छिंदवाड़ा के शहपुरा में नाराज ग्रामीणों ने किया मतदान का बहिष्कार, एक भी वोट नहीं पड़ा
खास बातें
- अधिकारियों के गुजारिश करने के बावजूद गांव के लोग वोटिंग करने नहीं आए
- शहपुरा में कुल 1062 वोटर, दोपहर 3 बजे तक किसी ने वोट नहीं डाला
- बगावत करने पर बंटी पटेल को कांग्रेस से निष्कासित कर दिया गया है
नई दिल्ली:
MP Assembly Elections Voting: मध्यप्रदेश में शुक्रवार को विधानसभा चुनाव के लिए मतदान चल रहा है. लोकतंत्र के इस उत्सव में प्रदेश की पूरी जनता भाग ले रही है लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ के जिले छिंदवाड़ा में एक स्थान पर इससे उलट स्थिति है. छिंदवाड़ा विधानसभा सीट के शहपुरा गांव में दोपहर 3 बजे तक एक भी मतदाता ने वोट नही डाला. नाराज ग्रामीण मतदान का बहिष्कार कर रहे हैं.
यह भी पढ़ें
छिंदवाड़ा विधानसभा सीट क्रमांक 126 के मतदान केंद्र 165 शासकीय शाला शहपुरा में कुल मतदाता 1062 हैं. इन मतदाताओं में से किसी ने भी दोपहर 3 बजे तक वोट नहीं डाला. पीठासीन अधिकारी ने बताया कि अधिकारियों ने गांव के लोगों से वोटिंग करने की गुजारिश कि लेकिन अभी तक कोई भी वोट देने नहीं आया. शाहपुरा मतदान केंद्र में 548 पुरुष और 514 महिला मतदाता हैं.
दरअसल शहपुरा नीरज बंटी पटेल का गृह क्षेत्र है. नीरज बंटी पटेल को चौरई विधानसभा सीट से कांग्रेस का टिकट नहीं मिला था. इसके कारण नाराज बंटी पटेल ने कांग्रेस से बगावत करके चौरई से निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान किया. इसके बाद कांग्रेस ने बंटी पटेल को अनुशासनहीनता के कारण पार्टी से निष्कासित कर दिया था.
शाहपुरा के लोग बंटी पटेल को कांग्रेस की ओर से चौरई से टिकट नहीं दिए जाने से नाराज हैं. इसी के चलते ग्रामीणों ने मतदान का बहिष्कार कर दिया है.
आपको बता दें कि शहपुरा गांव कांग्रेस का गढ़ माना जाता है. यहां पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 90 प्रतिशत से ज्यादा वोट मिले थे. ग्रामीणों के बहिष्कार से कांग्रेस और कमलनाथ को झटका लग सकता है.
मुरैना के बड़ापुरा गांव में स्कूल न खोले जाने पर चुनाव का बहिष्कार
उधर, मुरैना जिले के बड़ापुरा मतदान केंद्र पर भी मतदाताओं ने मतदान का बहिष्कार किया. बड़ापुरा मुरैना जनपद पंचायत की ग्राम पंचायत मेहटोली के क्षेत्र में है. इस मतदान केन्द्र पर दोपहर एक बजे तक एक भी मतदाता नहीं पहुंचा. बड़ापुरा मतदान केंद्र की वोटर लिस्ट में 750 मतदाताओं ने नाम हैं. मतदान का बहिष्कार स्कूल खोलने की मांग पूरी न होने पर किया गया.
ग्रामीणों की मांग है कि उनके गांव में प्राथमिक विद्यालय आरंभ किया जाए. गांव में एक अनुदानित शाला थी जो कि 10 साल पहले बंद हो चुकी है. जिला शिक्षा अधिकारी ने कहा कि गांव के बच्चे पढ़ने के लिए एक किलोमीटर दूर जाते हैं. ग्रामीणों की मांग पर शिक्षा की व्यवस्था कर रहे हैं.