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एक मेयर की गिरफ्तारी से क्यों भड़क उठा तुर्की? 12 साल बाद सबसे बड़ा विरोध-प्रदर्शन शुरू

तुर्की की एक अदालत ने रविवार, 23 मार्च को राष्ट्रपति तैय्यप एर्दोगन के मुख्य राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी और इस्तांबुल के मेयर एक्रेम इमामोग्लू को भ्रष्टाचार के आरोपों में मुकदमा लंबित रहने तक जेल में डाल दिया. इसके बाद तुर्की में पिछले एक दशक से भी अधिक समय में देश के सबसे बड़े विरोध प्रदर्शन को शुरू हो गया है. इमामोग्लू को जेल भेजने की कार्रवाई को राजनीतिक और अलोकतांत्रिक बताते हुए आलोचना की गई है. आलोचना मुख्य विपक्षी दल, यूरोपीय नेताओं और सैकड़ों हजारों प्रदर्शनकारियों द्वारा की जा रही है.

एक्रेम इमामोग्लू कौन है?

इमामोग्लू 2019 में इस्तांबुल के मेयर चुने गए और पिछले साल भी इस पद के लिए हुए चुनाव में उन्हें जीत मिली. इस्तांबुल तुर्की का सबसे बड़ा शहर है. यहां की आबाद लगभग 1.6 करोड़ है और यह देश का व्यापार केंद्र है. यहां का चुनाव जीतकर 53 साल के इमामोग्लू तुर्की की राजनीति में राष्ट्रपति एर्दोगन के नंबर एक प्रतिद्वंद्वी बन गए हैं.

एक्रेम इमामोग्लू पर क्या आरोप लगे हैं?

मेयर को इमामोग्लू बुधवार, 19 मार्च को हिरासत में लिया था. इमामोग्लू सीएचपी पार्टी से आते हैं और उनपर एक कुर्द समर्थक पार्टी के साथ चुनावी समझौते के कारण “भ्रष्टाचार” और “एक आतंकवादी संगठन का समर्थन करने” का आरोप लगाया गया. जिस कुर्द समर्थक पार्टी की बात हो रही उसपर अधिकारियों ने कुर्दिस्तान वर्कर्स पार्टी (पीकेके) से संबंध रखने का आरोप लगाया था, जिसे अंकारा द्वारा एक आतंकवादी समूह करार दिया गया है. 

एएफपी की रिपोर्ट के अनुसार आदेश में कहा गया है कि “एक्रेम इमामोग्लू को एक आपराधिक संगठन की स्थापना और नेतृत्व करने, रिश्वत लेने, भ्रष्टाचार, अवैध रूप से व्यक्तिगत डेटा रिकॉर्ड करने और कॉन्ट्रैक्ट में हेराफेरी करने के लिए हिरासत में लिया जा रहा है.”

इमामोग्लू को मेयर पद से बर्खास्त कर दिया गया है और जेल में डाल दिया गया है.

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इमामोग्लू की पार्टी पर चुनाव के ठीक पहले अटैक

व्यापक रूप से राष्ट्रपति एर्दोगन को चुनौती देने में सक्षम एकमात्र राजनेता के रूप में देखे जाने वाले, इमामोग्लू की गिरफ्तारी ने एक दशक से अधिक समय में तुर्की के सबसे बड़े विरोध प्रदर्शन को जन्म दिया है.  इमामोग्लू रिपब्लिकन पीपुल्स पार्टी (सीएचपी) के सदस्य हैं, जो तुर्की गणराज्य की स्थापना करने वाले मुस्तफा कमाल की बनाई एक सामाजिक-लोकतांत्रिक और धर्मनिरपेक्ष पार्टी है.

सीएचपी के पास संसद में 134 सीटें हैं, जबकि एर्दोगन की एकेपी के पास 272 सीटें हैं. मार्च 2024 में स्थानीय चुनावों में, इसने 81 प्रांतीय राजधानियों में से 35 में जीत हासिल की, जो एकेपी से ग्यारह अधिक है. इसने राजधानी अंकारा, इजमिर, अंताल्या और प्रमुख औद्योगिक शहर बर्सा सहित अधिकांश प्रमुख शहरों में जीत हासिल की. माना जा रहा है कि इसी वजह से राष्ट्रपति एर्दोगन डर गए हैं.

इमामोग्लू की गिरफ्तारी की टाइमिंग भी इसी ओर इशारा कर रही है. इमामोग्लू को 2028 में होने वाले अगले राष्ट्रपति चुनाव के लिए रविवार को सीएचपी के उम्मीदवार के रूप में नॉमिनेट किया जाना था, जिसमें वह एकमात्र उम्मीदवार हैं. और इसी दिन उन्हें आधिकारिक रूप से गिरफ्तार कर लिया गया. इतना ही नहीं बुधवार को हिरासत में लेने के पहले उनकी डिग्री को भी कैंसिल कर दिया गया था. गौरतलब है कि तुर्की के संविधान के अनुसार सभी राष्ट्रपति पद के उम्मीदवारों के पास उच्च शिक्षा की डिग्री होना आवश्यक है.

12 साल बाद इतना बड़ा प्रदर्शन

इमामोग्लू की गिरफ्तारी ने 2013 के गीजी विरोध प्रदर्शन के बाद से देश के सबसे बड़े प्रदर्शनों को जन्म दिया है. 2013 का गीजी प्रदर्शन इस्तांबुल में एक स्थानीय पार्क को गिराए जाने पर शुरू हुआ था.

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एएफपी की रिपोर्ट के अनुसार अबकी बार शुक्रवार और शनिवार की शाम को सैकड़ों हजारों लोग इस्तांबुल की सड़कों पर उतरे और अन्य शहरों, विशेषकर अंकारा और इज़मिर में बड़े प्रदर्शन हुए. एएफपी टैली के अनुसार, कुल मिलाकर, तुर्की के 81 प्रांतों में से कम से कम 55, या देश के दो-तिहाई से अधिक में रैलियां हुईं.


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