंबई की सड़कों और भौगोलिक स्थिति में बहुत अंतर है. दिल्ली में सड़कों का दायरा 33 हजार किलोमीटर है. जबकि मुंबई में महज 9 हजार किलोमीटर. दिल्ली में सड़के चौड़ी हैं और निकलने के कई रास्ते हैं, जबकि मुंबई में ऐसा नहीं है.दिल्ली का एरिया मुंबई की तुलना में काफी बड़ा 1483 वर्ग किलोमीटर है. पब्लिक ट्रांसपोर्ट के लिए 390 किलोमीटर में मेट्रो और 7000 बसें हैं.

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सीआरआरआई का दावा है कि भले ही दिल्ली में 1 करोड़ 30 लाख गाड़ियां हों लेकिन इससे महज 30 से 40 फ़ीसदी प्रदूषण ही फैलता है.जबकि मुंबई में समुद्र होने से प्रदूषण ठहर नहीं पाता. दिल्ली में ट्रैफिक 3 गुना ज्यादा है,लेकिन शहर की भौगोलिक स्थिति भी बहुत महत्वपूर्ण है,दिल्ली में गाड़ियों का प्रदूषण 30 से 40 परसेंट हैं,समर और विंटर में ,लेकिन दिल्ली में जो लैंड मास है हर जगह जाने का सोर्स नहीं है,दिल्ली सेंट्रली लोकेटेड है, दिल्ली में जो भी पॉल्यूशन आ रहा है पैडी से या पड़ोसी राज्यों से या किसी और सोर्स से उसको वेंट आउट करने के लिए कोई जगह नहीं है.

मुंबई की एक और एडवांटेज है कि जी साइड में हैं और वहां जो समुद्र की हवा जो आती है वो खींच लेती है प्रदूषण को,इसलिए वहां कोई पीक नहीं बनता जैसे हम दिल्ली में देखते हैं,वहां भी लोकल पॉल्यूशन और कंजेशन है.

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